बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को लगवाना चाहती हैं कोरोना वैक्सीन, बना रही हैं प्लान
100 से ज़्यादा देशों में 2.5 लाख से ज़्यादा कर्मचारियों वाले महिंद्रा समूह ने अपने कर्मचारियों के लिए वैक्सीनेशन करवाने के लिए रुचि दिखाई है. बड़े औद्योगिक घरानों से लेकर देश की तमाम नामचीन कंपनियों के बोर्डरूम में इन दिनों "कॉरपोरेट वैक्सीनेशन प्रोग्राम" को लेकर ही रणनीति तैयार हो रही है.
नई दिल्ली: भारत में बनी वैक्सीन की चर्चा इन दिनों पूरी दुनिया में है. हर कोई इन वैक्सीन को लेने को बेताब है. ऐसे में कॉरपोरेट इंडिया भला कैसे पीछे रह सकता है. टाटा समूह से लेकर महिंद्रा और मारुति सुजुकी से लेकर गोदरेज, हर कॉरपोरेट घराना अपने कर्मचारियों के लिए कोरोना वैक्सीन जल्द से जल्द लगवाने की रणनीति तैयार करने में लगा हुआ है. इसके अलावा तमाम उद्योग चैम्बर भी अपनी तरफ से 'कॉरपोरेट वैक्सीनेशन प्लान' तैयार करने में जुटे हुए हैं. सभी का मकसद है कि जल्द से जल्द 'कॉरपोरेट वैक्सीनेशन प्रोग्राम' की शुरुआत हो, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटे.
100 से ज़्यादा देशों में 2.5 लाख से ज़्यादा कर्मचारियों वाले महिंद्रा समूह ने अपने कर्मचारियों के लिए वैक्सीनेशन करवाने के लिए रुचि दिखाई है. महिंद्रा समूह के प्रवक्ता ने एबीपी न्यूज़ को बताया, "हमने सरकार द्वारा निर्दिष्ट की जाने वाली प्राथमिकताओं और अनुक्रम के अनुसार, अपने कर्मचारियों के लिए टीके लेने के लिए अपनी रुचि दर्ज की है. हमारा मानना है कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने कर्मचारियों के टीकाकरण की जिम्मेदारी लें, बजाय इसके कि सरकार उन्हें सब्सिडी दे.”
बड़े औद्योगिक घरानों से लेकर देश की तमाम नामचीन कंपनियों के बोर्डरूम में इन दिनों "कॉरपोरेट वैक्सीनेशन प्रोग्राम" को लेकर ही रणनीति तैयार हो रही है. सभी कंपनियां अपने-अपने स्तर से वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से लेकर वैक्सीन सप्लाई करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर्स से संपर्क साधने में जुटी हुई हैं.
लावा ब्रांड के तहत हैंडसेट बेचने वाली और कई अंतरराष्ट्रीय हैंडसेट कंपनियों के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग करने वाली लावा इंटरनेशनल लिमिटेड के डायरेक्टर एस. एन. राय ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि कंपनी के पास लगभग 22-23 हज़ार कर्मचारी हैं. इसके अलावा लगभग 1.5 लाख रिटेलर्स हैं. ऐसे में कंपनी शुरुआत में सभी 22-23 कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए कोरोना टीकाकरण करवाएगी. इसके अलावा कुछ रिटेलर्स और उनके यहां काम करने वाले लोगों का भी टीकाकरण करवाएगी. कुल मिलाकर शुरुआत में 30-40 हज़ार परिवारों के टीकाकरण का लक्ष्य है. अगले 4-5 दिन में कंपनी पूरा प्लान तैयार कर लेगी. कंपनी वैक्सीनेशन प्रोग्राम के साथ-साथ जो दुष्प्रचार फैल रहा है, उसको लेकर भी कर्मचारियों के बीच कैंपेन चलाएगी.
टाटा समूह की कंपनी टाटा स्टील के प्रवक्ता ने एबीपी न्यूज़ को बताया, " भारत सरकार द्वारा तय की गई प्राथमिकता के आधार पर 16 जनवरी से टाटा मेन हॉस्पिटल में 3000 स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ टीकाकरण शुरू हो गया है. हम सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे और जब टीके उपलब्ध कराए जाएंगे, हम अपने कर्मचारियों का दिशानिर्देशों के अनुसार टीकाकरण करेंगे. हमेशा की तरह, टाटा स्टील अपने परिचालन के स्थानों पर अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है."
इसी तरह वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल ने एक ट्वीट कर कहा, "एक जिम्मेदार कॉर्पोरेट के रूप में, वेदांता लिमिटेड सुनिश्चित करेगी कि उसके सभी कर्मचारियों को जल्द से जल्द टीका लगाया जाए."
उद्योग संगठन एसोचैम (assocham) के प्रेजिडेंट विनीत अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि कॉरपोरेट जगत बेसब्री से कोरोना वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा है. जैसे ही सरकार कॉर्पोरेट के लिए गाइडलाइन जारी करेगी, वैसे ही वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो जाएगा. सभी कंपनियां अपने-अपने स्तर से वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूटर्स और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं. अधिकतर कंपनियां अपने CSR फंड से वैक्सीनशन करवाने के लिए तैयार हैं. कॉर्पोरेट सेक्टर में जितनी जल्दी वैक्सीनेशन होगा, इकॉनमी उतनी जल्दी ही पटरी पर आएगी. सभी कंपनियां अपने यहां स्पेशल वैक्सीन ड्राइव चलवाकर जल्द से जल्द अपने कर्मचारियों को वैक्सीन लगवाना चाहती हैं. अब बस इंतज़ार है सरकार की गाइडलाइन्स और वैक्सीन की मौजूदगी का.
कॉरपोरेट जगत जल्द से जल्द वैक्सीनेशन के लिए आतुर 2 वजहों से है. सबसे पहली तो कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और स्तिथियां जल्द से जल्द सामान्य होंगी, तो व्यापार पटरी पर लौटेगा. इसके अलावा कॉरपोरेट जगत का खर्च भी कम होगा और उत्पादगता भी बढ़ेगी. लावा इंटरनेशनल लिमिटेड के डायरेक्टर एस. एन. राय ने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल्स के चलते लागत काफी ज्यादा बढ़ गई है. सभी कर्मचारियों के टीकाकरण के बाद कंपनी को उम्मीद है कि कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन यानी उत्पादन लागत 14-15% कम हो जाएगी. यानी, कंपनियों को ज़्यादा फायदा होगा.
कॉरपोरेट वैक्सीनेशन प्रोग्राम से फायदा सिर्फ कंपनियों को ही नहीं होगा, बल्कि नौकरीपेशा लोगों को भी होगा. एक सर्वे के मुताबिक, कोरोना टीकाकरण के बाद कंपनियां एक बार फिर से हायरिंग शुरू कर देंगी.
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