बिहार में जाति वाले सर्वे की रिपोर्ट सामने आ गई. मोटी बात ये है कि बिहार में करीब 85 फीसदी आबादी OBC, SC और ST समुदाय की है. रिपोर्ट आने के बाद राहुल गांधी से लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव सबके रिएक्शन आए और जातीय जनगणना को देश के लिए जरूरी बताया गया.
नीतीश सरकार की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अत्यंत पिछड़ा (ईबीसी) की आबादी 36.01 फीसदी, पिछड़ा वर्ग (OBC) 27.12 फीसदी, एससी 19.65 फीसदी, एसटी 1.68 फीसदी और जनरल कैटेगरी की आबादी 15.52 फीसदी है.
जाति वार देखें किसकी कितनी है आबादी?
सर्वे के आंकड़े जाड़ी होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सब कुछ करने के बाद नतीजा सामने आया है. हमने हर परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली है. कल (मंगलवार, 3 अक्टूबर) को सर्वदलीय बैठक में हम सारी बातें सबके सामने रखेंगे. बैठक में सबकी राय लेकर सरकार सभी जरूरी कदम उठाएगी.
ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने- लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, ''गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं. बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया.''
उन्होंने लिखा, ''सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे.''
जातिगत आंकड़े जानना जरूरी- राहुल गांधी
जातिगत सर्वे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस सांसद एक्स पर लिखा, ''बिहार की जातिगत गणना से पता चला कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5 फीसदी बजट संभालते हैं. इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है. जितनी आबादी, उतना हक - ये हमारा प्रण है.''
पीएम मोदी ने कसा तंज
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिगत सर्वे की ओर इशारा करते हुए विपक्ष पर तंज कसा. उन्होंने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ''...विकास विरोधी लोगों को देश ने छह दशक दिए थे, 60 साल कोई कम समय नहीं होता है, अगर 9 साल में इतना काम हो सकता है तो 60 साल में कितना हो सकता था. उनके पास भी मौका था, वो नहीं कर पाए, यह उनकी नाकामी है, वे तब भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे, आज भी वही खेल खेल रहे हैं. वो तब भी जाति-पाति के नाम पर समाज को बांटते थे, आज भी वही पाप कर रहे हैं...''
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