कोरोना वायरस के कहर के बीच चुनाव आयोग तय समय पर ही बिहार चुनाव करवाने का एलान कर चुका है. बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर 2020 को खत्म हो रहा है. इसलिए नई सरकार का चयन विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले जरूरी है. अगर पिछले चुनाव के ट्रैक रिकॉर्ड पर नज़र डाली जाए तो सितंबर महीने के अंत तक बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है. 2015 में चुनाव आयोग ने सितंबर महीने में ही चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया था.


2015 में पांच चरणों में हुआ था चुनाव


चुनाव आयोग ने 2015 विधानसभा चुनाव का आयोजन 5 चरणों में करवाया था. पहले चरण के लिए वोटिंग 12 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिए 16 अक्टूबर, तीसरे चरण के लिए 28 अक्टूबर, चौथे चरण के लिए 1 नवंबर और पांचवें चरण के लिए 5 नवंबर को वोटिंग हुई थी. 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों का एलान 8 नवंबर को किया गया था.


2015 में थे 6.68 करोड़ वोटर


2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार राज्य में 6.68 करोड़ वोटर थे. हालांकि 56 फीसदी लोगों ने ही चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. लेकिन बार बिहार चुनाव में ना सिर्फ वोटरों की संख्या में इजाफा हुआ है बल्कि दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लौटे प्रवासियों की वजह से वोटिंग परसेंट में भी इजाफ होने की संभावना जताई जा रही है.


243 सीटों पर होगा चुनाव


बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. 243 में से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में 243 विधानसभा सीटों पर 62778 पोलिंग बूथ बनाए गए थे.


पूरी तरह से बदल चुके हैं गठबंधन के समीकरण


2015 की तुलना में 2020 का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से अलग होगा. 2015 में नीतीश कुमार की जेडीयू, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी के गठबंधन पर जीत हासिल की थी.


लेकिन दो साल बाद ही नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली. अब महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस के अलावा आरएलपी और वीआईपी पार्टी शामिल हैं, जबकि बीजेपी ने नीतीश की अगुवाई में चुनाव लड़ने का एलान किया है. एलजेपी अभी तक एनडीए गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन नीतीश की अगुवाई में चुनाव लड़ने को लेकर उसकी स्थिति अब तक साफ नहीं है.