Bihar Economic Survey: बिहार विधानसभा में मंगलवार (8 नवंबर 2023) को पेश की गई जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में एक तिहाई से अधिक परिवार प्रतिदिन 200 रुपये या उससे कम की आय पर गुजारा कर रहे हैं, जबकि समान कमाई पर जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) परिवारों की संख्या लगभग 43 प्रतिशत है.
सीएम नीतीश कुमार ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का इरादा व्यक्त किया और कहा कि इस आशय का एक कानून विधानमंडल के चालू सत्र में लाए जाने की संभावना है. नीतीश ने अपनी सरकार द्वारा कराए गए जाति सर्वेक्षण पर एक विस्तृत रिपोर्ट दोनों सदनों में पेश किए जाने के बाद हुई चर्चा में भाग लेते हुए यह बयान दिया.
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट?
बिहार विधानसभा में पेश की गई सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (27.13 प्रतिशत) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग उपसमूह (36 प्रतिशत) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है जबकि एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं. रिपोर्ट के अनुसार राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार हैं जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) 6000 रुपये या उससे कम मासिक आय पर जीवन यापन कर रहे हैं.
हर गरीब परिवार को देंगे दो लाख रुपये
बिहार के सीएम ने कहा, जिन परिवारों की मासिक आय 94 लाख रुपये से कम है हम उन परिवारों को निर्माण कार्य करने के लिए दो-दो लाख रुपये की सहायता देने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा उनकी सरकार ने आवास निर्माण के लिए ऐसे प्रत्येक परिवार जिनके पास रहने के लिए कोई घर नहीं है, को एक लाख रुपये देने की योजना बनाई है. नीतीश ने कहा, ‘‘अगर हमें (बिहार को) विशेष श्रेणी का दर्जा मिलता है तो हम दो से तीन वर्षों में अपने लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होंगे.’
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