नई दिल्ली (पटना): पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार के खिलाफ याचिका खारिज कर दी. लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने ये याचिका दायर की थी जिसमें बहुमत परीक्षण से जुड़े मसले पर सुनवाई होनी थी. पटना हाई कोर्ट ने कहा कि बहुमत साबित हो चुका है अब हस्तक्षेप नहीं कर सकते.


क्या है मामला


सरकार के गठन के खिलाफ कोर्ट में पहली याचिका बड़हरा के राष्ट्रीय जनता दल विधायक सरोज यादव और अन्य ने दायर की थी जबकि दूसरी याचिका नौबतपुर के समाजवादी नेता जितेन्द्र कुमार ने दायर की थी. नीतीश सरकार ने 27 जुलाई को शपथ ग्रहण किया था जिसको लेकर आरजेडी का विरोध लगातार जारी है. याचिकाकर्ता ने राज्यपाल के फैसले पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा था कि सबसे ज्यादा विधायक आरजेडी के होने के कारण पहले आरजेडी को सरकार बनाने का न्योता दिया जाना चाहिए था, लेकिन नियमों को दरकार कर नीतीश कुमार को आमंत्रित कर लिया गया. सरकार के गठन के खिलाफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके पुत्र तेजस्वी यादव ने भी कोर्ट में जाने की बात कही थी.


जय श्रीराम के नारे पर भी हुआ विवाद


बताते चलें कि बहुतम परीक्षण से जुड़ी सुनवाई के इस मसले से इतर, नीतीश सरकार के एक मंत्री की वजह से विवाद हो गया है. हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश के अल्पसंख्यक मंत्री ने जय श्रीराम का नारा लगा दिया था. ये नारा नीतीश के विश्वास मत हासिल करने के दौरान लगाया गया था. इसे लेकर उनके खिलाफ फतवा जारी हो गया.


विवाद बढ़ने के बाद मंत्री फिरोज अहमद ने माफी मांग ली है. लेकिन अब लालू की पार्टी आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) ने आरोप लगाया है कि जय श्रीराम का नारा लगवाने के पीछे सीएम नीतीश कुमार का हाथ था. बिहार के पूर्व सीएम लालू की पार्टी आरजेडी ने नीतीश पर गंभीर आरोप लगाया है. पार्टी प्रवक्ता, आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि ये नारेबाज़ी नीतीश के इशारे पर हुई है और इसके पीछे हिंसा फैलाने की मंशा है.


इसे लेकर अल्पसंख्यक मंत्री के खिलाफ जो फतवा जारी किया गया उसमें मुफ्ती सुहैल अहमद कासमी ने मंत्री की पत्नी के लिए तलाकनामा तक तैयार कर दिया. विवाद इतना बढ़ गया कि मुख्यमंत्री नीतीश के दरबार में मंत्री की पेशी हुई. नीतीश ने मंत्री से आगे से ऐसा न करने की हिदायत दी और माफी मांगने के लिए कहा. माफी के बाद मामला यहीं थमता नजर आ रहा.