Bihar Politics: बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट चुका है, इसी के साथ बिहार की सरकार भी गिर गई है. नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू और राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के राज्यपाल फागू चौहान से मिलकर नई सरकार बनाने का देवा पेश करेंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूटा क्यों? सूत्रों के मुताबिक, किसी एक घटना की वजह से नहीं बल्कि पिछले साल डेढ़ साल में जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग मुद्दों पर आमने सामने आए हैं वह सभी इस दूरी को बढ़ाते चले गये हैं. 


नीतीश ने बीजेपी के सामने बात रखी
साथ ही ऐसी कौन सी बातें हैं जिसे सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने रखी जिससे अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा आगे कुछ नहीं कह पाए. क्या वजह है कि अभी तक बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व खामोश बैठा हुआ है? आईए जानके हैं कि बिहार में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन टूटने की पांच बड़ी वजहें क्या हैं. 


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  • हाल फिलहाल की घटनाओं की बात की जाए तो पहले विधानसभा में स्पीकर के साथ नीतीश कुमार की कहासुनी होना, कि आप सरकार के साथ हैं और सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. ये एक बड़ी वजह है. साथ ही बीजेपी और जेडीयू के बीच टकराव है ये संदेश साफ तौर से जनता के बीच जा रहा था.

  • 2020 के विधानसभा चुनाव में जब सीटों का बंटवारा हो रहा था तब चिराग पासवान को लेकर नीतीश कुमार की राय अलग थी और बीजेपी की राय अलग. चुनाव के बाद विधानसभा में क्या स्थिती बनी वो सबके सामने है. 

  • बाजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल लगातार सरकार पर हमला करते रहे. राज्य में लॉ एंड ऑर्डर और शराब को लेकर उन्होंने प्रतिक्रियाएं दीं. सरकार में रहकर ही सरकार की आलोचना करते रहे. 

  • आसीपी सिंह नीतीश कुमार के न चाहते हुए भी अमित शाह की वजह से केंद्र में मंत्री बने हुए थे. आसीपी सिंह बिहार में जेडीयू नेताओं और उसके वोट बैंक को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. 

  • अग्नीपथ योजना के खिलाफ आदोलन के बाद बीजेपी नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान करना एक तरह से बिहार सरकार पर सवाल उठाने जैसा था. ये बात भी सीएम नीतीश कुमार को नागवार गुजरी थी.

    मतलब साफ है कि जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन के बीच एक-एक कर तमाम ऐसे मुद्दे रहे हैं जिसकी वजह से बीजेपी-जेडीयू के बीच में दूरी बढ़ती चली गईं. हालांकि कोशिश जरूर की गई कि इस दूरी को पाटा जा सके लेकिन ऐसा हो नहीं सका.


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