Bihar Election Result 2020: महागठबंधन की हार के बाद तेजस्वी यादव के सामने क्या चुनौतियां हैं?
विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की हार के बाद तेजस्वी को कई चुनौतियों का सामना करना होगा. इन चुनौतियों का वह कैसे मुकाबला करते हैं, इससे ही उनका राजनीतिक भविष्य तय होगा.
नई दिल्लीः बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की हार के बाद तेजस्वी को कई चुनौतियों का सामना करना होगा. तेजस्वी के नेतृत्व में लड़े गये इस चुनाव में हार से उनकी चुनौतियां और बढ़ गई हैं. इनका वह कैसे मुकाबला करते हैं, इससे ही उनका राजनीतिक भविष्य तय होगा.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल की हार के बाद पार्टी के कोर वोटर माने जाने वाले यादवों में नया विकल्प तलाशने की शुरुआत हो सकती है. यादवों में शुरू से आरजेडी का मजबूत आधार रहा है और बुरे हालातों में भी यादव वोटरों ने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा. ऐसे तेजस्वी के सामने यादव वोट को पार्टी के साथ जोड़े रखने की चुनौती है.
वहीं, पार्टी की दूसरा बड़ा आधार मुस्लिम वोट बैंक को बचाने की चुनौती भी सामाने है. मुस्लिमों के वोट आरजेडी को मिलते रहे हैं लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने दस्तक दे दी है और एआईएमआईएम को मुस्लिम वोट मिले हैं. ऐसे में तेजस्वी के लिये 'माई' समीकरण को बनाये रखना आसान नहीं होगा.
जमीन पर उतरकर करना होगा संघर्ष तेजस्वी को राजनीति में लंबे समय तक टिके रहने के लिये जमीन पर उतरना होगा. केवल चुनाव के समय लोगों के बीच आकर सभा करने से अब काम नहीं चल पाएगा. उन्हें जमीन पर जनता से जुड़े मुद्दों पर संघर्ष करना पड़ेगा. ऐसे में उनके लिये यह जरूरी हो जाता है कि वे हर घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दें और लोगों से लगातार जुड़ें रहें. उन्हें लोगों में यह यह भरोसा पैदा करना पड़ेगा के वे हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े हैं.
सरकार को चुनौती देने के लिये खोजने होंगे नये तरीके सीनियर राजनीतिक विश्लेषक अभय दुबे के अनुसार, आरजेडी चुनाव में भले ही हार गई लेकिन वह मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकती है और तेजस्वी हार के बाद भी तेजस्वी मजबूत विपक्ष के तौर उभरेंगे. ऐसे में तेजस्वी जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार को चुनौती दे सकते हैं. उम्र उनके पक्ष में है. वे अभी मात्र 31 साल के हैं औ उनके पास काफी समय है. पर उन्हें पूर्णकालिक नेता के तौर पर राजनीत करनी होगी.
इसके साथ ही सरकार को चुनौती देने के लिए नए-नए तरीके ढूंढ़ने होंगे. ऐसे में तेजस्वी को आने वाले समय में कई चुनौतियों का सामना करना होगा. यदि वे चुनौतियों का मुकाबला मजबूती से नहीं कर पाये तो आने समय तेजस्वी को कमजोर कर सकता है.
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