बिहार: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यानी एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने मांग की है कि उन्हें क्वारंटीन में भेजा जाए. राज्य के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल एनएमसीएच के 83 जूनियर डॉक्टरों ने खुद को क्वारंटीन में भेजने की मांग करते हुए अधीक्षक को चिट्ठी लिखी है.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ रणविजय भारती ने बताया, "लगातार कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज हम लोग कर रहे हैं. पर एनएमसीएच में जो बुनियादी सुविधा हम डॉक्टरों के लिए होनी चाहिए, वह नहीं है. ना ही हमें सीनियर डॉक्टरों की मदद मिल रही है. ऐसे में पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने के दौरान अगर हम जूनियर डॉक्टरों को कुछ हो जाता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?" इन्हीं मुद्दों को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अधीक्षक को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि कुल 83 जूनियर डॉक्टरों को इससे अलग रखें.
पटना के डीएम कुमार रवि ने इस मामले पर कहा कि मुझे इस बात की अभी तक कोई जानकारी नहीं है. जैसे जानकारी मिलती है मैं आपसे बात करूंगा.
कोरोना वायरस से ग्रसित या संदिग्ध मरीज़ों के लिए नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आई वार्ड, मेडिसिन वार्ड, नशामुक्ति वार्ड, सर्जरी वार्ड, आईसीयू वार्ड को आइसोलेशन वार्ड के लिये चिन्हित किया गया है. 100 बेड बनाने के लिये नालन्दा मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन की कवायद तेज हो गई है. नालन्दा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के कई विभागों से मरीज़ों की छुट्टी कर दी गई है, ताकि कोरोना का कोई संदिग्ध आए, तो उनका इलाज प्रथामिकता से हो सके.
कोरोना वायरस संदिग्ध के जांच सैंपल 6 मार्च से लेकर 23 मार्च की शाम 5 बजे तक कुल 187 नमूने पूरे बिहार से आर.एम.आर.आई. भेजे गए. जिसमें से कोरोना वायरस के तीन मरीजों का टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है. साथ ही 175 कोरोना संदिग्ध मरीज निगेटिव और 9 सैंपल की जांच हो रही है, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है.
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