साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार की कुल जनसंख्या 10 करोड़ 38 लाख 4 हजार 637 है और इनमें सबसे बड़ा वर्ग मुस्लिम, अनुसूचित जाति और अति पिछड़ा वर्ग का है. फिर भी विधानसभा में इनकी आबादी कम है. बिहार की सियासत में यादव, कुर्मी, ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, कुशवाहा और बनियों का बोलबाला रहा है. इनमें कुछ जातियां तो ऐसी हैं जो राज्य में माइनॉरिटी में हैं, लेकिन विधानसभा में इनकी हिस्सेदारी इनकी आबादी का दोगुना है. आइए जानते हैं बिहार की सियासत में जातियों का खेल. आंकड़ों से समझते हैं कौन सी जातियां माइनॉरिटी में हैं ,लेकिन विधानसभा में इनकी मौजोरिटी है और किनकी मैजोरिटी होने के बावजूद बिहार की सियासत में माइनोरिटी है- 


बिहार में जातिगत सर्वे की रिपोर्ट सामने आने के बाद 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' की मांग जोर पकड़ रही है. मंगलवार को नीतीश कुमार सरकार ने जातिगत सर्वे की रिपोर्ट पेश की. इसके मुताबिक, मुसलमानों की 17.7 फीसदी, अनुसूचित जातियों की 19.65 प्रतिशत और अति पिछड़ा वर्ग की 36.01 फीसदी आबादी बिहार में रहती है, लेकिन विधानसभा में इनकी हिस्सेदारी देखी जाए तो इन समुदायों के विधायकों की संख्या काफी कम है.


क्या कहते हैं आंकड़े?
बिहार विधानसभा में 19 मुस्लिम, अनुसूचित जाति के 38 और अति पिछड़ा वर्ग के 28 विधायक हैं यानी आबादी की तुलना में विधानसभा में इनकी हिस्सेदारी क्रमश: 7.81%, 15.63 और 11.52% है. वहीं, उन जातियों की बात करें, जिनका बिहार की राजनीति में वर्चस्व रहा है तो ब्राह्मणों की आबादी 3.65 प्रतिशत, यादवों की 14.26 प्रतिशत, भूमिहार की 2.86 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत, कुशवाहा की 4.21 प्रतिशत, कुर्मी की 2.87 प्रतिशत और बनिया की 2.31 प्रतिशत आबादी रहती है. राज्य की सियासत में इन जातियों का बोलबाला रहा है और इन्हीं के सबसे ज्यादा लोग विधानसभा पहुंचते हैं. मौजूदा समय में बिहार विधानसभा में भूमिहार की हिस्सेदारी 6.58 प्रतिशत, राजपूत 10.69 प्रतिशत, कुशवाहा की 5.76 प्रतिशत, कुर्मी की 4.52 प्रतिशत और बनिया की 6.99 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 55 यादव विधायक, 11 कुर्मी विधायक, 14 कुशवाहा विधायक, 17 बनिया विधायक, 14 ब्राह्मण विधायक और 26 राजपूत विधायक हैं.


आबादी से दोगुनी विधानसभा में हिस्सेदारी
ताजा आंकड़ों से एक और नई बात देखने को मिली है कि बनिया, कुर्मी, ब्राह्मण और बनिया, कायस्थ समेत कई जातियां ऐसी हैं, जिनकी विधानसभा में हिस्सेदारी राज्य में अपनी आबादी का दोगुना है. यादवों का आबादी का प्रतिशत 14.26 है लेकिन विधानसभा में हिस्सेदारी 22.36 प्रतिशत है. इसी तरह ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, कुशवाहा, कुर्मी, बनिया और कायस्थों की कुल आबादी क्रमश: 3.65 प्रतिशत, 2.86 प्रतिशत,  3.45 प्रतिशत, 4.21 प्रतिशत, 2.87 प्रतिशत, 2.31 प्रतिशत और 0.60 प्रतिशत है. वहीं, विधानसभा में इनकी हिस्सेदारी, 5.76 फीसदी, 6.58 फीसदी, 10.69 फीसदी, 5.76 फीसदी. 4.52 फीसदी, 6.99 फीसदी और 1.23 फीसदी है. यह संख्या इनकी आबादी की तुलना में दोगुनी है.


किस जाति की कितनी आबादी
बिहार में हिंदुओं में ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और कायस्थ जनरल कैटेगरी में आते हैं. इनकी आबादी क्रमश: 3.65%, 3.45%, 2.86% और 0.60% है. वहीं, मुसलमानों की शेख, पठान, मलिक और मोगल जैनरल कैटेगरी की जातियां है, जिनकी आबादी 3.82%, 7.548%, 0.0854% और 0.8032% है. राज्य में हिंदू 81.99 फीसदी, मुस्लिम 17.70 फीसदी और अन्य 0.31 फीसदी हैं. हिंदुओं में सबसे ज्यादा 14.26 फीसदी हिस्सेदारी यादवों की है. इसके बाद ब्राह्मण 3.65 फीसदी, राजपूत 3.45 फीसदी, भूमिहार 2.86 फीसदी, कायस्थ 0.60 फीसदी, कुर्मी 2.87 फीसदी, तेली 2.81 फीसदी, मुसहर 3.08 फीसदी, मल्लाह 2.60 फीसदी, बनिया 2.31 फीसदी और सोनार 0.68 फीसदी हैं