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Bihar Political Crisis: राजनीति में सरकार गिराने का खेल नया नहीं, हाल ही में इन राज्यों में बिना चुनाव के बनी नई गवर्नमेंट

Bihar Politics: बिहार में बिना चुनाव के ही महागठबंधन की नई सरकार बनेगी. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और बिहार में ही बिना चुनाव के नई सरकार बन गई थी.

Bihar Political Crisis: बिहार में चले सियासी ड्रामे के बीच नीतीश कुमार (CM Nitsih Kumar) ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और अब महागठबंधन (Bihar Grand Alliance)के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे. एक बार पहले भी साल 2017 में नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी (BJP)के साथ हाथ मिला लिया था और बिना चुनाव (Assembly Election) के ही नई सरकार बना ली थी.

फिर से चुनाव हुए और एनडीए गठबंधन (NDA Bihar) ने जीत हासिल की और नीतीश सीएम बने. लेकिन इस बार जीत के बाद नीतीश कुमार (Nitish KUmar)को बीजेपी का साथ नहीं भा रहा था और उन्होंने फिर से बीजेपी का साथ छोड़ पहले के साथी राजद-कांग्रेस के साथ दोस्ती कर ली और अब महागठबंधन की सरकार, जो बिना चुनाव में जीत मिले ही बनेगी. नीतीश कुमार बुधवार को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और महागठबंधन के साथ नई कैबिनेट बनाएंगे. 

बिहार में जुलाई 2017 में बनी थी बिना चुनाव की सरकार

ऐसा ही सियासी खेल बिहार में पहले भी हो चुका था और ये खेल नीतीश कुमार ने ही खेला था. जब जुलाई 2017 में महागठबंधन का हिस्सा रहे नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उनका इस्तीफा मांगा था और उनके इस्तीफा नहीं देने के बाद आखिरकार 26 जुलाई 2017 को नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा देकर महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था. फिर बाद में उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई. 

तब नीतीश कुमार ने कहा था कि मैंने अभी राज्यपाल जी से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया है. हमने महागठबंधन सरकार 20 महीने से ज्यादा समय तक चलाई.
जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बिहार की जनता के समक्ष चुनाव के दौरान जिन बातों की चर्चा की, उसी के मुताबिक काम करने की कोशिश की, लेकिन हम नाकाम रहे और अब राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है. इतना कहकर दूसरे दिन ही नीतीश कुमार ने एनडीए की सरकार बनाई थी. 

इसी तरह से बिना चुनाव के ही सरकार बनी और एनडीए में जदयू और भाजपा ने सरकार चलाई लेकिन फिर से आई खटास के बाद सीएम नीतीश ने एक बार फिर पाला बदला और महागठबंधन का बहुमत हासिल कर वे फिर से सरकार बनाएंगे.

कर्नाटक में जुलाई 2019 में गिर गई थी कुमारस्वामी की सरकार 

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की कुमारस्वामी (HD Kumaraswamy)की सरकार आपसी मतभेदों के कारण गिर गई थी. मात्र 14 महीने चली सरकार लंबी जद्दोजहद के बाद गिर गई थी. गठबंधन के दोनों गुटों में हुए मतभेद के बाद सदन में विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें एचडी कुमारस्वामी बहुमत साबित करने में असफल रहे थे. कुमारस्वामी के पक्ष में 99 वोट तो बीजेपी के पक्ष में 105 वोट पड़े थे. इसके साथ ही 14 महीने में ही एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिर गई थी और बहुमत मिलने के बाद बिना चुनाव के ही बीजेपी ने सरकार बना ली थी.

कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे बीएस येदियुरप्पा चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. तब 225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में 20 सदस्य अनुपस्थित रहे थे ऐसे में बहुमत का आंकड़ा घट गया था और 105 सदस्यों वाली बीजेपी ने सदन में बहुमत हासिल कर लिया था और दो  दिनों में राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सरकार बना ली थी.

मध्यप्रदेश में मार्च 2020 में गिर गई थी कमलनाथ सरकार

20 मार्च साल 2020 मध्य प्रदेश की सियासत का वह दिन था, जब 15 साल बाद सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार मात्र 15 महीने बाद ही गिर गई थी. कांग्रेस के आपसी विवाद के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 कांग्रेसी विधायकों ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद अल्पमत में आई सरकार के मुखिया कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. 

कमलनाथ सरकार गिरने की वजह कांग्रेस की आपसी अंतर्कलह और ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई थी.. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही सिंधिया और कमलनाथ के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन रही थी और टीकमगढ़ की एक सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक ऐलान ने इस असहमति को विवाद में बदल दिया था और फिर यही विवाद आखिर में कमलनाथ सरकार गिरने की प्रमुख वजह माना गया.

महाराष्ट्र में जून 2022 में गिर गई थी उद्धव सरकार

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार इसी साल जून में गिर गई थी, जब तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे  कैबिनेट में पूर्व मंत्री एकनाथ शिंदे ने जून में शिवसेना के 40 विधायकों के साथ विद्रोह कर दिया था. शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर बड़े आरोप लगाए थे और दावा किया था कि वही असली शिवसैनिक हैं. इसे लेकर चल रहा विवाद अबतक थमा नहीं है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है. शिंदे की बगावत के बाद उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई और उसके बाद ही उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. फिर 10 दिनों तक चले जद्दोजहद के बाद एकनाथ शिंदे ने 30 जून को भाजपा के समर्थन के बाद सीएम पद की शपथ ली थी. 

महाराष्ट्र में अचानक से हुए इस राजनीतिक बदलाव के बाद बिना चुनाव के ही एकनाथ शिंदे की सरकार बन गई और आज शिंदे बिना चुनाव जीते ही सीएम पद पर विराजमान हैं. बिहार, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और फिर महाराष्ट्र के बाद एक बार फिर से बिना चुनाव के मुख्यमंत्री और फिर कैबिनेट मंत्री बनाए जाएंगे. 

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