गोपालगंज उपचुनाव: राबड़ी देवी के भाई ही लालू यादव की पार्टी आरजेडी के लिए बन सकते हैं मुसीबत
बिहार की गोपालगंज सीट के लिए उपचुनावों के लिए अब दो हफ्ते का वक्त ही रह गया है. यहां राजद के जीतने की संभावना है, लेकिन इस पर लालू के साले साधु यादव खेल बिगाड़ते नजर आ रहे हैं.
बिहार में गोपालगंज और मोकामा दो विधानसभा सीटों पर आने वाले महीने में उपचुनाव होने जा रहे हैं. इस बार इन दो सीटों पर मुकाबला भी काफी रोचक होने जा रहा हैं. इन उपचुनावों में सबसे अधिक ध्यान गोपालगंज सीट खींच रही है. इसके पीछे की वजह राबड़ी देवी के भाई और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव हैं.
यहां लालू के साले साहेब आरजेडी के गोपालगंज को बीजेपी से हथियाने के मौके पर पानी फेर सकते हैं. इस पर बहस तेज है कि गोपालगंज उपचुनाव सीट पर लालू प्रसाद के साले साधु यादव वहां से 4 साल से जीतती आ रही बीजेपी से इस सीट को छीनने की आरजेडी की कोशिशों पर पानी फेर सकते हैं.
गोपालगंज सीट की है चर्चा
बिहार की दो विधानसभा सीटों मोकामा और गोपालगंज के लिए 3 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहा है और 6 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी, लेकिन इसके पहले ही गोपालगंज सीट पर आरजेडी के बीजेपी से मात खाने के कयास तेज होते जा रहे हैं. पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता सुभाष सिंह की मौत के बाद गोपालगंज सदर विधानसभा ये सीट खाली हुई थी.
16 अगस्त 2022 को लंबी बीमारी के बाद सिंह की मौत हो गई थी. इस सीट के मुकाबले पर सबकी नजर है. बीजेपी ने इस सीट पर सुभाष सिंह की पत्नी को ही टिकट दिया है. महागठबंधन ने आरजेडी नेता मोहन प्रसाद गुप्ता को उनके मुकाबले उतारा है. उधर बीएसपी के टिकट पर राबड़ी देवी के भाई साधु यादव की पत्नी इंदिरा देवी चुनाव लड़ रही है.
अब एआईएमआईएम ने अब्दुल सलाम को अपना उम्मीदवार बनाया है. गोपालगंज में सबसे अधिक वोटर में मुसलमान है और औवेसी की पार्टी इन्हीं को टारगेट कर रही है. इस वजह से एक तरह से ये आरजेडी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाएगी. ऐसे में आरजेडी के मुस्लिम वोटरों का एक नुकसान तो इस तरफ से हो रहा है. दूसरी तरफ साधु यादव फैक्टर भी आरजेडी के लिए मुसीबत बन सकता है.
2002 से बीजेपी जीतती आ रही
बीजेपी के दिवंगत नेता सुभाष सिंह 2015 में गोपालगंज से बिहार विधान सभा के निर्वाचित सदस्य थे और बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे थे. उनका करिश्मा साल 2005 से ही सीट पर था. वह साल 2005 से लगातार इस सीट पर जीतते आ रहे थे. उनकी मौत के बाद बहुत सोच समझकर बीजेपी ने उनकी पत्नी कुसुम देवी को मैदान में उतारा है. जाहिर है कि लगातार इस सीट पर काबिज रहे सिंह की पत्नी को सहानुभूति वाले वोट लेने से कोई नहीं रोक सकता है.
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो खास तौर पर ये उपचुनाव निर्णायक होने जा रहा है. बिहार में सत्तारूढ़ दल आरजेडी ने बीजेपी के पारंपरिक वैश्य वोट बैंक में सेंध लगाने की उम्मीद में वैश्य (व्यापारिक) समुदाय के एक स्थानीय पार्टी नेता और प्रमुख व्यवसायी मोहन गुप्ता को मैदान में उतारा है.
गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) यादव मतदाताओं के साथ वैश्य मतदाता बड़ी संख्या में हैं. कहा जाता है कि अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और मुस्लिम मतदाता भी सीट पर उम्मीदवारों की जीत की संभावना को बनाने या बिगाड़ने के लिए अच्छी संख्या में हैं. हालांकि, बहुजन समाज पार्टी (बीसपी) के टिकट पर अपनी पत्नी इंदिरा यादव को मैदान में उतारने वाले साधु यादव की मौजूदगी से आरजेडी उम्मीदवार के बीजेपी से सीट जीतने की संभावनाओं पर विराम लग सकता है.
साधु यादव इसी जिले से आते हैं और 2000 में गोपालगंज विधानसभा सीट जीत चुके हैं और 2004 में आरजेडी के टिकट पर लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं. उन्होंने 2020 का पिछला विधानसभा चुनाव भी बीएसपी के टिकट पर इस सीट से लड़ा था और उपविजेता उम्मीदवार के रूप में 41,000 से अधिक वोट हासिल किए थे. तब दिवंगत बीजेपी नेता सुभाष सिंह ने 36,000 से अधिक वोटों के अंतर से ये सीट जीती थी.
हार के भी भारी पड़ सकती है आरजेडी पर
गोपालगंज के स्थानीय लोगों भी मानते हैं कि साधु यादव की पत्नी इंदिरा यादव भले ही उपचुनाव न जीत पाएं, लेकिन उनकी उम्मीदवारी निश्चित रूप से उनके भतीजे आरजेडी के तेजस्वी यादव की उपचुनाव में बीजेपी को हराने की चाहतों पर ब्रेक लगा देगी. आरजेडी के उम्मीदवार मोहन गुप्ता के लिए इंदिरा यादव का मैदान में होना उनके वोट बैंक को कम ही करेगा.
एक तरह से ये आरजेडी के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक में सीधा सेंध लगाना होगा. अगर आने वाले चुनावों में इंदिरा यादव को 41,000 वोट भी मिलते हैं, जो उनके पति साधु यादव को 2020 के विधानसभा चुनाव में मिले थे, तो वह निश्चित तौर पर वो आरजेडी की बीजेपी से सीट छीनने की संभावना को खत्म कर देंगी.
हालांकि, राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बिहार में जिन दो सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से गोपालगंज सीट बीजेपी और मोकामा सीट आरजेडी को जा सकती है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी सहानुभूति से गोपालगंज सीट जीत सकती है, जबकि मोकामा में आरजेडी के बाहुबली और मजबूत अनंत सिंह के व्यक्तित्व और रॉबिनहुड आकर्षण के साथ सीट बरकरार रखने की संभावना है.मोकामा उपचुनाव में जेल में बंद अनंत सिंह की पत्नी राजद की नीलम देवी बीजेपी उम्मीदवार सोनम देवी के खिलाफ खड़ी हैं. सोनम देवी स्थानीय बाहुबली नलिनी रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह की पत्नी हैं.
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