Bihar Caste Survey: बिहार में हुए जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद विपक्षी दलों ने जाति जनगणना की मांग को और हवा देने की कोशिश शुरू कर दी है. कांग्रेस और आरजेडी ने जिनकी जितनी आबादी, उतना हक की बात कही है. इसी को लेकर मंगलवार (3 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पलटवार किया और कहा कि ये लोग समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं.


10 बड़ी बातें...


1. जाति आधारित गणना की विपक्षी दलों की मांग के बीच पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में कांग्रेस पर किसी भी कीमत पर देश के हिंदुओं को बांटने और भारत को तबाह कर देने की चाहत रखने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि उनके लिए गरीब ही सबसे बड़ी जाति और सबसे बड़ी आबादी है. उन्होंने कहा, ‘‘कल से कांग्रेस ने एक अलग राग अलापना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के नेता कहते हैं कि जितनी आबादी उतना हक है. मैं कहता हूं कि इस देश में अगर कोई सबसे बड़ी आबादी है, तो वह गरीब की है. इस कारण मेरे लिए गरीब ही सबसे बड़ी आबादी है और गरीब का कल्याण यही मेरा मकसद है.’’


2. पीएम मोदी ने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या सोच रहे होंगे? मनमोहन सिंह कहते थे कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है और उनमें भी पहला अधिकार मुसलमानों का है, लेकिन अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि किसे कितना अधिकार मिलेगा. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या अल्पसंख्यकों को कांग्रेस हटाना चाहती है? तो क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदू अब आगे बढ़कर अपने सारे हक ले लें?’’


3. पीएम मोदी ने तेलंगाना के निजामाबाद में भी कांग्रेस पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा,  ''कांग्रेस ने सत्ता भूख के लिए, सत्ता हथियाने के लिए एक नई भाषा बोलना शुरू किया है. आज कल क्या कह रहे हैं जितनी आबादी उतना हक. मैं जरा पूछना चाहता हूं कि जिन्होंने ये वाक्य लिखकर दिया है. उसने सोचा है क्या जब तुम कह रहे हो तो कांग्रेस की मूलभूत नीतियों पर ही सवाल खड़ी कर रहे हो. जब आप कहते हैं जितनी आबादी उतना हक. इसका मतलब ये हुआ कि अब कांग्रेस घोषणा करे कि क्या आप अल्पसंख्यकों के विरोधी है? कांग्रेस साफ करे कि आप दक्षिण भारत के विरोधी हैं क्या.''


4. पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया. कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ''जो देश की सारी संपत्ति अपने ख़ास मित्रों के हाथों में सौंप रहे हैं. जिन्होंने मनरेगा का मजाक उड़ाया. जिन्होंने कोविड के समय श्रमिकों को हजारों किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर किया.  जिन्होंने खाद्य सुरक्षा अधिनियम का विरोध किया. वह आज गरीबों की बात कर रहे हैं. सच यह है कि ये डरे हुए हैं. पिछले 9.5 सालों में इन्होंने पिछड़े वर्ग के साथ विश्वासघात किया है. इस कारण सामाजिक न्याय और जाति जनगणना से भाग रहे हैं.''


5. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े सामने आने के बाद सोमवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा था, ‘‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ़ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!’’उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ - ये हमारा प्रण है.’’


6. बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि ये पूरे देश में होना चाहिए है. उन्होंने कहा, ''हमने बिहार में किया और ये पूरे देश में होना चाहिए है. इससे गरीबों और दलितों को लाभ होगा.'' उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कि इन्होंने कई दिनों तक लोगों का हक मारा है.  


7. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह बिहार में जाति सर्वेक्षण की अनुमति प्रदान करने से संबंधित पटना हाई कोर्ट के एक अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर छह अक्टूबर को सुनवाई करेगा. जस्टिस संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि उसने सुनवाई के लिए याचिकाओं को सूचीबद्ध कर लिया है. 


8. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेतृत्व में मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित 'संवाद' में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर सर्वदलीय बैठक हुई. बैठक में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डॉ बी राजेन्दर ने सभी बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी. मीटिंग में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान समेत 9 दलों के नेता मौजूद रहे. बीेजेपी ने मीटिंग के बाद कहा कि जातीय गणना हड़बड़ी में कराई गई है. 


9. जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी होने के एक दिन बाद मंगलवार को बीजेपी के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राष्ट्रव्यापी जाति आधारित गणना की वकालत की. उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए समर्पित एक अलग मंत्रालय गठित करने की मांग भी की.  पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना बेहद जरूरी है, ताकि पिछड़ी जातियों के बारे में उनकी जनसंख्या सहित प्रामाणिक आंकड़े पता चल सकें और उनकी समस्याओं और मुद्दों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सके.  पिछड़े समुदाय की नेता पटेल ने कहा कि अपना दल (एस) हमेशा से जातिगत जनगणना के पक्ष में रहा है. 


10. बिहार सरकार जाति आधारित सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ है. इसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27.13 प्रतिशत है.  सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय, जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. वहीं अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है. 


इनपुट भाषा से भी. 


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