एक्सप्लोरर

Karpoori Thakur Stories: यूं ही जननायक नहीं बन गए थे कर्पूरी ठाकुर, पिछड़ों को मुख्यधारा से जोड़ा, जन-जन तक पहुंचाई शिक्षा, पढ़िए उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से

Karpoori Thakur Life Story: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने ईमानदारी और साहसिक फैसलों के जरिए पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ा था. पढ़िए, उनकी जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से:

Who was Karpoori Thakur: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है. एक दिन पहले मंगलवार (23 जनवरी) को राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी प्रेस रिलीज में इसकी घोषणा हुई. यह ऐलान कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती (24 जनवरी 2024) से एक दिन पहले हुआ.

ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर के जननायक बनने के पीछे उनका व्यक्तित्व और विचार थे. हाशिए के समाज को मुख्यधारा से जोड़ने में भी उनकी काफी अहम भूमिका रही. आइए, जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी रोचक किस्से-कहानियों के बारे में: 

'बिहार में सामाजिक आंदोलन के प्रतीक थे कर्पूरी ठाकुर'
बिहार में पारंपरिक तौर पर हजाम (बाल काटने वाले) परिवार में जन्मे कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक आंदोलन का प्रतीक माना जाता है. उनका जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ था. बीबीसी की रिपोर्ट में पिता के जन्मदिन का समारोह पैतृक गांव समस्तीपुर जिले के पितौंझिया (अब कर्पूरीग्राम) में मनाने वाले उनके बेटे और जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर ने कहा, "कर्पूरी ठाकुर बिहार में सामाजिक आंदोलन के प्रतीक रहे इसलिए हर तरह के लोग और विभिन्न राजनीतिक दल उनके जन्मदिन पर सामाजिक न्याय के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेते रहे हैं...हां अब दावे प्रतिदावे जरूर बढ़ गए."

कभी नहीं हारे बिहार विधानसभा का चुनाव
24 जनवरी, 1924 को पितौंझिया में जन्में कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक बार उप-मुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री, दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वह बिहार विधानसभा का चुनाव वह कभी नहीं हारे. दो कार्यकालों में कुल मिलाकर ढाई साल के सीएम कार्यकाल में उन्होंने जिस तरह की छाप बिहार के समाज पर छोड़ी, वैसा दूसरा उदाहरण नहीं दिखता. सबसे खास बात यह भी है कि वह बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे.

'कर्पूरी डिवीजन से पास हुए'
1967 में पहली बार उप-मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया. इसके चलते उनकी आलोचना भी खूब हुई लेकिन इसका लाभ यह हुआ की शिक्षा आम लोगों तक पहुंची. तब अंग्रेजी में फेल मैट्रिक पास लोगों का मजाक यह कहकर उड़ाया जाता था कि 'कर्पूरी डिविजन से पास हुए हैं.' इसी दौरान उन्हें शिक्षा मंत्री का पद भी मिला और उनकी कोशिशों के चलते ही मिशनरी स्कूलों ने हिंदी में पढ़ाना शुरू किया. इतना ही नहीं, आजादी के बाद गरीबी से जूझ रहे बिहार में आर्थिक तौर पर उन्होंने गरीब बच्चों की स्कूल फीस माफ करने का काम भी किया. वह देश के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की थी. उन्होंने राज्य में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा देने का काम किया.

मालगुजारी माफ की, लिफ्ट से तानाशाह परंपराओं के खिलाफ दिया संदेश
1971 में मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों को बड़ी राहत देते हुए उन्होंने गैर लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स बंद कर दिया था. अंग्रेजों के जाने के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर तानाशाही व्यवस्था के खिलाफ उन्होंने बड़ा संकेत भी दिया. बिहार में तब के मुख्यमंत्री सचिवालय की इमारत की लिफ्ट 4th ग्रेड कर्मचारियों के लिए उपलब्ध नहीं थी लेकिन सीएम बनते ही उन्होंने यह सुनिश्चित कराया कि वे कर्मचारी भी लिफ्ट का इस्तेमाल कर सकें. मौजूदा समय में भले ही यह मामूली कदम दिखता हो लेकिन तब यह बड़ा कदम था.

दो दशकों की सियासत के बाद भी विरासत में कुछ न जोड़ पाए
राजनीति में इतना लंबा सफ़र बिताने के बाद जब वह स्वर्ग सिधारे तो परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम न था. न पटना में और न ही पैतृक निवास स्थान में...वह एक इंच भी जमीन नहीं खरीद पाए. उनकी ईमानदारी के कई किस्से आज भी बिहार में सुनने को मिलते हैं. कर्पूरी ठाकुर जब पहली बार उप-मुख्यमंत्री बने या फिर मुख्यमंत्री बने तो बेटे रामनाथ को खत लिखना नहीं भूले. इस ख़त में क्या था, इसके बारे में रामनाथ ने बताया, "पत्र में तीन ही बातें लिखी होती थीं- तुम इससे प्रभावित न होना. कोई लालच देगा तो उस लोभ में मत आना. मेरी बदनामी होगी."

नौकरी मांगने गए बहनोई तो कर्पूरी ठाकुर ने कहा- पुश्तैनी धंधा करो
कर्पूरी ठाकुर से जुड़े लोगों के हवाले से बीबीसी की रिपोर्ट में आगे बताया गया कि कर्पूरी ठाकुर जब राज्य के मुख्यमंत्री थे तो बहनोई उनके पास नौकरी के लिए पहुंचे थे. उन्होंने तब कहीं सिफारिश से नौकरी लगवाने के लिए कहा था लेकिन उनकी बात सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गए. हालांकि, नौकरी के लिए सिफारिश के बजाय उन्होंने जेब से 50 रुपए निकालकर उन्हें दिए और कहा था, "जाइए, उस्तरा वगैरह खरीद लीजिए और अपना पुश्तैनी धंधा चालू कर लीजिए."

पिता को दबंगों ने किया परेशान तो DM को कार्रवाई से रोका
एक किस्सा उस दौर का यह भी है कि उनके मुख्यमंत्री रहते उनके गांव के कुछ दबंगों ने पिता को कथित तौर पर अपमानित किया था. यह खबर फैली तो जिलाधिकारी गांव में कार्रवाई करने पहुंच गए लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने जिलाधिकारी को कार्रवाई करने से रोक दिया था. उनका कहना था कि दबे पिछड़ों को अपमान तो गांव-गांव में हो रहा है.

इंटर कास्ट मैरिज की खबर मिलते ही पहुंच जाते थे
बिहार के पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि के मुताबिक, "उस दौर में समाज में उन्हें कहीं अगर इंटर कास्ट मैरिज की खबर मिलती थी तो उसमें वो पहुंच जाते थे. वह समाज में एक तरह का बदलाव चाहते थे. बिहार में जो आज दबे पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी मिली हुई है, उसकी भूमिका कर्पूरी ठाकुर ने बनाई थी." मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करना अनिवार्य बना दिया था. उन्होंने तब राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन आयोग को राज्य में भी लागू करने का काम सबसे पहले किया था.

उन्हीं के जमाने में हुई एक साथ सबसे अधिक बहाली
युवाओं को रोजगार देने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इतनी थी कि एक कैंप आयोजित कर 9000 से ज्यादा इंजीनियरों और डॉक्टरों को एक साथ नौकरी दे दी थी. इतने बड़े पैमाने पर एक साथ राज्य में इसके बाद आज तक इंजीनियर और डॉक्टरों की बहाली नहीं हुई. अत्यंत व्यस्त होने के बावजूद वह लिखने और पढ़ने के लिए समय निकाल ही लेते थे, जबकि कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था.

ये भी पढ़ें:5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य में उत्तर प्रदेश निभाएगा बड़ा रोल, राम मंदिर से बनेगा 'आस्था का अर्थशास्त्र'

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget