Bihar Assembly Elections: बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों को लेकर अभी से इंडिया ब्लॉक के अंदर राजनीती शुरू हो गई है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी की बजाय ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक की कमान सौंपने की वकालत कर दी है. इसके बाद से इंडिया ब्लॉक में हलचल मची हुई है.
लालू यादव ने ये दांव बहुत सोच समझकर खेला है. कांग्रेस विधानसभा में अपने दो चहेरों को आगे करने की कोशिश करेगी. लालू किसी भी हाल में इन दोनों चहेरों को तेजस्वी यादव के खिलाफ खड़े होने नहीं देना चाहता है. इसी वजह से उन्होंने पैंतरा बदल लिया है.
जानें क्या है कांग्रेस की रणनीति
तकरीबन तीन दशक से बिहार में कांग्रेस आरजेडी की पिछलग्गू बनी हुई है. हालांकि अब कांग्रेस अपनी छवि बलदने की कोशिश में लग गई है. हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस ने मंथन किया था. इसमें दो बातें मुख्य रूप से सामने आई हैं. पहली बात ये हैं कि गठनात्मक ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है. दूसरा विधानसभा चुनावों में जातीय जनगणना और संविधान पर खतरा जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने की बजाय पार्टी स्थानीय मुद्दों पर ध्यान करने की जरूरत है. कांग्रेस ने इसको लेकर अब तैयारी भी शुरू कर दी है.
कन्हैया को किया जा सकता है आगे
कन्हैया कुमार लंबे समय से कांग्रेस के साथ हैं. उन्हें लंबे समय से पार्टी में कोई भी जिम्मेदारी नहीं मिली है. कांग्रेस उन्हें लोकसभा में बिहार से मौका देना चाहती थी, लेकिन लालू के दबाव में उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली से टिकट दिया था. लेकिन इस बार कांग्रेस किसी के दबाव में आने के मूड में नहीं है.
कांग्रेस ने की 70 सीटों की मांग
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार कांग्रेस के प्रभारी शाहनवाज आलम ने साफ कर दिया है कि इस बार विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा लोकसभा चुनाव के स्ट्राइक रेट के आधार पर होगा. इसके अलावा वो कह चुके हैं कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो दो उप-मुख्यमंत्री होंगे. वहीं, उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सीटों में कटौती स्वीकार्य नहीं करेगी.
कांग्रेस का 'PK' प्लान
कांग्रेस विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को आगे कर सकती है. पप्पू यादव अपने को कांग्रेस का सिपाही मानते हैं. इसके अलावा अपनी जन अधिकार पार्टी का उन्होंने कांग्रेस में विलय भी कराया था. उन्होंने लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से टिकट मांगा था. लेकिन लालू-तेजस्वी ने पहले ही आरजेडी का उम्मीदवार बीमा भारती को घोषित कर दिया. ऐसे में अब वो भी तेजस्वी से बदला लेना चाहेंगे.
वहीं, अगर कन्हैया कुमार की बात करें तो उन्होंने प्रभाव बढ़ाया है. वो तेजस्वी से ज्यादा पढ़े-लिखे भी हैं. इसके अलावा अपने तर्कसंगत भाषणों से कन्हैया प्रभाव छोड़ते हैं. भाजपा की धुर विरोधी होने का लाभ उन्हें बिहार में मिल सकता है.
जानें क्यों लालू ने चला ये दांव
कांग्रेस पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के चेहरे बिहार विधानसभा चुनाव में आगे करना चाहती है. लेकिन लालू यादव को ये पसंद नहीं है. वो चाहते हैं कि कांग्रेस पहले की तरह आरजेडी की पिछलग्गू बनी रहे. ताकि वो सीटों के बंटवारे में उनकी मर्जी चल सके. RJD इस बार कांग्रेस को 70 सीटें देने के मूड में नहीं है. पिछली बार कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत मिली थी. इस वजह से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री भी नहीं बन पाए थे. इसी वजह से लालू इस समय प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं.