Anand Mohan Release: आनंद मोहन की रिहाई पर BJP ने घेरा तो CM नीतीश कुमार ने निकाली पुरानी तस्वीर, कहा- 'हमको तो आश्चर्य लगता है...'
Anand Mohan Release Row: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बीजेपी की ओर से घेरे जाने पर पलटवार किया है.
Nitish Kumar On Anand Mohan Release Issue: बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार (28 अप्रैल) को शिवहर के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई के मामले पर बीजेपी पर पलटवार किया. बीजेपी की ओर से आरोप लगाया गया है चुनावी लाभ के लिए कानून को कमजोर कर दुर्दांत अपराधियों को छोड़ा जा रहा है.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को एक के बाद एक कई ट्वीट करके आनंद मोहन की रिहाई के मामले में बिहार सरकार को घेरा. उनके अलावा भी बीजेपी के कई नेताओं की ओर से आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल खड़ा किया जा रहा है.
CM नीतीश कुमार ने ऐसे किया बीजेपी पर पलटवार
बीजेपी की ओर से घेरे जाने पर पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने कहा जेल नियमों में जिस संशोधन के जरिये आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता खुला वो 2016 में केंद्र की ओर से लागू किए गए मॉडल जेल मैनुअल के अनुसार है. उन्होंने कहा कि 27 लोग रिहा हुए लेकिन एक ही आदमी की चर्चा हो रही है.
'हमको तो आश्चर्य लगता है'
सीएम नीतीश ने कहा कि जब (आनंद मोहन की) रिहाई नहीं हुई थी तब कितने लोग मांग कर रहे थे कि यह होना चाहिए. सीएम नीतीश ने आनंद मोहन और सुशील कुमार मोदी की एक तस्वीर दिखाते हुए कहा, ''... हमको तो आश्चर्य लगा... आप लोग जरा फोटो देख लीजिए, जो बोल रहे हैं वो कब का है, फोटो देख लीजिए... आप समझ लीजिए, ये मांग कर रहे थे फरवरी में, अब हो गया है तो विरोध कर रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ''हमको तो आश्चर्य लगता है, किसी ने ये सब (फोटो) भेज दिया...'' मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा, ''इस विरोध का कोई मतलब नहीं है.''
सीएम नीतीश ने आगे कहा कि केंद्र की तरफ से 2016 में जो भी जारी हुआ, उसमें क्या प्रावधान है? जब प्रावधान ही नहीं है तो बिहार में जो था वो हट गया, सबके लिए बराबर हो गया तो इसको लेकर विरोध करने का तो कोई तुक नहीं है. दो महीने पहले डिमांड कर रहे थे, अब हो गया तो दो महीने बाद विरोध कर रहे हैं.
क्या कहा सुशील कुमार मोदी ने?
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया, ''कृष्णैया हत्याकांड के समय लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे, इसलिए वही बताएं कि अगर पूर्व सांसद आनंद मोहन निर्दोष थे तो उन्होंने (लालू) उस समय उनकी कोई मदद क्यों नहीं की? अनुसूचित जाति के आईएएस अधिकारी की ड्यूटी के दौरान दिनदहाड़े हुई हत्या की यह जघन्य घटना लालू राज के डरावने दिनों की याद दिलाती है. उस दौर में अनुसूचित जाति के लोगों के नरसंहार, हत्या और व्यवसायों के अपहरण की घटनाएं आम हो चुकी थीं.''
सुशील मोदी की ओर से आगे लिखा गया, ''आनंद मोहन के मामले में लालू-राबड़ी सरकार ने सेशन कोर्ट से हाईकोर्ट तक उनकी रिहाई का विरोध किया था. आज यही लोग उनकी रिहाई के लिए जेल कानून को बदल रहे हैं. 2005 तक आरजेडी की सरकार थी. तब क्यों नहीं आनंद मोहन को निर्दोष बताने की कोशिश की गई, इसका जवाब तो लालू प्रसाद ही दे सकते हैं. आज चुनावी लाभ के लिए लाखों सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा को ताक पर रखकर आरजेडी-जेडीयू की सरकार दुर्दांत अपराधियों को रिहा कर रही है.''
· लालू प्रसाद ने सीएम रहते क्यों नहीं की आनंद मोहन की मदद ?
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) April 28, 2023
· चुनावी लाभ के लिए कानून को कमजोर कर छोड़े जा रहे दुर्दांत अपराधी
· सरकार ने लाखों सरकारी कर्मचारियों का जीवन खतरे में डाला
उम्रकैद की सजा काट रहे थे आनंद मोहन
बता दें कि जेल मैनुअल में बदलाव के चलते पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन को गुरुवार (27 अप्रैल) सुबह करीब सवा छह बजे सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था. आनंद मोहन समेत 27 लोग रिहा किए गए. आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. जानकारी के मुताबिक, 16 साल बाद आनंद मोहन की रिहाई हुई है.
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