Nitish Kumar Political Career: सहयोगी बदलते रहे, कुर्सी पर नहीं आने दिया खतरा... 23 साल में 9वीं बार बिहार के CM बनेंगे नीतीश कुमार
Nitish Kumar Political Career: छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखने वाले नीतीश कुमार 5 बार पाला बदल चुके हैं. 2005 में उन्होंने बिहार के CM पद की कमान संभाली थी. पढ़ें उनके राजनीतिक सफर के बारे में.
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Bihar Politics Latest Update: देश में कड़ाके की ठंड के बावजूद बिहार में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. नीतीश कुमार ने एक बार फिर राजनीतिक पाला बदल लिया है. वह 2005 से बिहार की सत्ता के केंद्र में बने हुए है. बीच में 20 मई 2014 से लेकर 20 फरवरी 2015 तक कुछ महीनों के लिए उनकी ही मर्जी से जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले नीतीश कुमार केंद्र सरकार में रेल सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. वर्ष 2000 में वह पहली बार सात दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद 23 साल गुजर चुके हैं. अब तक वे 8 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. आज सोमवार (28 जनवरी) को वह नौंवी बार शपथ ले सकते हैं.
नीतीश के राजनीतिक करियर में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में मंत्री रहने तक से लेकर कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव आए. इन वर्षों में उन्होंने आठ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. सहयोगी बदलते रहे, लेकिन कुर्सी पर नीतीश कुमार बने रहे. चलिए आज हम आपको नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर के बारे में बताते हैं, जिसमें बिहार में चाहे जिसके साथ मिलकर उन्होंने सरकार बनाई हो, लेकिन सिक्का उन्हीं का चला है. अब नौंवी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं.
बिजली बोर्ड की नौकरी छोड़ राजनीति में इंट्री
नीतीश कुमार ने बिहार इंजीनियरिंग कालेज से डिग्री हासिल की और छात्र जीवन में ही राजनीति में आ गए थे. हालांकि सक्रिय राजनीति में एंट्री से पहले उन्हें बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी मिल गई थी. कुछ ही दिनों की नौकरी के बाद उन्होंने राजनीति का रास्ता पकड़ लिया. यह लगभग वही दौर था, जब लालू यादव राजनीति में कदम रख रहे थे. दोनों का राजनीतिक करियर जनता दल से जुड़ने के बाद परवान चढ़ा.
दो बार चुनाव हारे
बिजली बोर्ड की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने सियासी सफर की शुरुआत में जनता पार्टी के टिकट पर हरनौत सीट से 1977 में विधानसभा का चुनाव लड़ा. ये चुनाव वे हार गए. तब निर्दलीय भोला प्रसाद सिंह इस सीट से जीते थे. 1980 में वे इसी सीट से जनता पार्टी (सेकुलर) के टिकट पर चुनाव लड़े और निर्दलीय अरुण कुमार सिंह से हारे. इसी सीट पर तीसरे प्रयास में उन्होंने लोक दल से 1985 का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के बृज नंदन प्रसाद सिंह को हराकर विधायक बने थे. इसके बाद उन्होंने जनता दल का दामन थाम लिया था.
अटल बिहारी वाजपेयी के समय बढ़ा राजनीतिक कद
इसके बाद जनता दल से ही 1989 में बाढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. इस सीट पर नीतीश कुमार ने कांग्रेस के राम लखन सिंह यादव को चुनाव हराया था. 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में लोकसभा चुनाव जीतकर वे लगातार सांसद बने हैं. नीतीश कुमार का राजनीतिक कद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान खूब बढ़ा. इसी दौरान उन्हें केंद्र में रेलवे जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली. 2004 में नीतीश कुमार बाढ़ और नालंदा दो सीटों से चुनाव लड़े. वे नालंदा से जीते, लेकिन बाढ़ से हार गए थे.
बीजेपी के कहने पर बने बिहार के सीएम
नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी की बड़ी भूमिका बताई जाती है. बिहार में एनडीए को पहली बार 2000 में सरकार बनाने का मौका मिला. तब नीतीश कुमार समता पार्टी के नेता थे. यह चुनाव बीजेपी, जनता दल और समता पार्टी ने साथ मिलकर लड़ा था. चुनाव में बीजेपी को 67, समता पार्टी को 34 और जनता दल को 21 सीटें मिली थीं. राजद 124 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन उनको स्पष्ट बहुमत नहीं था. तब झारखंड नहीं बना था और बिहार विधानसभा में 324 सीटें थीं. कहा जाता है कि तब बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री बनने के लिए नीतीश कुमार को आगे किया,जबकि उनकी खुद की पार्टी समता पार्टी उन्हें CM बनाने के पक्ष में नहीं थी.
पहली बार 7 दिनों के लिए सीएम बने थे नीतीश
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाने का प्रस्ताव अपने नेताओं को दिया था. लाल कृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली जैसे नेताओं के प्रयास से पहली बार नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए विधायक दल के नेता के तौर पर चुना गया. तब सात दिन के लिए नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने.
विधानसभा में बहुमत साबित नहीं होने के कारण तब पद छोड़ना पड़ा था. हालांकि, उसके बाद 2005 के चुनाव में जीत के बाद उन्होंने 24 नवंबर को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और उसके बाद 17 मई 2014 तक लगातार मुख्यमंत्री बने रहे.
मुख्यमंत्री बनने की कहानी
नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च 2000 को सीएम बने थे. हालांकि, बहुमत न जुटा पाने की वजह से उन्हें 10 मार्च 2000 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद बिहार में 2005 में हुए चुनाव में नीतीश बीजेपी के समर्थन से दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए. 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में वह तीसरी बार सूबे के मुख्यमंत्री बने रहे.
2014 में छोड़ा था मुख्यमंत्री पद
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इस दौरान उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री पद सौंपा. हालांकि, 2015 में जब पार्टी में अंदरुनी कलह शुरू हुई तो नीतीश ने मांझी को हटाकर एक बार फिर सीएम पद पर कब्जा किया.
महागठबंधन ने जीता चुनाव
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (जदयू, राजद, कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन) की एनडीए के खिलाफ जीत के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने.
तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप के बाद बदल पाला
वर्ष 2017 में आईआरसीटीसी घोटाले में राजद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया. उन्होंने जुलाई 2017 में ही पद से इस्तीफा दिया और एक बार फिर एनडीए का दामन थाम कर सीएम पद की शपथ ली.
2020 में सातवीं बार बने मुख्यमंत्री
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की. हालांकि, जदयू की सीटें बीजेपी के मुकाबले काफी घट गईं. इसके बावजूद नीतीश कुमार ने सातवीं बार सीएम पद की शपथ ली.
2022 में फिर आए थे महागठबंधन के साथ
अगस्त 2022 में एक बार फिर उन्होंने एनडीए का दामन छोड़ दिया और महागठबंधन के साथ आकर आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. अब एक बार फिर वह महागठबंधन से नाता तोड़ चुके हैं और एनडीए के साथ मिलकर नौवीं बार शपथ लेंगे.
नालंदा में है पैतृक गांव
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को हुआ था. उनके पिता का नाम कविराज राम लखन सिंह है. माता का नाम परमेश्वरी देवी है. उनकी पत्नी मंजू कुमारी सिन्हा का स्वर्गवास हो चुका है और बेटे का नाम निशांत है. उनका पैतृक गांव नालंदा जिले का कल्याण बिगहा रहा है, लेकिन नीतीश कुमार के पिता पटना के बख्तियारपुर में रहते थे, जहां उनका जन्म हुआ.
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