Bihar Caste Survey : लंबे विवाद और कानूनी दांव-पेच के बाद आखिरकार बिहार सरकार ने सोमवार (2 अक्टूबर) को जातिगत सर्वे का आंकड़ा जारी कर दिया है. इसके मुताबिक राज्य में कुल 209 जातियां हैं. इनकी कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है.
इनमें से मुसलमानों की आबादी महज 17.7 फीसदी है, जबकि हिंदू 81.9 फीसदी हैं. ईसाई 0.05 फीसदी, सिख 0.01 फीसदी, बौद्ध 01.01 फीसदी और जैनियों की आबादी 0.0096 फीसदी है. अन्य धर्म के लोग भी 0.12 प्रतिशत की संख्या में बिहार में रहते हैं.
यादवों की आबादी सबसे ज्यादा
हिंदुओं में सबसे ज्यादा आबादी यादवों की है. जातीय सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक यादव 14.266 फीसदी हैं, जबकि दूसरे नंबर पर पासवान (दुसाध) जाति के लोग हैं. इनकी आबादी 5.311 फीसदी हैं. तीसरे नंबर पर चमार जाति के लोग हैं. इनकी संख्या 5.255 फीसदी है.
भूमिहार-राजपूत से ज्यादा हैं ब्राह्मण
बिहार में ब्राह्मणों की संख्या राजपूत और भूमिहारों से अधिक है. जातिगत सर्वे के मुताबिक 3.657 फीसदी ब्राह्मण हैं, जबकि राजपूतों की संख्या महज 3.45 फीसदी है. वही भूमिहारों की आबादी की बात करें तो उनकी संख्या 2.86 फीसदी है. कायस्थ जातियों की संख्या महज 0.60 प्रतिशत है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस कुर्मी जाति से आते हैं, उसकी संख्या 2.87 फीसदी और कुशवाहा की संख्या 4.27 प्रतिशत है.
टॉप पांच आबादी वाली जातियां
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, यादवों की संख्या एक करोड़ 86 लाख 50 हजार 119 है, जबकि दुसाध जाति के लोगों की संख्या 69 लाख 43 हजार है. चमार जाति के लोग 68 लाख 69 हजार 664 हैं. कुशवाहा जाति के 55 लाख 60 हजार 113 लोग हैं. हिंदुओं में पांचवें नंबर पर ब्राह्मणों की संख्या है. इनकी आबादी 47 लाख 81 हजार 280 है. सीएम नीतीश कुमार की जाति के लोग 10वें नंबर पर है, जबकि भूमिहारों (भूमिहार-ब्राह्मण) की संख्या राज्य की 10 शीर्ष आबादी वाली जातियों से भी बाहर है.
किस समुदाय का कितना प्रतिशत
जातिगत सर्वे के आंकड़े में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी 27 फीसदी हैं. अनुसूचित जातियां 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजातियां 1.68 फीसदी हैं, जबकि अगड़ी जातियों की बात की जाए तो उनकी आबादी कुल 15.52 फीसदी है.
बिहार में जातिगत सर्वे काफी विवादित रहा है इसके खिलाफ हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिकाएं लगीं. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने पर सर्वे का काम पूरा किया गया था और अब आंकड़ा जारी कर दिया गया है. दिलचस्प बात यह है भी कि जातिगत जनगणना के लिए सभी दलों की सहमति से बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित किया गया था.
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