Bihar Election Result 2020: जानिए, किन वजहों से मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर स्वीकारे गए नीतीश कुमार
नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े गए बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के पक्ष में जनादेश के पीछे कई वजह हैं. नीतीश कुमार लगातार विकास और सुशासन के नाम पर चुनाव कैंपेन करते रहे. उन्होंने अपने 15 साल के कामों की तुलना लालू-राबड़ी के 15 वर्षों से की.
![Bihar Election Result 2020: जानिए, किन वजहों से मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर स्वीकारे गए नीतीश कुमार Bihar Election Result 2020: Know, why Nitish Kumar was once again accepted as the Chief Minister Bihar Election Result 2020: जानिए, किन वजहों से मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर स्वीकारे गए नीतीश कुमार](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/05/12023642/nitish-kumar.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्लीः बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार को स्वीकार कर लिया गया है. कांटे के मुकाबले और अंत तक चले सस्पेंस के बाद यह साफ हो गया है कि अब बिहार में एक बार फिर से बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनने जा रही है. 15 साल तक लगातार सत्ता में रहने के बाद चौथे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरे नीतीश कुमार के लिए यह मुकाबला इस बार आसान नहीं रहा. चिराग की तरफ से विरोध में उम्मीदवारों को उतारने के बाद नीतीश के लिए यह चुनौती कहीं और बड़ी हो गई थी.
ऐसे में कई वजह हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े गए बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के पक्ष में जनादेश के पीछे कई वजह हैं. नीतीश कुमार लगातार विकास और सुशासन के नाम पर चुनाव कैंपेन करते रहे. उन्होंने अपने 15 साल के कामों की तुलना लालू-राबड़ी के 15 वर्षों से की.
नीतीश कुमार ने यह दावा किया कि लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के दौरान सिर्फ 95,734 लोगों को ही नौकरियां दी गई, जबकि उन्होंने अपने 15 वर्षों के राज में 6 लाख नौकरियां दी.
कल्याणकारी योजनाओं को बखूबी जनता के बीच रखा नीतीश ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान बेहतर प्रबंधन को भी चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की. उन्होंने अपने सरकार के दौरान चलाए गए अनेकों कल्याणकारी योजनाओं को बखूबी जनता के बीच रखा और यह बताया गया कि अगर किसी और की सरकार बनती है तो राज्य एक बार फिर से पिछड़ जाएगा.
चुनाव के आखिरी प्रचार के दिन नीतीश कुमार ने एक चुनावी जनसभा के दौरान यह भावुक अपील की थी कि यह उनका आखिरी चुनाव है. बिहार की जनता ने उनके इस भावुक अपील को स्वीकार किया और उन्हें एक और कार्यकाल के लिए काम करने का मौका दिया.
हालांकि, यह सच है कि नीतीश कुमार के रोजगार और शिक्षा के मुहाने पर बिहार में वो आशातीत सफलता नहीं मिली है. लेकिन, यह भी सच है कि आज वहां के लोगों के जीवन में बदलाव आया है. गांव-गांव बिजली पहुंची है पहले की तुलना में सड़कें दुरुस्त है. हालांकि, कई जगहों पर सड़क निर्माण के बावजूद उसका मरम्मत नहीं होने के चलते फिर से वहां पर बदहाली जैसी स्थिति जरूर बन गई है. कुल मिलाकर ऐसी कई वजहें हैं जिसके चलते बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को एक बार फिर से काम करने का मौका दिया है.
नीतीश कुमार सरकार ने जब बिहार में पहली बार सत्ता संभाली थी तो वहीं पर अपराध, भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता का माहौल था. उनकी सरकार ने बीते 15 वर्षों के दौरान ना सिर्फ शहाबुद्दीन जैसे बड़े खूंखार अपराधियों को सलाखों के अंदर भेजा बल्कि काफी हद तक लूट और फिरौती जैसी वारदातों को रोकने में उन्हें कामयाबी मिली. हालांकि, नौकरशाह में भ्रष्टाचार का आरोप उनकी सरकार पर भी खूब लगा है.
साल 2015 में महागठबंधन की जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से किया शराबबंदी का वादा निभाया और राज्य में शराब को बैन करने की घोषणा कर दी. नीतीश ने घरेलू हिंसा और पारिवारिक में बढ़ती कलह के लिए शराब की बढ़ती लत को ज़िम्मेदार बताया. इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, शोषण और ग़रीबी के लिए भी शराब की लत को एक बड़ा कारण बताया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद बिहार में शराब पर प्रतिबंध बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत लागू किया गया जो 1 अप्रैल 2016 से शुरू हुआ. क़ानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
यह भी पढ़ें-
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)