रांची: बिहार के चर्चित चारा घोटाले से जुड़े तीन मामलों में रांची की विशेष अदालत आज पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के अलावा पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद, आर के राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, समेत 22 लोगों के खिलाफ सीबीआई की विशेष कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी. फैसला सुनने के लिए लालू यादव अपने छोटे बेटे और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ रांची पहुंच चुके हैं.
लालू ने साधा पीएम मोदी पर निशाना
आज रांची की विशेष सीबीआई अदालत चारा घोटाले के मामले में फैसला देगी. लालू को जेल मिलेगी या बेल, ये आज तय हो जाएगा. रांची जाने से पहले लालू ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा है कि उन्हें न्याय की उम्मीद है. लालू ने इस दौरान मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. लालू ने कहा, ‘’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार और सीबीआई मुझे जेल भिजवाना चाहती है. मुझे जेल जाने से डर भी नहीं लगता. मुझे न्याय पर विश्वास है और न्याय मिलेगा.’’
कौन-कौन हैं आरोपी?
इस मुकदमे में लालू, पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. के के प्रसाद और शेष अन्य चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे. सभी 38 आरोपियों में से जहां 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी. इस तरह इस मामले में आज कोर्ट कुल 22 आरोपियों के खिलाफ ही अपना फैसला सुनायेगी.
क्या है बिहार का चारा घोटाला?
साल 1996 में चारा घोटाले का खुलासा हुआ था. तब ये घोटाला 900 करोड़ रुपये का था. आज जो फैसला आना है वो देवघर ट्रेजरी से निकासी का है. लालू पर 90 लाख रुपये की अवैध निकासी का आरोप है.
चारा घोटाले में कुल छह केस हैं. जिनमें से एक केस में 2013 में लालू यादव को पांच साल की सजा हो चुकी है, जिसके कारण वो चुनावी राजनीति से ही दूर हो गए. उस मामले में लालू यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करने की अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए हर केस का ट्रायल अलग-अलग चलाने का आदेश दिया था.
किस मामले में फैसला आने वाला है?
जिस मामले में फैसला आने वाला है, वो है देवघर कोषागार से 90 लाख रुपये की अवैध निकासी का है. इस मामले में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत कुल 22 आरोपी हैं. रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई पूरी हो चुकी है अब फैसला सुनाया जाना है.
चारा घोटाले में सबूतों और साक्ष्यों को सामने लाने वाले याचिकाकर्ता सरयू राय के मुताबिक लालू यादव को भी ये पता नहीं होगा कि चारा घोटाला इतना बड़ा रूप ले लेगा कि उन्हें सजा हो जाएगी. सरयू राय मौजूदा समय में झारखंड में मंत्री हैं.
साल 1990 से हुई थी चारा घोटाले की शुरुआत
बता दें कि चारा घोटाले की शुरुआत साल 1990 से हुई थी, जब लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे. बिहार के पशुपालन विभाग में फर्जी बिल देकर चारे के नाम पर रकम निकाली गई थी. फर्जीवाड़े में अधिकारी, ठेकेदार और नेता तक शामिल रहे. चारा के नाम पर सालों तक फर्जीवाड़ा होता रहा. चारा घोटाले में लालू यादव पर कुल छह केस दर्ज हैं.
चारा घोटाले का घटनाक्रम
चारा घोटाला जानवरों के चारा, दवाई और पशुपालन उपकरणों का घोटाला है. 900 करोड़ का चारा घोटाला साल 1996 में सामने आया था. इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा मुख्य आरोपी बने. 10 मई 1997 को सीबीआई ने राज्यपाल से लालू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. 23 जून 1997 को लालू और 55 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.
29 जुलाई 1997 को लालू यादव को गिरफ्तार कर लिया गया था. 12 दिसंबर 1997 को लालू यादव रिहा हो गए लेकिन 28 अक्टूबर 1998 को लालू यादव को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. मार्च 2012 को सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. 2013 में चारा घोटाले से जुड़े एक मामले चाईंबासा केस में लालू को सजा मिली और अब वह जमानत पर बाहर हैं.
लालू के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ ये साल
लालू प्रसाद यादव के लिए ये साल 2017 बिल्कुल भी बढ़िया नहीं रहा है. इसी साल लालू यादव पर रेलवे होटल घूसकांड को लेकर कार्रवाई हुई, जिसके चलते पटना में बन रहे उनके मॉल की जमीन तक जब्त हो गई. इसी साल बिहार की सत्ता से आरजेडी की विदाई हो गई.
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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IN DEPTH: क्या है चारा घोटाला और लालू पर क्या-क्या हैं आरोप?
एबीपी न्यूज़
Updated at:
23 Dec 2017 07:42 AM (IST)
चारा घोटाला की सुनवाई: चारा घोटाले में कुल छह केस हैं. जिनमें से एक केस में 2013 में लालू यादव को पांच साल की सजा हो चुकी है, जिसके कारण वो चुनावी राजनीति से ही दूर हो गए.
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