Explained: JDU-RJD की पिछली बार की सरकार में कैसी थी कैबिनेट, राजद को मिला था कितना प्रतिनिधित्व
Bihar Politics: जेडीयू-आरजेडी की पिछली सरकार 2015 में महागठबंधन के तले बनी थी. हालांकि, सरकार पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी. पिछली जेडीयू-आरजेडी सरकार में कैसी थी कैबिनेट?
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JDU-RJD 2015 Cabinet: बिहार (Bihar) में 2015 का विधानसभा का चुनाव जेडीयू-आरजेडी (JDU-RJD) ने महागठबंधन (Mahagathbahndhan) के तहत लड़ा था और भारी जीत दर्ज की. तब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पांचवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. जेडीयू-आरजेडी की नीतीश कुमार सरकार ने सामाजिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए 28 सदस्यीय मंत्रीमंडल (Nitish Kumar 2015 Cabinet) बनाया था. कभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके नीतीश कुमार ने सोशल इंजीनियरिंग साधते हुए मंत्रीमंडल में तीन कुर्मी, चार मुस्लिम, पांच दलित, तीन-तीन निषाद (EBC) और कुशवाहा, 2 राजपूत, एक-एक भूमिहार और ब्राह्मण और सात यादवों को जगह दी थी. बिहार के जातिगत समीकरण के मुताबिक, तब सामान्य जाति और दलितों की संख्या 16-16 फीसदी थी. वहीं, अल्पसंख्यकों की संख्या 15 फीसदी, पिछड़ा वर्ग के लोग 21 फीसदी और अत्यंत पिछड़ा वर्ग से 32 फीसदी लोग बताए गए थे.
2015 की नीतीश कुमार सरकार की कैबिनेट में सबसे ज्यादा यादव चेहरे शामिल किए गए थे. 28 सदस्यीय मंत्रिमंडल में लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों तेजस्वी और तेज प्रताप समेत कुल सात यादव शामिल किए गए थे. आरएसएस के राजेंद्र सिंह को हराने वाले जेडीयू के जय कुमार सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था तो वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र से जीते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे राजपूत जाति से आने वाले अवधेश सिंह को कैबिनेट में जगह दी गई थी. दलिस समुदाय से आने वाले तत्कालीन बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी को भी कैबिनेट में जगह मिली थी. कांग्रेस अनुभवी और मुस्लिम चेहरे अब्दुल जलील मस्तान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. मिथिलांचल से कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरा मदन मोहन झा नीतीश कुमार सरकार की कैबिनेट में शामिल हुए थे.
पिछली जेडीयू-आरजेडी कैबिनेट में ये चेहरे थे खास
आरजेडी की ओर से लालू के दोनों बेटों के अलावा, लालू और नीतीश के करीबी अब्दुल बारी सिद्दीकी को मंत्रीमंडल में जगह मिली थी. आरजेडी नेता कृष्णनंदन वर्मा मंत्री बने थे. वहीं, भूमिहार समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले जेडीयू नेता राजीव सिंह उर्फ ललन सिंह को भी मंत्री बनाया गया था. इससे पहले की सरकार भी में भी वह मंत्री रह चुके थे.
2015 में नीतीश कुमार सरकार के मंत्रीमंडल में दो महिलाओं को भी जगह दी गई थी. महागठबंधन ने 25 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से 23 ने जीत हासिल की थी. आरजेडी कोटे से अनीता देवी और जेडीयू की मंजू कुमारी को मंत्री बनाया गया था.
पिछली सरकार में मंत्री रहे फुलवारी शरीफ के विधायक श्याम रजक को नीतीश कुमार का करीबी होने और जीतकर आने के बाद भी मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली थी, कहा गया था कि लालू यादव को उनसे आपत्ति थी. लालू की आपत्ति के कारण ही पिछली सरकार में मंत्री रहे पीके शाही को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी.
2015 में बनी महागठबंधन वाली बिहार सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकती थी. आरजेडी के दखल के कारण सरकार में दरार पड़ने की बात सामने आई थी. जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और एनडीए में वापसी कर फिर से सरकार बना ली थी.
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बिहार की राजनीति के मौजूदा हालात
बिहार में सियासी उठा पटक के बीच अपुष्ट खबरों के मुताबिक, जेडीयू-बीजेपी गठबंधन टूट गया है. जेडीयू ने आज अपने विधायकों-सांसदों की बैठक बुलाई थी, जिसके बाद यह बात सामने आई कि नीतीश कुमार आज ही सीएम पद से इस्तीफा देंगे और नई सरकार बनाने के लिए राज्य सरकार से मिलकर आज ही दावा पेश करेंगे. अपुष्ट खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी द्वारा उन्हें अपमानित किए जाने का आरोप लगाया है और कहा है कि बीजेपी ने जेडीयू को खत्म करने की साजिश रची थी.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं. उन्होंने कहा है कि बीजेपी ने 2013 में धोखा दे रही है. उन्होंने बीजेपी पर जेडीयू की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया. रिपोर्ट्स के मुताबिक ललन सिंह ने कहा कि उनका अब बीजेपी से गठबंधन नहीं रहेगा.
आरजेडी ने भी आज अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी. नीतीश कुमार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं, लालू यादव की बेटी रोहिणी ने आज ट्वीट करते हुए लिखा, ''राज तिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं लालटेनधारी.''
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