पटना: बिहार में बालू पर नीतीश सरकार की खनन नीति के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने आज बंद का एलान किया है. हालांकि बंद से पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बालू खनन नीति पर यू-टर्न ले लिया. सरकार ने अब पुराने नियम के तहत ही राज्य में बालू खनन कराने का फैसला किया है. लेकिन जेडीयू ने सिख विरोधी बंद बताया.


आरजेडी की मांग हैं कि 1972 की बालू नीति फिर से लागू हो. बफर सिस्टम खत्म किया जाए जीपीएस सिस्टम पर रोक लगे और बालू की लोडिंग खद्दान से हो. लालू के बंद से एक दिन पहले सीएम नीतीश कुमार ने बड़ी समीक्षा बैठक की, जिसमें यू टर्न लेते हुए पुराने नियमावली के तहत बालू घाटों की बंदोबस्ती करने का फैसला किया गया.

सरकार के यू-टर्न पर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा हैं, ‘’नो कन्फ़्यूज़न! कल राजद का बिहार बंद मज़बूती से जारी रहेगा. सत्ता नहीं ग़रीबों के लिए संघर्ष ही हमारी राजनीति है.’’



वहीं, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने लालू के बिहार बंद को खनन माफिया पर नकेल की बौखलाहट बताया है.

आपको बता दें कि सरकार ने बालू के अवैध खनन, परिवहन, भंडारण और खरीद-बिक्री को खत्म करने के लिए नई बालू नीति बनाई थी.  इसे 10 अक्टूबर 2017 को बिहार गजट में प्रकाशित किया गया था. 14 नवंबर को बालू-गिट्टी का रेट जारी किया गया और सभी खनन ठेकों को रद्द करते हुए ऑनलाइन बालू बिक्री की व्यवस्था की थी.

नई नियमावली पर पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी. इस मामले की सुनवाई 23 जनवरी को होनी है. ये नया नियम खनन कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को पसंद नहीं आया. उसी के समर्थन में आरजेडी ने आज बिहार बंद का ऐलान किया है.