नई दिल्ली: 1000 करोड़ रुपए के कथित हवाला घोटाले के आरोपी चार्ली पेंग के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है. चार्ली पेंग चीन का रहने वाला है और उसका असली नाम लुओ सैंग है. चार्ली से पूछताछ के दौरान जो तथ्य सामने आए हैं उनके आधार पर खुफिया एजेंसियों ने एक बार फिर जांच शुरू कर दी है कि चार्ली कहीं चीनी जासूस तो नहीं है जिसे भारत में दलाई लामा और उनके सहयोगियों पर निगाह रखने के अलावा किसी महत्वपूर्ण मिशन पर भेजा गया हो.


पूछताछ के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं वह एक बड़ी साजिश का खुलासा करते हैं
चार्ली पेंग जिस पर आयकर विभाग ने 2 दिन पहले छापेमारी की थी और आयकर विभाग का दावा है कि छापेमारी के दौरान लगभग 1000 करोड़ रुपए की हवाला घोटाले का पता चला है. महत्वपूर्ण बात यह है कि 40 पूछताछ के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं वह एक बड़ी साजिश का खुलासा करते हैं. पूछताछ में चार्ली ने खुद को तिब्बत का रहने वाला बताया था लेकिन जब उससे गहन पूछताछ हुई तो सच कुछ और ही निकल कर आया.


सूत्रों के मुताबिक चार्ली ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसकी मां ने पहली शादी चीन के तिब्बत इलाके में रहने वाले एक शख्स की थी और जब चार्ली केवल 8 महीने का था तब उसकी मां ने चीन के रहने वाले ली पेंग से दूसरी शादी कर ली और चीन के झिनासु शहर में बस गई जहां चार्ली का दूसरा पिता ऑटो स्पेयर पार्ट्स का काम करता था.


फर्जी पता, फर्जी पासपोर्ट की बात आई सामने
खुफिया एजेंसियों के दस्तावेज में चार्ली की असलियत लिखी हुई है. चार्ली का असली नाम लुओ सैंग, पुत्र थुंग सा निवासी 54/302 जैफंग रोड बैक्सिया नानजिंग झिनासु चीन. इतना ही नहीं चार्ली ने अपने फर्जी नाम से मणिपुर से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था उसका नंबर था एस 1291320. इस पासपोर्ट पर उसकी मां का नाम ड्रोमा पेंग लिखा हुआ है और यह पासपोर्ट मणिपुर पासपोर्ट ऑफिस की फाइल नंबर जी यु 40 62 65 74 90 618 के जरिए बनवाया गया. यह पासपोर्ट 30 सितंबर 2028 को समाप्त होना था. यही नहीं भारत में आने के बाद उसने अपने दो आधार कार्ड और एक पैन कार्ड भी फर्जी बनवाए थे जिससे किसी को यह पता ना चल सके कि वह चीन का रहने वाला है.


जांच एजेंसी के आला अधिकारी ने बताया कि चार्ली ने दिल्ली से भी अपना पासपोर्ट बनवाने की कोशिश की थी लेकिन वह उसमें सफल नहीं हुआ और दिल्ली से उसका पासपोर्ट फार्म रद्द कर दिया गया. इसके बाद उसने अपने कार्यालय में एक आने वाली न्यू जो लड़की से शादी की और मणिपुर से फर्जी पासपोर्ट बनवाया.


चार्ली ने सुनहरा बर्ड प्राइवेट लिमिटेड के नाम से खोली थी कंपनी
जांच एजेंसियों को अब चार्ली चीनी जासूस होने का शक क्यों गहराने लगा है. चार्ली से पूछताछ के दौरान जो तथ्य सामने आए हैं उसके मुताबिक चार्ली बड़ा होने क अपने पिता के पास चीन में ही रहा लेकिन बकौल चार्ली जब वह तीसरी कक्षा में पढ़ता था तभी से उसकी आंखें खराब होती चली गईं जिसके चलते वह पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया.


चार्ली के बयानों के मुताबिक बड़ा होने के बाद वह वापस तिब्बत आया जहां उसने चीनी दवाइयों का धंधा शुरू किया. इसके बाद चार्ली रहस्यमय तरीके से 6 तिब्बतियों के साथ काठमांडू पहुंच गया और काठमांडू में गेलुंग मोनेस्ट्री में रहने लगा. चार्ली अपने बयानों में कहता है कि वह साल 2009 से साल 2014 तक नेपाल की मॉनेस्ट्री में रहा.


चार्ली के मुताबिक इसके बाद वह काठमांडू से दिल्ली आ गया और काठमांडू की नेपाली मोनेस्ट्री से उसने अपने लिए जो कागज बनवाए थे उसी के आधार पर मजनू के टीले के पास रहने लगा. इसके बाद चार्ली दक्षिण भारत के लामाओं को नूडल बेचने लगा. इसके बाद उसने सुनहरा बर्ड प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी गुड़गांव में खोली और इस कंपनी के जरिए वह हवाला का काम करने लगा.


 जांच एजेंसियों को है इस बात का शक
जांच से जुड़े एक आला अधिकारी के मुताबिक चार्ली के पूरे बयानों में चीन में रहने और मोनेस्ट्री में रहने की बातें सामने आई है, जिससे शक पैदा होता है कि चीनी दवाई का धंधा करने वाला चार्ली अचानक मोनेस्ट्री में इतने सालों तक कैसे रहा. जांच एजेंसियों को शक है की चार्ली को निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख दलाई लामा और उनके सहयोगीयों पर नजर रखने के लिए भेजा गया था लेकिन अभी तक इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है.


जांच के दौरान कई अहम खुलासे होने की संभावना
खुफिया सूत्रों के मुताबिक चार्ली से जब पहली बार पूछताछ हुई तो उसने इस बात से इनकार किया कि उसे इंग्लिश हिंदी या बौद्ध भाषा आती है. उससे पूछताछ के लिए चीनी भाषा जाने वाले एक्सपर्ट को बुलाया गया था. जांच एजेंसियां अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि चार्ली का नेटवर्क कहां तक फैला हुआ था और वह चीनी दूतावास में किन किन लोगों के संपर्क में था. साथ ही वह अपने हवाला धंधे को किस तरह से आगे बढ़ा रहा था. जांच के दौरान कई अहम खुलासे होने की संभावना है जिसमें कई भारतीय अधिकारी भी फंस सकते हैं.



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