NDA Alliance Move: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस कड़कड़ाती ठंड में बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म हो रही है. आज शुक्रवार (26 जनवरी) को दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद का वक्त था, जब राजभवन में गणतंत्र दिवस के मौके पर हाईटी का आयोजन किया जा रहा था.


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कुर्सी पर बैठे थे और उनके बगल में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की कुर्सी लगी थी. बाकायदा नाम चस्पा था लेकिन जेडीयू के नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी के नाम की पर्ची हटाई और नीतीश के बगल में उस कुर्सी पर बैठ गए. इस कार्यक्रम से तेजस्वी की दूरी ने बता दिया कि नीतीश और लालू की खाई चौड़ी हो चुकी है. वहीं, नीतीश कुमार का जवाब भी इसको पुख्ता कर देता है.


क्या कहा नीतीश कुमार ने?


इस कार्यक्रम में जब सीएम नीतीश कुमार से पूछा गया कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव क्यों नहीं आए तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जो नहीं आया, इसका जवाब तो सिर्फ वही दे सकता है कि वो क्यों नहीं आया. साफ है कि बिहार में सियासत का नया समीकरण जन्म ले रहा है. अब सवाल ये है कि नए गठबंधन में बीजेपी के पुराने सहयोगियों का भविष्य क्या होगा?


NDA के पुराने साथियों का क्या होगा?


संतोष सुमन जीतन राम मांझी के बेटे हैं और हम के प्रमुख भी. हम के 4 विधायक हैं, जिनकी भूमिका इस वक्त काफी अहम है. ऐसे में ये विधायक बीजेपी से लेकर आरजेडी तक की नजर में हैं. नए राजनीतिक समीकरण पर बात करने के लिए कल रात को ही केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने जीतन राम मांझी से मुलाकात की थी.


बीजेपी की दूसरी सहयोगी है लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास. चिराग पासवान इसके मुखिया हैं, जो स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. चिराग पटना में सभी कार्यक्रम रद्द करके दिल्ली पहुंच चुके हैं. इसके अलावा एक और सहयोगी हैं आरएलजेडी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा. फिलहाल कुशवाहा नीतीश कुमार के भरोसे पर सवाल उठा रहे हैं.


इन सभी नेताओं ने साफतौर पर कुछ भी नहीं कहा है. हालांकि जीतनराम मांझी ने इतना जरूर कहा कि ये तो दिख ही रहा है कि खेला होगा कि नहीं क्योंकि पहले से ही अनुमान था कि जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगा. अगर नीतीश कुमार एनडीए में वापसी करते हैं तो इन छोटे दलों का सियासी भविष्य क्या होगा ये कह पाना फिलहाल थोड़ा मुश्किल है.


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