बिहार: जोकीहाट उपचुनाव में RJD की जीत, क्या नीतीश से दूर हो रहे हैं मुस्लिम?
बिहार में सांप्रदायिक हिंसा में आई तेजी की वजह से नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' वाली छवि को झटका लगा. नीतीश कुमार से मुस्लिम वोटर नाराज होते चले गये. एक बार फिर लालू यादव ने M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण का कार्ड खेला और वह सफल रहे.
पटना: पेशे से कभी इंजीनियर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर लालू प्रसाद यादव की सोशल इंजीनियरिंग के आगे पस्त दिख रहे हैं. अररिया लोकसभा सीट पर करारी शिकस्त के बाद अब जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट पर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को मुंह की खानी पड़ी है. लालू की पार्टी आरजेडी के शहनवाज़ आलम ने जेडीयू उम्मीदवार मुर्शिद आलम को 41 हजार 224 वोटों से हराया है. अररिया जिले में मुसलमानों की खासी तादाद है और इस जिले की जोकीहाट सीट पर साल 2005 से ही जेडीयू का कब्जा था. ताजा परिणाम से साफ है कि मुस्लिम वोटरों का जेडीयू से मोह भंग हो रहा है.
दरअसल, 2005 में लालू विरोधी लहर के बाद नीतीश जब सत्ता में आए तो उन्होंने मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाना शुरू किया. वह सफल रहे. चुनावों में बीजेपी के साथ रहने के बावजूद मुस्लिम वोटरों ने नीतीश को वोट किया. लेकिन 2014 में सूबे की सियासत में बड़ा बदलाव आया. नीतीश बीजेपी से अलग हुए. अकेले चुनाव लड़े और हार मिली. आरजेडी भी मोदी की आंधी में बह गयी. 2015 में बिहार में नया सियासी समीकरण बना. बीजेपी को शिकस्त देने के लिए लालू यादव ने महागठबंधन का फॉर्मूला दिया. नीतीश साथ आए. 2014 लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित बीजेपी को विधानसभा चुनाव में बड़ी हार मिली. ज्यादा सीट होने के बावजूद लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन यह महागठबंधन दो साल भी नहीं चला. नीतीश कुमार ने लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. कुछ ही घंटों में बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा सरकार बना ली. नीतीश के इस फैसले से नाराज मुस्लिम मतदाताओं ने अपना फैसला अब उपचुनाव परिणाम में सुनाया है. बीजेपी पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप विपक्षी दल लगाते रहे हैं.
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27 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद औरंगाबाद, भागलपुर, मुंगेर, नवादा, रोसड़ा समेत कई जगहों पर छोटी-बड़ी सांप्रदायिक हिंसा हुई. मॉब लिंचिंग की वारदातें भी सामने आई. कईयों को जान गंवानी पड़ी. इस हिंसा में बीजेपी और हिंदुत्वादी संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. विपक्षी के हमलों के बावजूद हिंसा के दौरान नीतीश कुमार ने लंबे समय तक चुप्पी साधी रखी. सांप्रदायिक हिंसा में आई तेजी की वजह से नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' वाली छवि को झटका लगा. नीतीश कुमार से मुस्लिम वोटर नाराज होते चले गये. एक बार फिर लालू यादव ने M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण का कार्ड खेला और वह सफल रहे. चारा घोटाला में दोषी ठहराए जाने के बावजूद उपचुनाव में जनता ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी पर भरोसा जताया. लालू के बेटे और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आक्रामक ढंग से प्रचार किये. अब जीत मिली तो तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि जनता के प्रेम, समर्थन और विश्वास के आगे विनम्रतापूर्वक नतमस्तक हूं. ये जनता की जीत है.
क्यों हुआ जोकिहाट चुनाव? जोकीहाट विधानसभा सीट स्थानीय JDU विधायक सरफराज आलम के इस्तीफे से खाली हुई. दरअसल, सरफराज आलम अपने पिता तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद JDU से इस्तीफा देकर आरजेडी में शामिल हुए और इसी पार्टी से अररिया से सांसद चुने गए, जो उनके पिता के निधन से खाली हुई थी.
अब जोकीहाट से आरजेडी ने सरफराज के भाई शाहनवाज को मैदान में उतारा. दूसरी तरफ जेडीयू के मोहम्मद मुर्शीद आलम ने एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमाया. शाहनवाज और मुर्शिद के अलावा मधेपुरा से आरजेडी से निष्कासित सांसद पप्पू यादव की जनाधिकार पार्टी के उम्मीदवार गौसुल आजम भी मैदान में थे. मुर्शीद आलम पर सात आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें एक गैंगरेप का मामला भी शामिल है. एक अन्य केस में पुलिस ने मंदिर से चोरी की गई मूर्ति को भी उनके घर से बरामद किया है.
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