Mohan Bhagwat: गुजरात के कच्छ में होने जा रही है RSS की बड़ी बैठक, मोहन भागवत भी होंगे शामिल
Gujarat के अंजार शहर में होने वाली बैठक में सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों के लगभग 300 आरएसएस कार्यकर्ता शामिल होंगे.
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Gujarat News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत 25 और 26 दिसंबर को गुजरात में संगठन के सौराष्ट्र क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बैठक में शामिल होंगे और उनका क्षेत्र में अपना आधार बढ़ाने के बारे में मार्गदर्शन करेंगे. आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा, "कच्छ जिले के अंजार शहर में होने वाली बैठक में सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों के लगभग 300 आरएसएस कार्यकर्ता शामिल होंगे और इस दौरान राज्य के प्रत्येक गांव में शाखाएं स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा."
उन्होंने बताया कि आरएसएस 2025 में 100 साल पूरे करने जा रहा है, जिसके मद्देनजर प्रत्येक गांव में शाखा स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हम अपनी शाखाओं के माध्यम से सभी शहरों और कस्बों में पहुंच बनाने की भी योजना बना रहे हैं. मोहन भागवत 25-26 दिसंबर को होने वाली बैठक में मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. मोहन भागवत संघ की असम यूनिट के एक कार्यक्रम में (11 दिसंबर) को शामिल हुए थे.
'भारत के हर गांव में होनी चाहिए RSS की शाखा'
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (11 दिसंबर) को कहा, ''भारत के हर गांव में आरएसएस की शाखा होनी चाहिए और उसके हर सदस्य को देश की प्रगति के लिए प्रयास करना चाहिए.'' संघ की असम इकाई के कार्यकर्ता शिविर के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि मतभेदों के बावजूद सभी लोगों के लिए राष्ट्र प्राथमिकता है. RSS के एक बयान के अनुसार, ‘‘उन्होंने (भागवत) कहा कि भारत के हर गांव में एक शाखा होनी चाहिए क्योंकि समाज ने संपूर्ण तौर पर उसकी खातिर उसे (शाखा को) काम करने का अवसर दिया है, इसलिए स्वयंसेवकों को आगे बढ़कर समाज का नेतृत्व करना चाहिए.’’
'कमजोर समाज ‘राजनीतिक आजादी’ के फल का आनंद नहीं ले सकता'
आरएसएस प्रमुख भागवत ने आगे कहा, ‘‘भारत के गौरव और विरासत के प्रति पूर्ण निष्ठा के साथ स्वयंसेवकों को देश की तरक्की के लिए काम करना चाहिए.’’ भागवत ने कहा, ‘‘हमें देश के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार रहना होगा. डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने मानव संसाधन विकसित करने के उद्देश्य से 1925 में RSS की स्थापना की थी. हमारे विचारों में भले ही भिन्नता हो लेकिन हमारे मस्तिष्क में भिन्नता नहीं होनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि एक कमजोर समाज ‘राजनीतिक आजादी’ के फल का आनंद नहीं ले सकता हैं.
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