'प्रशांत किशोर की पटकथा समझने के लिए रॉकेट साइंस को समझने की जरूरत नहीं', तेजस्वी यादव की पार्टी का निशाना
Bihar News: राज्यसभा सांसद मनोज झा ने प्रशांत किशोर की एक टिप्पणी पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार को समझने के लिए आपको पहले इसका विश्लेषण करना होगा.
Manoj Jha Attacks Prashant Kishor: बिहार की राजनीति में इन दिनों जुबानी जंग का दौर जारी है. शब्दों के इस वार में अब राजद नेता मनोज झा (Manoj Jha) की भी एंट्री हो गई है. मनोज झा ने सोमवार (3 अक्टूबर) को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kihsor) पर निशाना साधते हुए कहा कि 1990 के बाद से बिहार में कुछ भी नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक रणनीतिकार महत्वहीन मुद्दों को उठा रहे थे लेकिन बिहार को विशेष दर्जा (Special Status) देने जैसे मुद्दों को दबाने पर चुप थे.
राज्यसभा सांसद झा ने कहा कि उन्हें लगा कि किशोर बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार के बार-बार इनकार करने का मुद्दा उठाएंगे. इसके बजाय, वह उन मुद्दों को उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं जो महत्वपूर्ण नहीं हैं और उन पर चुप हैं जिन पर उन्हें बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रशांत किशोर की पटकथा को समझने के लिए रॉकेट साइंस को समझने की जरूरत नहीं है.
मनोज झा ने दी ये चेतावनी
मनोज झा ने प्रशांत किशोर की एक टिप्पणी पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार को समझने के लिए आपको पहले इसका विश्लेषण करना होगा. उन्होंने कहा कि जब झारखंड अलग हुआ, उसके बाद बिहार को क्या मिला? झारखंड के कारण हमारे उद्योग की नींव मजबूत थी. झारखंड के अलग होने के बाद सरकार ने बिहार को विशेष दर्जा क्यों नहीं दिया? एक विशेष पैकेज क्यों नहीं दिया गया? और क्यों घोषणा के बाद भी प्रधानमंत्री चुप हैं? झा ने कहा कि वह चेतावनी दे रहे हैं कि, बिहार एक ज्वालामुखी पर बैठा है.
उन्होंने कहा कि बिहार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले मानव संसाधन की जरूरत सभी को है, लेकिन इस पूंजी को राज्य के भीतर लगाने के लिए कोई भी निवेश करने में दिलचस्पी नहीं रखता है. उन्होंने कहा कि यह यह हमारे मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के एजेंडे में है.
प्रशांत ने उठाया पलायन का मुद्दा
रविवार (2 अक्टूबर) को पश्चिमी चंपारण जिले (West Champaran District) से अपनी राज्यव्यापी पदयात्रा शुरू करने वाले किशोर ने बिहार पर शासन करने वाले सभी राजनीतिक दलों पर हमला करते हुए कहा कि राज्य 1990 के बाद से नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि यहां के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए बाध्य हैं. किशोर ने कहा था कि 1990 में बिहार सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा था और 2022 में भी वही है.
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