नई दिल्ली: बिहार में एक लोकसभा और दो विधानसभा क्षेत्र में कल रविवार को उपचुनाव होने हैं. महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होने वाले नीतीश कुमार की अग्नि परीक्षा है, जबकि तेजस्वी यादव के लिए यह राजनीतिक जीवन की पहली परीक्षा है. प्रचार में सबने ताकत लगा दी. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर जनादेश के अपमान का आरोप लगाया. महागठबंधन के नेताओं ने जनता के बीच जोर-शोर से इस मसले को चुनावी मुद्दा बनाया है.
2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर देश की नज़र है. बिहार में साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से आज का राजनीतिक माहौल बदला सा है. उस समय राज्य के सभी मुख्य दल आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और बीजेपी ने चुनावी मैदान में अलग-अलग रहकर किस्मत आजमाई थी. उस वक्त बीजेपी ने रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के साथ मज़बूत गठजोड़ बनाया था. विपक्ष पूरी तरह बिखरा था.
हालांकि, 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद अररिया संसदीय क्षेत्र से आरजेडी के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन लगभग 4.70 लाख वोट लाकर विजयी रहे थे. बीजेपी को करीब 2.60 लाख तो जेडीयू को करीब 2.20 लाख वोट मिले थे. तस्लीमुद्दीन के निधन से यह सीट खाली हुई. अब उनके बेटे सरफराज आलम नीतीश-मोदी की जोड़ी को चनौती दे रहे हैं.
उधर 2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए के बीच लड़ाई हुई थी. महागठबंधन में राज्य के तीन प्रमुख दल आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस एक साथ थे तो वहीं बीजेपी के साथ रामविलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी थे. जहानाबाद से आरजेडी ने 76 हजार वोट हासिल कर एनडीए के सहयोगी रालोसपा को 40 हजार से अधिक मतों से हराया था. वहीं भभुआ से बीजेपी ने करीब 50 हजार वोट लाकर जेडीयू को सात हजार मतों से हराया था.
अब एक बार फिर उलट फेर हो चुका है. राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं. आज के चुनाव में जेडीयू-एनडीए के साथ आ गया है. उधर महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल के कद्दावर नेता लालू प्रसाद जेल में हैं. टक्कर ज़ोरदार है. साख सबको बचानी है पर जनता के मन में क्या है वो ईवीएम में बटन दबा कर जता देगी. रविवार को सुबह 7 बजे से मतदान शुरू होगा.