साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. तैयारी के मामले में फिलहाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे आगे दिख रहे हैं. भले ही वो 2024 में पीएम उम्मीदवारी को लेकर कुछ साफ नहीं कर रहे हैं, लेकिन नीतीश ने तमाम विपक्षी दलों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. वो पिछले तीन दिनों से राजधानी दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं, जहां उन्होंने कई बड़े नेताओं से मुलाकात की.
दिल्ली दौरे के पहले दिन नीतीश ने पीएम पद के प्रबल दावेदार राहुल गांधी से मुलाकात की तो दूसरे दिन यानी कल (6 सितंबर) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ लंच किया. नीतीश कुमार ने मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, शरद यादव, ओपी चौटाला और सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की.
नीतीश की मुलाकातों के मायने
अब आज यानी 7 सितंबर को नीतीश के दिल्ली दौरे के तीसरे दिन है. अब नीतीश कुमार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. वहीं विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात के क्रम में आज उनकी एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात होगी.
अगर नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को डिकोड किया जाए तो 2 बातें साफ हो जाती हैं. नीतीश 2024 में पीएम पद के दावेदार के तौर पर बने रहना चाहते हैं. वहीं विपक्ष को एकजुट कर बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनना चाहते हैं. नीतीश को लेकर शरद यादव ने कहा कि, आज देश में जरूरत है कि सभी गोलबंद हों और इसी काम में नीतीश कुमार जी निकले हैं. नीतीश कुमार से बढ़िया चेहरा कोई नहीं है.
हालांकि जब नीतीश कुमार से पीएम पद की दावेदारी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ये सब बात छोड़िए... फिलहाल विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है. यानी नीतीश खुलकर इस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. जबकि उनकी पार्टी के नेता पीएम उम्मीदवारी के लिए उनका नाम उछाल रहे हैं.
हरियाणा की रैली में होंगे शामिल
विपक्ष को एकजुट करने में जुटे नीतीश कुमार 25 सितंबर को इंडियन नेशनल लोकदल की रैली में शामिल होंगे. हरियाणा के फतेहाबाद में ये रैली होगी. बताया जा रहा है कि इस रैली में विपक्ष के कई बड़े नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है. वहीं नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे पर बीजेपी ने कटाक्ष किया है और इसे राजनीतिक पर्यटन करार दिया है. सुशील मोदी ने कहा कि, ये लाख प्रयास कर लें लेकिन लोगों को एक नहीं कर पाएंगे. मीडिया में बने रहने के लिए ये राजनीतिक पर्यटन पर निकले हैं.
बता दें कि साल 2019 में हुए चुनावों की तरह पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ तमाम विपक्षी दल एकजुट होने को लेकर सहमत जरूर नजर आ रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी और ममता बनर्जी की दावेदारी के बीच नीतीश कुमार की अगुवाई में ये एकजुटता हो पाएगी या नहीं ये बड़ा सवाल है.
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