Bihar Politics: PK बिहार में पलट देंगे NDA का पूरा खेल? चुनाव अगले साल पर कर दिया वो बड़ा ऐलान जो हिला देगा सबको!
Prashant Kishor News: प्रशांत किशोर ने शनिवार को कहा कि वह सत्ता में आए तो एक घंटे के अंदर बिहार में शराबबंदी को खत्म कर देंगे. उन्होंने इसके अलावा गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर भी कई बड़े ऐलान किए.
Prashant Kishor Attack on Tejashvi Yadav: जाने-माने चुनावी रणनीतिकार, राजनीतिक विश्लेषक और जन सुराज अभियान (दो अक्टूबर, 2024 को सियासी दल बनेगा) के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) ने वो बड़ा सियासी दांव चल दिया है, जो बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का पूरा गेम पलट कर रख सकता है. पीके ने शनिवार (14 सितंबर 2024) को ऐलान किय कि अगर उनके नेतृत्व वाली जन सुराज सत्ता में आती है तब वे लोग बिहार में शराबबंदी को तुरंत खत्म कर देंगे.
न्यूज एजेंसी 'एएनआई' से बातचीत के दौरान पीके बोले, "दो अक्टूबर के लिए किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं है. हम पिछले दो साल से तैयारी कर रहे हैं. अगर जन सुराज की सरकार बनती है तो हम एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे."
बिहार में क्या हैं शराबबंदी के मायने
बिहार की राजनीति में शराबबंदी काफी महत्व रखता है और यही वजह है कि यह राजनीतिक मुद्दा भी बनता रहा है. दरअसल, शराबबंदी के पीछे नीतीश सरकार का मकसद नेक था, लेकिन इससे अलग इसके कई साइड इफेक्ट्स हो रहे हैं जो आर्थिक रूप से पिछड़े इस राज्य के लिए सही नहीं है. आंकड़ों पर नजर डालें तो शराबबंदी से बिहार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है और अब भी हो रहा है. अनुमान के मुताबिक साल 2015 में शराब से होने वाली एक्साइज़ ड्यूटी से राज्य को 4,000 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक राज्य को करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. मद्य निषेध उत्पाद विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शराबबंदी से हर साल 10000 करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान हो रहा है.
इसके अलावा शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब का अवैध धंधा चल रहा है. माफिया शराबबंदी की आड़ में करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं. इन सबसे अलग शराबबंदी के बाद भी बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है.
बिहार चुनाव पर यह फैसला/ऐलान कैसे डालेगा?
अगर शराबबंदी के फैसले को लेकर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर असर के लिहाज से देखें तो यह काफी महत्व रखेगा. दरअसल, लंबे समय से कई लोग इसे हटाने की मांग कर रहे हैं. कारोबारी से लेकर आम लोगों तक ऐसे लोगों की संख्या अच्छी खासी है जो शराबबंदी हटाने के पक्ष में हैं. इसके अलावा शराबबंदी हटती है तो राजस्व का नुकसान भी कम होगा. ऐसे में राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है.
मौजूदा समय में क्या सियासी स्थिति है?
शराबबंदी को लेकर मौजूदा सियासी स्थिति को देखें तो यह काफी दिलचस्प है. नीतीश कुमार एनडीए के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. इसी एनडीए में शामिल बिहार के पूर्व सीएम और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी कई बार शराबबंदी को गलत बता चुके हैं और वह इसे हटाने की मांग कर चुके हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भी वह इस मांग पर कायम रहते हैं या नहीं. विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ. संजय जायसवाल ने भी इस कानून पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई थी.
तेजस्वी यादव पर क्या कहा?
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव की यात्रा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया, "उन्हें मेरी शुभकामनाएं...कम से कम वे घर से बाहर तो निकले और जनता के बीच तो गए." तेजस्वी यादव के इस दावे के बाद कि नीतीश कुमार ने भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी है, राजद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच चल रहे वाकयुद्ध पर टिप्पणी करते हुए किशोर ने कहा कि दोनों नेताओं ने बिहार को नुकसान पहुंचाया है.
सरकारी स्कूलों की दशा सुधरने तक गरीब से गरीब बच्चे के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था कैसे करेगा जन सुराज? pic.twitter.com/mGISD6Awvt
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) September 15, 2024
एक बार फिर उठाया तेजस्वी यादव की शिक्षा का मुद्दा
पीके आगे बोले, "यह मामला नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच का है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसने किससे हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी; दोनों ने बिहार को नुकसान पहुंचाया है. बिहार के लोगों ने 30 साल तक दोनों को देखा है. हम दोनों से बिहार छोड़ने का आग्रह कर रहे हैं." चुनावी रणनीतिकार ने इससे पहले बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर तीखा हमला किया और राज्य के विकास का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाया.
बिहार के भोजपुर में जन सभा को संबोधित करते हुए किशोर ने कहा, "अगर कोई संसाधनों की कमी के कारण शिक्षित नहीं हो पाता है, तो यह समझ में आता है। लेकिन अगर किसी के माता-पिता मुख्यमंत्री थे और वह 10वीं कक्षा पास नहीं कर पाया, तो यह शिक्षा के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है."
कष्ट का जीवन जीने के बाद भी एक ही नेता बार-बार जीत रहा है तो कैसे सुधेरगी स्थिति? pic.twitter.com/iJEUmVIbSu
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) September 14, 2024
'9वीं कक्षा फेल आदमी बता रहा बिहार के विकास का रास्ता'
तेजस्वी यादव की शैक्षिक पृष्ठभूमि की आलोचना करते हुए, किशोर ने विडंबना को उजागर करते हुए कहा, "9वीं कक्षा का ड्रॉपआउट बिहार के विकास का रास्ता दिखा रहा है. वह (तेजस्वी यादव) जीडीपी और जीडीपी वृद्धि के बीच अंतर नहीं जानते हैं, फिर भी वह दावा करते हैं कि उन्हें पता है कि बिहार कैसे सुधरेगा." किशोर ने तेजस्वी यादव की साख पर भी सवाल उठाए और कहा कि नेतृत्व का उनका एकमात्र दावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का बेटा होना और पारिवारिक संबंधों के कारण राजद में नेता होना है. किशोर ने तर्क दिया कि अगर तेजस्वी लालू यादव के बेटे होने से परे अपनी प्रतिष्ठा बनाना चाहते हैं तो उन्हें कड़ी मेहनत करने और अपने कार्यों के माध्यम से खुद को साबित करने की आवश्यकता है.
गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए कर दिया ये बड़ा वादा
50 हजार करोड़ रुपया आपके और हमारे बच्चों की पढ़ाई के नाम पर खर्च हो रहा है और गरीब का 50 बच्चा भी नहीं पढ़ रहा है. हर कोई ऊपर से नीचे तक पैसा लूट रहा है. इसलिए तय हुआ कि अगले वर्ष जब जनता का राज बनेगा तब गरीब से गरीब घर के बच्चे को कपड़ा, लता और पढ़ाई का खर्चा सरकार की तरफ से दिया जाएगा. सरकारी स्कूल में पढ़ाई हो या न हो, जब तक सरकारी स्कूल का हाल नहीं सुधरेगा तब तक अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भेजिए. उसका फीस सरकार भरेगी, ताकि गरीब का बच्चा भी बढ़ियां अंग्रेजी स्कूल में पढ़े इसका जिम्मा सरकार का होना चाहिए.
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