Bihar Caste Census: ट्रांसजेंडर कम्युनिटी बिहार में हो रही जातिगत जनगणना को भेदभाव वाला बताते हुए पटना हाई कोर्ट पहुंच गई है. ट्रांसजेंडर लोगों की तरफ से कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर करते हुए सोशल एक्टिविस्ट रेशमा प्रसाद ने इसे राजनीतिक करार दिया.


बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर दूसरा चरण शनिवार (15 अप्रैल) शे शुरू हुआ है, जो कि 15 मई तक चलेगा. इसमें थर्ड जेंडर के लिए 22 नंबर आवंटित किया गया है. इसको लेकर पीआईएस में कहा गया कि ट्रांसजेंडर को इसमें जाति बता देना गलत है. 


याचिका में क्या कहा गया?


रेशमा प्रसाद (Reshma Prasad) ने कहा, ''मैं जातिगत जनगणना की पूरी प्रक्रिया को गलत नहीं कह रही लेकिन ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को एक कास्ट में कर देना बिल्कुल गलत है. अंतर्राष्ट्रीय गाइडलाइन और एनएलएसए (National Legal Services Authority- NLSA) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया ने हमें लैंगिक पहचान दी है ना कि जातिगत पहचान. बिहार के अलावा किसी और देश या राज्य ने ऐसा नहीं किया है. यह निंदनीय है.


प्रसाद ने याचिका में कहा कि ट्रांसजेंडर को एक जाति बता देना असवैंधानिक है. यह अनुच्छेद 14, 15, 16, 19 (1) के तहत नहीं है. अनुच्छेद 14 और 16 हमें समानता, 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात तो 21 में जीने का अधिकार देता है. ऐसे में यह सही नहीं है.  


क्या तर्क दिए?


एक न्यूज वेबसाइट से बात करते हुए बीपीएससी की तैयारी कर रही मधु ने कहा कि मेरी पहचान एक ट्रांस महिला के रूप में है. यह बहुत गलत है कि मुझे ट्रांसजेंडर जाति बोला जाएगा क्योंकि मेरी एक कास्ट पहचान पहले से ही है. सरकार को इस पर सोचना चाहिए है. 


बिहार पुलिस में जाने की तैयारी कर रही और ट्रांस महिला अधविका चौधरी ने सवाल किया कि क्या सरकारी अफसरों की लैंगिक पहचान जाति है या फिर उनकी एक खुद ही पहले से कास्ट है. 


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