Bihar Hooch Tragedy News: बिहार में जहरीली शराब के कारण मौत का आंकड़ा 39 तक पहुंच गया है. पहले जब शराबबंदी नहीं तब भी बिहार (Bihar) में घरों के चिराग बुझ रहे थे और अब जब शराब पर बैन है तो अब भी हालात कुछ बदलते नजर नहीं आ रहे. राज्य में चीख पुकार मची हुई है. मरने वालों ने आंखों की रोशनी तक जाने की बात कही है. ये आंकड़ा तो केवल हाल ही के दिनों का है. अगर पिछले कुछ सालों को रिकॉर्ड देखें तो तो मौत के आंकड़े डराने वाले हैं. उस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) कहते हैं कि 'जो पिएगा, वो तो मरेगा ही.' बिहार का ये मुद्दा संसद तक भी पहुंच चुका है. जानिए बिहार के जहरीली शराबकांड से जुड़ी बड़ी बातें.
1. बिहार के छपरा में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार (15 दिसंबर) को कहा कि जो पिएगा वो मरेगा. उन्होंने कहा कि मेरी व्यक्तिगत इच्छा से शराबबंदी लागू नहीं की गई, बल्कि राज्य की महिलाओं के अनुरोध पर इसे लागू किया गया. इस प्रतिबंध से समाज को काफी फायदा हुआ है. मुझे हैरानी है कि लोग इसके खिलाफ कैसे बोल रहे हैं. गौरतलब है कि नीतीश कुमार नीत सरकार ने अप्रैल 2016 से बिहार में शराब के उत्पादन, खरीद, बिक्री, सेवन आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.
2. इस घटना को लेकर लगातार दूसरे दिन भी राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत महागठबंधन सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. विपक्षी दल ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और शराबबंदी कानून के प्रावधानों की समीक्षा किए जाने और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की.
3. नीतीश कुमार के विधानसभा पहुंचने पर बीजेपी के विधायकों ने नारेबाजी की. विधायकों ने बाद में सदन की कार्यवाही भी बाधित करने की कोशिश की. वे हाथ में पोस्टर लिए लगातार नारेबाजी करते दिखे. विधानसभा के अध्यक्ष ने मार्शल से उनके हाथों से पोस्टर व तख्तियां लेने को कहा और बीजेपी विधायकों की लगातार नारेबाजी के बीच कार्यवाही आगे बढ़ाई. इसके बाद अध्यक्ष पर सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने सदन से वॉकआउट किया.
4. इससे पहले बुधवार को भी विधानसभा के अंदर बीजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी. इस दौरान बीजेपी विधायकों ने सरकार पर अवैध शराब की बिक्री को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की. जिस पर मुख्यमंत्री ने गुस्से में अपनी कुर्सी से उठकर बीजेपी विधायकों की ओर उंगली उठाते कहा था कि क्या हो गया तुम लोग तो शराबबंदी के पक्ष में थे, अब तुम शराबी हो गए हो. इस पर बीजेपी सदस्यों ने मुख्यमंत्री से माफी की मांग की थी.
5. बिहार के इस मुद्दे पर गुरुवार को संसद में भी हंगामा देखने को मिला. बीजेपी के लोकसभा सदस्यों ने जहरीली शराब से बिहार में हुई मौतों को "सामूहिक हत्या" करार दिया और केंद्र से इस घटना के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया. बीजेपी के पश्चिम चंपारण से सांसद संजय जायसवाल ने शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए दावा किया कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद पुलिस अधिकारियों के संरक्षण में नकली शराब की बिक्री फल-फूल रही है. लेकिन मुख्यमंत्री ने उनमें से किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
6. सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने भी इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा और मांग की कि केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य में जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए बिना किसी देरी के एक केंद्रीय टीम भेजे. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय राज्य से एक रिपोर्ट मांगे. बीजेपी सांसद ने दावा किया कि जहरीली शराब त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 52 हो गई है और यह संख्या और बढ़ सकती है. रूडी की ओर से मुद्दे को उठाए जाने के बाद, कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा कि अतीत में उत्तर प्रदेश में भी जहरीली शराब की घटनाओं में मौतें हुई हैं. उन्होंने बीजेपी सांसदों से पूछा कि सदन में इन घटनाओं को उजागर क्यों नहीं किया जा रहा है.
7. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि तब भी इस प्रकार के गंभीर मामले सामने आए हैं, जब हम सरकार के साथ थे. तब भी हम नीतीश कुमार को आगाह करते थे कि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जाए. बिहार में नीतीश कुमार की शराब नीति बिल्कुल असफल है. सरकार की नीयत साफ नहीं है, नीतीश कुमार सस्ती लोकप्रियता चाहते हैं. जब भी कोई उन्हें सही बात बताने की कोशिश करता है तो गुस्से में आ जाते हैं. जैसे अभी भी उन्होंने विधानसभा में आपा खोया था. इस मामले पर उनका बयान भी निंदनीय है. किसी सूबे का मुख्यमंत्री ये कहे कि जो पिएगा वो मरेगा, तो ये बेहद अशोभनीय है. उनके बीजेपी पर लगाए जा रहे आरोप भी गलत हैं. वे अपने दोष को छुपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं. नीतीश कुमार नाकाम हो गए हैं. मैं बिहार में शराबबंदी का समर्थन करता हूं, लेकिन बिहार सरकार की नीयत का विरोध करता हूं.
8. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को दावा किया कि जहरीली शराब पीने से मौत के मामलों में बीजेपी शासित राज्यों का रिकॉर्ड सबसे खराब है. उनके मुताबिक, गुजरात में भी शराब की बिक्री पर रोक है, लेकिन इस दौरान वहां पर 50 लोगों की मौत हुई जबकि बिहार में यह संख्या सिर्फ 21 थी. बीजेपी के विधायक सारण की घटना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा मांग रहे हैं. क्या वे इसी तरह की मांग अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों से करेंगे?
9. बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा कि जो घटना घटी है ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. ये कोई पहली घटना नहीं है. हर महीने एक-दो लोग जहरीली शराब पीकर मर रहे हैं. उनको घरवालों को डराया जाता है और पुलिस घटना को दबा देती है. 6 साल में एक हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं. इस पर नीतीश कुमार कह रहे हैं कि जो शराब पीता है वो महापापी है, जो पिएगा वो तो मरेगा ही. फिर तो दिल्ली, मुंबई में जो शराब पीते हैं उनको तो मर जाना चाहिए. शराबबंदी के मुद्दे पर हम नीतीश कुमार के साथ खड़े रहेंगे, लेकिन ये जो उनकी संवेदनहीनता है ये हमें स्वीकार नहीं है. वे बीजेपी को बर्बाद करने की धमकी दे रहे हैं, बीजेपी को कोई बर्बाद नहीं कर सकता. ऐसी कोशिश करने वाले खुद बर्बाद हो जाएंगे. शराबबंदी की प्रक्रिया की समीक्षा की जानी चाहिए.
10. बिहार के नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में संवेदनहीन सरकार है. जब शराब बंदी है तो ऐसी घटनाओं का जिम्मेदार कौन है? जब शराबबंदी है तो शराब आ कहां से आ रही है? नीतीश कुमार नरसंहार करा रहे हैं है. बिना पोस्टमॉर्टम के शवों को जलाया जा रहा है. लोगों को धमकाया जा रहा है कि केस कर देंगे. केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि जिस प्रकार से आज बिहार में जहरीली शराब से मौतें हो रही हैं ये चिंता का विषय है. हमारे मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) आपा खो कर जनता पर बरस रहे हैं और कह रहे हैं कि जो पिएगा वो तो मरेगा ही. ऐसे लोगों पर एफआईआर होनी चाहिए.
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