Bihar Hooch Tragedy: NHRC के दौरे पर घमासान, तेजस्वी ने पूछा- MP क्यों नहीं गए? मुआवजे पर बंटी है महागठबंधन की राय! बड़ी बातें
Bihar Hooch Tragedy: बिहार में नकली शराब से मौत का मामला बड़ा होता जा रहा है. अब मानवाधिकार आयोग की टीम को बिहार भेजने पर हंगामा हो रहा है. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा है.
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NHRC Team Bihar Visit: बिहार में नकली शराब से हुई मौतों और मानवाधिकार आयोग की टीम को बिहार भेजे जाने पर जोरदार हंगामा हो रहा है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) समेत कई नेताओं ने NHRC टीम को बिहार भेजने पर सवाल खड़े किए हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दुरुपयोग का आरोप लगाकर मंगलवार (20 दिसंबर) को विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट भी किया है. जानिए मामले से जुड़ी बड़ी बातें.
1. जहरीली शराब मामले में जांच के लिए आई NHRC टीम पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि एनएचआरसी मध्य प्रदेश क्यों नहीं गई? ये हरियाणा गए हैं क्या? यह एक प्रोपगेंडा है. जब बीजेपी सरकार में थी तब यह क्या कर रहे थे, पहले एनएचआरसी से पूछना चाहिए कि क्या वे अपनी इच्छा से आए हैं या भेजे गए हैं.
2. इस मुद्दे पर संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ है. विपक्ष ने बिहार जहरीली शराब त्रासदी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दुरुपयोग का आरोप लगाकर राज्यसभा से वॉकआउट किया.
3. बिहार के मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि ये सरकार और बिहारवासियों की समझ से परे है. शराब से और भी राज्यों में मृत्यु हुई है तो वे वहां नहीं गए. आखिर बिहार पर मेहरबानी क्यों? यह प्रचारित करके किया जा रहा है जो उचित नहीं है.
4. जहरीली शराब से मृत्यु पर बिहार के आबकारी मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि जहरीली शराब से अब तक 42 लोगों की मौत हुई है. ये औपचारिक आंकड़ा है. ये आंकड़ा जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है. मामले में अभी विभागीय जांच की रिपोर्ट नहीं आई है.
5. सीपीआई (ML) का दावा है कि जहरीली शराब से मुआवजे के मुद्दे पर बिहार की महागठबंधन सरकार के सात में से 6 घटक दल एक साथ हैं. नीतीश सरकार की सहयोगी और 12 विधायकों वाली सीपीआई (ML) के नेता कॉमरेड महबूब आलम ने कहा कि मुआवजे के मुद्दे पर महागठबंधन में सीपीआई (ML), सीपीआईएम, सीपीआई, मांझी की हम, कांग्रेस और आरजेडी एक साथ हैं. सभी हमसे सहमत हैं. हमने 10 लाख रुपये मुआवजा देने की और साथ ही पुनर्वास की बात कही है.
6. इस मामले पर मंगलवार को 14 पार्टियों ने संयुक्त बयान जारी किया है. इसमें कहा गया कि जहरीली शराब के सेवन से बिहार में हुई मौतों से हम दुखी और स्तब्ध हैं. बिहार सरकार ने शराब तस्करों और ताड़ी बनाने वालों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. सरकार ने नकली शराब के सेवन के खतरों को उजागर करने और लोगों को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए हैं.
7. इस बयान में कहा गया कि हालांकि, केंद्र सरकार ने एक बार फिर से प्रदर्शित किया है कि ऐसी कोई त्रासदी नहीं है जिसका वह अपने राजनीतिक लाभ के लिए फायदा उठाने की कोशिश नहीं करेंगे. इन दुखद मौतों के बाद, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम जहरीली शराब त्रासदी की जांच के लिए बिहार के सारण और सीवान जिलों में पहुंची.
8. इसमें कहा गया कि मोदी सरकार के दोहरे मापदंड का प्रमाण इस बात से मिलता है कि 2016 से जब जेडीयू-बीजेपी के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने शराबबंदी लागू की थी, 2021 तक राज्य में 200 से अधिक शराब से संबंधित मौतें हुई हैं, लेकिन एनएचआरसी ने कभी महसूस नहीं किया ऐसी किसी भी घटना की जांच की जरूरत है.
9. संयुक्त बयान में आगे कहा गया कि इसी तरह ऐसे कई अन्य मामले हैं जहां एनएचआरसी ने कभी भी ऐसी घटनाओं में थोड़ी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. गुजरात में जुलाई 2022 जहरीली शराब पीने से 45 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. उत्तर प्रदेश में मई 2021 जहरीली शराब के सेवन से करीब 36 लोगों की मौत हो गई. हरियाणा में नवंबर 2020 में मिलावटी शराब पीने से 40 लोगों की मौत हो गई. मध्य प्रदेश में जनवरी 2021 जहरीली शराब कांड में 24 लोगों की मौत हो गई थी.
10. हम समान विचारधारा वाले विपक्षी दल इस तरह के मुद्दे से राजनीतिक लाभ लेने के इस प्रयास की निंदा करते हैं. हम एनएचआरसी के इस तरह के खुले तौर पर पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक तरीके से उपयोग की निंदा करते हैं जो मृतकों और साथ ही उनके परिवारों का भी अपमान है. जाहिर है कि एनएचआरसी को केवल गैर-बीजेपी शासित राज्यों में भेजा जा रहा है क्योंकि मंशा केवल विपक्षी शासित सरकारों को अस्थिर करने की लग रही है.
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