Bihar Politics Latest News: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. हर शपथ के बाद उनका रास्ता एक अणे मार्ग ही जाता है, जो बिहार के सीएम का आधिकारिक निवास है. हालांकि क्या अब नीतीश कुमार के सपने में सेवन लोक कल्याण मार्ग बस गया है. नीतीश कुमार कल तक, जिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ थे, आज उनकी सत्ता को खुली चुनौती दे रहे हैं. कल तक जो विरोधी थे आज कह रहे हैं कि काबिल तो हैं नीतीश कुमार.
सारी लड़ाई 2024 और 2025 की है. 2024 पर चाचा नीतीश कुमार की नजर है तो 2025 पर भतीजे तेजस्वी की. पहले बात 2024 की कर लेते हैं. नीतीश कुमार ने अपनी सियासी अदा का परिचय देते हुए, जिस तरह मंगलवार को पलटी मारी, उसके बाद उनसे पूछा गया कि क्या वो दिल्ली की तरफ देख रहे हैं. इस पर नीतीश ने कहा कि अभी छोड़िए इस बात को. यही सवाल नीतीश को समर्थन देने वाले और उनकी सरकार में डिप्टी सीएम बने तेजस्वी यादव से पूछा गया तो उन्होंने इसकी तरफ एक हल्का सा इशारा जरूर दिया.
तेजस्वी ने कही ये बात
तेजस्वी यादव से पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार प्रधानमंत्री दावेदार होंगे? इस पर उन्होंने कहा कि अब ये सवाल मैं मुख्यमंत्री जी पर ही छोड़ता हूं, लेकिन क्या ये सच नहीं है कि वो इस देश के सबसे अनुभवी सीएम हैं. आज भतीजे से डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के बाद तेजस्वी यादव ने चाचा के पैर छुए. चाचा ने गले लगाया. ये रिश्ता राजनीतिक सौदेबाजी का है या निजी भावुकता का, ये कुछ समय के बाद पता चलेगा, लेकिन नीतीश कुमार के रूख से साफ है कि वो भी 2024 पर नजर गड़ाए हुए हैं.
क्यों नीतीश कुमार के चेहरे पर चर्चा
इस वक्त देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष की तरफ से कोई बड़ा और विश्वसनीय चेहरा दिख नहीं रहा. कांग्रेस दिन पर दिन सिमटती जा रही है और दूसरी राजनीतिक पार्टियां क्षेत्रीय दल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 और 2019 में बहुमत के साथ जीत हासिल की है. इसके साथ ही सीटों की संख्या बढ़ गई है. अब पीएम मोदी और नीतीश कुमार की दावेदारी की तुलना कैसे हो रही है ये भी समझ लीजिए.
दोनों में कौन कितना मजबूत
प्रधानमंत्री मोदी देश के सबसे प्रभावशाली चेहरा हैं, जबकि नीतीश कुमार की छवि बार-बार पलटने वाले नेता की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विचारों में स्पष्ट हैं, लेकिन नीतीश कुमार कभी सेकुलर होते हैं तो कभी बीजेपी के साथ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी में कोई चुनौती देने वाला नहीं है, जबकि नीतीश कुमार की दावेदारी को विपक्ष में ही चुनौती मिल सकती है. वजह ये है कि कइयों के सपने नीतीश कुमार के सपने से टकराएंगे. पीएम मोदी देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता हैं, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी एक क्षेत्रीय दल है और उनसे बड़ी कई पार्टियां हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दम पर पूर्ण बहुमत ला देते हैं, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी पिछले 12 सालों से लगातार सिमटती जा रही है.
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नीतीश कुमार कर गए बड़ा दावा
हालांकि नीतीश कुमार को लगता है कि जैसे इस वक्त बिहार में उन्होंने खेला कर दिया है, वैसा ही खेला 2024 में भी कर देंगे. उन्होने साफ कहा है कि हम कोई पीएम उम्मीदवार नहीं है, लेकिन 2014 वाले 2024 में नहीं रहेंगें. जिस वक्त नीतीश कुमार राजभवन में अपनी सत्ता की आठवीं पारी का शुभारंभ कर रहे थे, उसी वक्त बीजेपी सड़कों पर थी. बीजेपी के नेता नीतीश कुमार की पाला बदलने की राजनीति से गुस्से में हैं. उनको भी लगता है कि नीतीश कुमार की नजर दिल्ली की सबसे ताकतवर कुर्सी पर है, लेकिन उनका सपना पूरा होगा नहीं.
49 जन्म में नहीं बनेंगे
नित्यानंद राय ने कहा कि नीतीश 49 जन्म में भी पीएम नहीं बनेंगे. गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार पीएम बनना चाहते हैं, लेकिन वहां वैकेंसी है ही नहीं. सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बनना चाहते थे. नीतीश कुमार के बारे में कभी लालू यादव ने कहा था कि उनके पेट में दांत हैं. बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी होते हुए भी जिस तरह सत्ता की बागडोर नीतीश के हाथों में है, उससे ये साफ है कि अगर वो 2024 की बात कर रहे है तो उस लड़ाई को दिलचस्प बना सकते हैं.
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