Bihar Caste Based Census: बिहार के जाति आधारित सर्वे पर पटना हाई कोर्ट की अंतरिम रोक हटाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट ने सर्वे को प्रथमदृष्टया असंवैधानिक मानते हुए अंतरिम रोक लगाई है. बेहतर है, पहले वहीं सुनवाई हो. 3 जुलाई को हाई कोर्ट को मामला सुनना है. ऐसे में अगर हाई कोर्ट मामला नहीं सुनता तो 14 जुलाई को हमें जानकारी दीजिए.


सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को अगली सुनवाई होगी. इससे पहले 3 मई को पटना हाई कोर्ट ने जाति आधारित सर्वे पर सवाल उठाते हुए अंतरिम रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट ने 3 जुलाई से मामले पर अंतिम सुनवाई की बात कही है. बिहार सरकार ने हाई कोर्ट से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इससे मना कर दिया था.

 

बिहार सरकार ने क्या दलील दी?
बिहार सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने जिरह की. उन्होंने कहा कि सर्वे का ज़्यादातर काम पूरा हो गया है. सिर्फ 10 दिन का काम बाकी है. इसे चलने दिया जाना चाहिए. यह सही है कि जनगणना का अधिकार राज्य सरकार को नहीं होता, लेकिन बिहार में जनगणना नहीं, सर्वे चल रहा है. इसका उद्देश्य हर वर्ग के लोगों की पहचान कर उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करवाना है. यह दलील बिहार सरकार ने हाई कोर्ट में भी रखी थी,  लेकिन याचिकाकर्ता 'यूथ फ़ॉर इक्वलिटी' की याचिका को सुनते हुए हाई कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे.

 

हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

हाई कोर्ट ने इस बात पर भी विचार की ज़रूरत बताई थी कि क्या लोगों से उनकी जाति पूछना निजता के अधिकार का हनन है. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि जनगणना केंद्रीय सूची का विषय है. इसके अलावा हाई कोर्ट में यह सवाल भी उठा था कि बिहार में जातिगत सर्वे विधानसभा से पारित कानून के ज़रिए नहीं, प्रशासनिक आदेश से हो रहा है.


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने हाई कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक हटाने से मना कर दिया. बेंच ने हाई कोर्ट को जल्द सुनवाई का निर्देश देने से भी मना किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामला अपने पास लंबित रखते हुए 14 जुलाई को अगली सुनवाई की बात कही है.



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