बिहार में नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) को तगड़ा झटका लग गया. जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से हाथ मिलाकर महागठबंधन से खुद को दूर कर लिया या यूं कहें कि किनारे कर लिया. सोचने वाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार कैसे इतना करीब आ गए.
आखिर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी और जेडीयू में जो कड़वाहट थी वो आसानी से दूर हो गई. इसकी पटकथा जिसने लिखी है वो हैं जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव संजय कुमार झा. वह ही वो नेता हैं जो पीएम मोदी और नीतीश कुमार को मिलाने में असली सूत्रधार बने. उन्होंने इस कड़ी में अहम भूमिका अदा की.
संजय कुमार झा की गिनती नीतीश कुमार के बेहद करीबी लोगों में होती है. फिर भी उन्हें नई सरकार में कोई जगह नहीं मिली, जिसकी चर्चा तेजी से हो रही है. ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में उन्हें बिहार की दरभंगा सीट से मैदान में उतार सकते हैं. साल 2017 में जेडीयू के बीजेपी के साथ गठबंधन में संजय कुमार झा ने अहम भूमिका निभाई थी. जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने साल 2022 में खुद इस बात का खुलासा किया था. इस बार भी जब जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन की चर्चा हुई तो सबसे पहले संजय कुमार झा को ही मुख्यमंत्री आवास में बुलाया गया था. सूत्रों का कहना है कि इस महीने की शुरुआत में संजय झा दिल्ली गए थे. जहां उन्होंने नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने की स्क्रिप्ट पर काम किया.
जेडीयू-बीजेपी गठबंधन में और कौन हैं अहम किरदार
जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन को बनाने में संजय कुमार झा के अलावा 6 और नेताओं का भी हाथ माना जाता है. जेडीयू और बीजेपी के 6 नेता भी इस गठबंधन को बनाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय महासिचव और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, केसी त्यागी और विजय चौधरी शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, इन्हीं सात नेताओं ने बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन की पटकथा को अमलीजामा पहनाया, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा प्रयास करने वाले संजय कुमार झा हैं.
संजय कुमार झा का राजनीतिक करियर
संजय कुमार झा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी के साथ की थी. इसके बाद साल 2012 में जेडीयू में शामिल हो गए. दो साल बाद उन्होंने पार्टी के टिकट पर बिहार की दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. उस वक्त जेडीयू अकेले लोकसभा चुनाव में उतरी थी. साल 2019 के चुनाव में भी नीतीश कुमार दरभंगा सीट से संजय कुमार को चुनाव में उतारना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका क्योंकि यह सीट बीजेपी के पास चली गई. संजय कुमार झा को मिथिलांचल में जेडीयू का ब्राह्मण चेहरा माना जाता है.
नई सरकार में संजय कुमार झा को कोई पद नहीं मिला है, लेकिन पहले वह जल संसाधन और जनसंपर्क विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. ऐसा माना जा रहा है कि जेडीयू लोकसभा चुनाव में उन्हें फिर से दरभंगा सीट से मैदान में उतार सकती है.