नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया के आगरा दौरे पर कुछ संशय के बादल मंडरा सकते हैं. इसकी वजह है ट्रंप को उन्हीं की कार में ताजमहल तक ले जाने को लेकर अमेरिकी सीक्रेट सर्विस का आग्रह और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते इस मामले पर भारतीय पक्ष का इनकार. हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस मामले को सुलझाने और रास्ता निकालने के लिए यात्रा इंतजामों में लगे दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बातचीत का दौर चल रहा है.
दरअसल, ताज को वाहनों के प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस विश्व धरोहर इमारत के 500 मीटर दायरे में वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगा रखा है. इस पाबंदी के दायरे में वीवीआईपी वाहन भी आते हैं. इसके चलते अन्य मुल्कों के राजनेता भी जब ताज का दीदार करने आते हैं तो इसका इस्तेमाल करते हैं.
साथ ही अमेरिकी अधिकारियों को व्यापक सुरक्षा इंतजामों के तहत राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के दौरान पूरे इलाके को सील करने और चुस्त सुरक्षा घेरा बनाने के लिए भी सहमति जताई गई है. फिलहाल अमेरिका की तरफ से इस बात की मंजूरी नहीं दी गई है कि वो राष्ट्रपति ट्रंप को बैटरी चलित वाहन से उन्हें ताजमहल तक ले जाने तैयार हैं. सूत्रों के मुताबिक यदि सीक्रेट सर्विस अधिकारी सहमत नहीं होते हैं तो यह भी संभव है कि मेलानिया ट्रंप अकेले ही जाएं.
हालांकि अभी तक राष्ट्रपति ट्रंप के यात्रा कार्यक्रम में ताजमहल का दीदार शामिल है. गौरतलब है कि प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी अहमदाबाद में उनके स्वागत के लिए होने वाले नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के बाद सीधे आगरा जाएंगे. आगरा में शाम करीब साढ़े 5 बजे ट्रंप दम्पति ताजमहल देखेंगे. आगरा की यात्रा करने के बाद ही ट्रंप का एयरफोर्स वन 24 फरवरी की शाम दिल्ली पहुंचेगा.
वैसे यह पहला मामला नहीं है जब अमेरिकी राष्ट्रपति की आगरा यात्रा के दौरान सीक्रेट सर्विस की तरफ से इस तरह का आग्रह किया गया हो. इससे पहले 2015 में जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा आए थे तब भी यात्रा तैयारियों के दौरान यह मसला उठा था. ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल बिना ताज देखे ही लौट गए थे. हालांकि आधिकारिक तौर पर कार के लिए मंजूरी या सुरक्षा इजाजत को कारण नहीं बताया गया था बल्कि कहा गया था कि सऊदी अरब में किंग से मुलाकात कार्यक्रम के कारण ओबामा को आगरा की बजाए रियाद का रुख करना पड़ा.
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