Allahabad High Court On Bigamy: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहु-विवाह के एक मामले में फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई ऐसा मामला है जिसमें कोई व्यक्ति पहली शादी के रिश्ते में रहते हुए कोई दूसरी शादी करता है तो उसे नौकरी से नहीं हटाया जा सकता. 


दरअसल यूपी के प्रभात भटनागर नाम के एक व्यक्ति ने कोर्ट में एक याचिका दर्ज की. वे बरेली जिला विकास अधिकारी के ऑफिस में कर्मचारी (प्रशिक्षु) थे. लेकिन एक समय पर दो विवाह के आरोप में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि सेवा से बर्खास्त करने से पहले कोई जांच नहीं की गई. उनके विभागीय अपील सरसरी तौर पर खारिज कर दी गई.


प्रभात भटनागर की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. उनकी पहली पत्नी के अलावा किसी का बयान नहीं है और जिस दस्तावेज में उनकी दूसरी पत्नी के साथ उनके शादी की बात दर्ज है उसे भी बाद में सुधारा जा चुका है. 


'भले ही दो शादी हुईं हों, लेकिन...'


मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने कहा कि भले ही दो शादी हुई हो, लेकिन याचिकाकर्ता को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29 में सरकारी कर्मचारी की दूसरी शादी के मामले में केवल मामूली सजा का प्रावधान है.


जल्द से जल्द दी जाए नौकरी- इलाहाबाद हाईकोर्ट


न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने कोर्ट में कहा, ‘हिंदू मैरिज एक्ट,1955 और इंडियन एविडेंस एक्ट,1872 के तथ्यात्मक और कानूनी प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए न्यायालय और संबंधित अधिकारियों के सामने ऐसे कोई भी सबूत मौजूद नहीं है. ऐसे अपराध के लिए मामूली सज़ा का प्रावधान है.’ 


कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नौकरी पर दोबारा बहाल किए जाने का आदेश दिया है. आदेश में कोर्ट ने निर्देश दिया है कि नौकरी से बर्खास्त किए जाने से लेकर अब तक याचिकाकर्ता आर्थिक सहायता दी जाए.


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