Earthquake: बिहार में रविवार की सुबह करीब 8 बजकर 13 मिनट पर लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किये. सुबह-सुबह आए भूकंप की वजह से लोगों में दहशत फैल गयी है और वो अपने घरों से बाहर निकल आए. रेक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6 मापी गयी है. हालांकि इसका केंद्र काठमांडू बताया जा रहा, लेकिन इसका असर बिहार के कई जिलों में देखा गया. रविवार की सुबह बिहार के कई जिलों तक इस प्रभाव महसूस किया गया है. नेपाल से मिल रही जानकारी के अनुसार काठमांडू से करीब 150 किमी दूर जमीन के 10 किमी नीचे हलचल होने की सूचना है.
बिहार के कई जिलों में महसूस किए गए भूकंप के झटके
पटना, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, मधेपुरा समेत कई जिलों के लोगों ने आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए. हालांकि बिहार के इन जिलों में आए भूकंप की तीव्रता काफी कम थी. लेकिन भूकंप से हलचल महसूस होने के बाद लोग अपने घरों से निकलने लगे. कहा जा रहा है कि रविवार की सुबह 8 बजे आए भूकंप के झटके सात सेकेंड तक महसूस किए गए. हालांकि सुबह-सुबह आए इस भूकंप की वजह से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है लेकिन भूकंप की खबर से लोगों में दहशत रही और लोग घरों से निकलकर बाहर आ गए.
सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर आया था भूकंप
राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र (एनईएमआरसी) के अनुसार, भूकंप काठमांडू, नेपाल के 147 किमी ईएसई में सुबह 8.13 बजे आया था. अब तक कोई नुकसान या हताहत होने की सूचना नहीं है.
बता दें कि 25 अप्रैल, 2015 को मध्य नेपाल की राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर के बीच रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता का एक उच्च तीव्रता वाला भूकंप आया था जिसमें 8,964 लोग मारे गए थे और 22,000 लोग घायल हो गए थे. इस भूकंप को गोरखा भूकंप के रूप में जाना जाता था, इसने उत्तर भारत के कई शहरों को भी हिला दिया था और इसके झटके पाकिस्तान के लाहौर, तिब्बत में ल्हासा और ढाका तक महसूस किए गए थे.भूकंप के बाद काठमांडू के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को बंद कर दिया गया था.
कहा जा रहा है कि हिमालय में भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे 5 सेमी प्रति वर्ष की दर से कम हो रही है. यह हिमालय के युवा तह पहाड़ों के निर्माण और बढ़ती ऊंचाई के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इस क्षेत्र में भूकंप का खतरा भी बन रहा है. अगर तैयारी पर्याप्त नहीं है तो भूकंप जैसी आपदाएं कहर बरपा सकती हैं.