(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बजट: भारतीय रेल में हो सकता है बड़े निवेश का एलान, यात्री किराए में किया जा सकता है इजाफा
भारतीय रेल को एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैंबजट में भारतीय रेल की सेहत को सुधारने के लिए कुछ बड़े एलान किए जा सकते हैं
नई दिल्ली: एक फ़रवरी को वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी. रेलवे को इस बार के बजट में किस मद में कितना पैसा मिलेगा इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है. लेकिन इतना तय है कि इस बार बजट में रेलवे के इंफ़्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर रहेगा. माना जा रहा है कि रेलवे की ज़रूरतों को देखते हुए ही बजट में रेलवे के लिए धन का आवंटन होगा और इस वक़्त रेलवे का सारा ध्यान अपने इंफ़्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और उसके आधुनिकीकरण पर है.
भारत को है विश्व स्तरीय रेलवे की ज़रूरत
मोदी-2 सरकार में रेलवे की अनेकों समस्याओं का एक हल रेलवे के आधुनिकीकरण में तलाशा जा रहा है. रेल मंत्री पीयूष गोयल कह चुके हैं कि रेलवे की एक-एक समस्या से अलग-अलग निपटने से काम नहीं चलेगा. केवल करोड़ों यात्रियों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए आज ज़रूरत है कि रेलवे के सभी अंगों को विश्व स्तरीय बनाया जाय.
बुलेट ट्रेन के अगले रूट की है तैयारी
अहमदाबाद से मुंबई के लिए बुलेट ट्रेन का काम तेज़ी से चल रहा है. हालांकि महाराष्ट्र में ज़मीन अधिग्रहण को लेकर मुश्किलें बरकरार हैं लेकिन रेलवे के उच्च अधिकारियों का कहना है कि 2023 तक बुलेट ट्रेन कम से कम एक स्ट्रेच में ज़रूर चल सकेगी. साथ ही साथ रेलवे ने छः अन्य बुलेट ट्रेन (हाई स्पीड ट्रेन) रूटों को भी चिन्हित किया है. अगला बुलेट ट्रेन रूट दिल्ली से वाराणसी तक का सम्भावित है जिसे आगे कोलकाता तक करने की योजना है. इस रूट में बुलेट ट्रेन नोएडा, आगरा और लखनऊ होते हुए वाराणसी तक जाएगी.
जल्द आएंगे निजी ट्रेनों के बेड़े
100 रेल रूटों पर डेढ़ सौ ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने की पक्की तैयारी रेलवे ने कर ली है. इसके लिए किस तरीके से निजी क्षेत्र को आकर्षित किया जाए इसके बारे में भी बजट में दिशा निर्देश हो सकते हैं.
डीएफसी के लिए है बड़े बजट की ज़रूरत
पूर्वी और पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर तेजी से काम हो रहा है. अगले वित्त वर्ष में इसके पूरे हो जाने की संभावना है. डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के कई हिस्से अगले वित्त वर्ष में शुरू हो जाएंगे. इसके बाद माल गाड़ियों के डीएफसी पर शिफ़्ट हो जाने के बाद पैसेंजर ट्रैफिक के लिए मौजूदा लाइनों पर काफी स्पेस बचेगा जिसको किस तरीके से जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतारा जाए इसके लिए रेलवे योजनाबद्ध तरीके से काम करेगा. देश के प्रमुख व्यापारिक शहरों को न सिर्फ़ दिल्ली से बल्कि उन्हें आपस में भी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ा जाना है. इस दिशा में भी अन्य डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रूटों के लिए बजट में प्रावधान हो सकता है.
अब देश में सिर्फ़ इलेक्ट्रिक इंजन ही चलेंगे
2024 तक भारतीय रेल का सौ प्रतिशत विद्युतीकरण किए जाने की घोषणा खुद रेल मंत्री कई बार कर चुके हैं इसके लिए जरूरी प्रावधान इस बार के बजट में किए जा सकते हैं.
विश्व स्तरीय सिग्नलिंग प्रणाली
यूरोप की तरह ऑटोमेटिक सिगनलिंग पर भी अगले वित्त वर्ष में काम शुरू हो जाएगा. इस काम में भारी भरकम धनराशि लगेगी. यह धनराशि कहां से आएगी और इस से क्या-क्या फायदे होंगे इसका लेखा-जोखा इस बार के बजट में जरूर दिया जाएगा.
यात्रियों को देना पड़ सकता है स्टेशन यूज़र चार्ज
रेलवे को विश्व स्तरीय बनाने के क्रम में रेलवे का सबसे अधिक ज़ोर स्टेशन रिडिवेलप्मेंट पर है. लेकिन ये काम बहुत सुस्त गति से चल रहा है. इसमें तेज़ी लाने के लिए रेलवे यूज़र चार्जेज़ लगाने पर विचार कर रही है. इस बार के बजट में सरकार इस दिशा में भी कदम उठा सकती है.
घाटे से निकलने के लिए निजीकरण का सहारा
रेलवे के पूर्व सलाहकार सुनील कुमार के अनुसार रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 116 तक पहुंच चुका है. यानी रेलवे को सौ रूपए कमाने के लिए एक सौ सोलह रूपए ख़र्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में इन्वेस्टमेंट, इनकम और एक्सपेंडिचर के मदों में ताल मेल बिठाने के लिए रेलवे पीपीपी मॉडल को रेलवे में बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है.
रोज़गार और कंप्टिटिव प्राइसिंग पर ज़ोर
वर्तमान बीजेपी नेतृत्व की सरकार शुरू से ही रेलवे को रोज़गार के एक बड़े अवसर के रूप में देखती है. देश में बेरोज़गारी बढ़ने के आरोपों के बीच रेलवे एक संकट मोचक साबित हो सकता है. इसके लिए बजट में रेलवे में रोज़गार के अवसर को बढ़ाने सम्बंधी दिशा निर्देश हो सकते हैं साथ ही तेजस की तर्ज़ पर अन्य प्रीमियम ट्रेनों के टिकटों को कंप्टिटिव प्राइसिंग प्रणाली से जोड़ा जा सकता है.
पचास हज़ार करोड़ के ग्रॉस बजटरी सपोर्ट की है ज़रूरत
रेलवे के ऊपर सबसे बड़ा भार पेंशन का है. इसकी वजह से रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो कभी सुधर नहीं पाता. रेलवे बोर्ड के पास ये सुझाव भी आए हैं कि वो अपने ऑपरेटिंग रेश्यो से यात्री किराए की जनरल सब्सिडी और पेंशन को अलग करके दिखाए. लेकिन इन दोनों के बोझ को सहने के लिए रेलवे को पचास हज़ार करोड़ रूपए की सरकारी मदद की ज़रूरत है.
बढ़ सकते हैं किराए
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस बार के बजट में रेलवे के यात्री किराए में बढ़ोतरी सम्भव है. रेलवे अपने ऑपरेटिंग रेश्यो को सुधारने और यात्री सुविधाओं को बढ़ाने के नाम पर हर बार यात्री किराए का प्रस्ताव करती है लेकिन राजनैतिक कारणों से किराए नहीं बढ़ पाते. लेकिन आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक़ इस बार यात्री किराए को बढ़ाने के लिए सरकार काफ़ी दबाव महसूस कर रही है.