बिहार में 'खेला' करने को तैयार नीतीश, NDA में जाना तय-लालू ने भी छोड़ी आस; सभी खेमों में हलचल तेज
Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं. शनिवार (27 जनवरी) को भी बैठकों का दौर जारी रहने वाला है.
Bihar Politics Update: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार की सियासत में जबरदस्त हलचल है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ा फैसला ले सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, जदयू की ओर से बिहार के महागठबंधन और 'इंडिया' गठबंधन से अलग होने की सारी तैयारी हो चुकी है.
बीजेपी के नेता खुले तौर पर नीतीश को इनविटेशन दे चुके हैं. उधर, आरजेडी चीफ लालू भी नीतीश के गठबंधन में बने रहने की उम्मीद छोड़ चुके हैं. लालू की पार्टी अपने नंबर मजबूत करने में जुट गई है. पटना से लेकर दिल्ली में क्या कुछ हो रहा है और आज (27 जनवरी) क्या होने वाला है, आइए जानते हैं.
बैठकों का दौर जारी
शनिवार (27 जनवरी) को बिहार बीजेपी ने विधायक दल की मीटिंग बुलाई है. बिहार बीजेपी के प्रभारी विनोद तावड़े पटना में रहेंगे. वह सारे विधायकों और विधान परिषद के सदस्यों से मुलाकात करेंगे. इस बीच बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी कहा, ‘‘हमारे स्तर पर ऐसी किसी बात पर चर्चा नहीं हुई है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव पर चर्चा के लिए शनिवार को बैठक बुलाई गई है.
लालू यादव भी शनिवार को अपने विधायकों के साथ मुलाकात करने वाले हैं. दोपहर एक बजे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के घर में सभी नेता इकट्ठा होंगे और आगे की रणनीति पर काम करेंगे.
बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. इनकी बैठक भी पूर्णिया में होगी. ऐसी खबर है कि विधायक टूटने के डर से बाड़ेबंदी की जा रही है. वहीं, नीतीश कुमार अपने 45 विधायकों के साथ रविवार (28 जनवरी) को बैठक करने वाले हैं. विधायक दल की मीटिंग में बड़ा ऐलान हो सकता है.
आरजेडी और जेडीयू के प्रवक्ता क्या बोले?
आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार इन अफवाहों के बीच स्थिति स्पष्ट करेंगे कि क्या वह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में वापस जाने की योजना बना रहे हैं. वहीं, मनोज झा की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राज्य में जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘हमारे नेता महागठबंधन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री आवास में हैं. भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, लेकिन अगर कुछ लोग अभी भी भ्रम में हैं तो हम इसमें कुछ नहीं कर सकते.’’
नीतीश कुमार पर लेफ्ट पार्टी से आया रिएक्शन
अभी तक इस मसले पर लेफ्ट पार्टी ने कोई बयान नहीं दिया था लेकिन शुक्रवार को उसकी प्रतिक्रिया आई. सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के विधायक महबूब आलम ने कहा कि अगर नीतीश कुमार एनडीए में जाएंगे तो राजनीतिक रूप से उनकी मौत हो जाएगी. गठबंधन में दरार पैदा करके वो 2024 में चुनाव जीतना चाहते हैं.
नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ आने की अटकलों पर बीजेपी नेता और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी आलाकमान जो भी फैसला करेंगे, उसे मानेंगे.
बीजेपी की टॉप लीडरशिप की हुई बैठक
शुक्रवार को बीजेपी की टॉप लीडरशिप की दिल्ली में मीटिंग हुई. बैठक में बिहार की स्थिति पर ढाई घंटे से ज्यादा बात हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सगंठन महामंत्री बीएल संतोष बैठक में मौजूद थे.
बदल गई बीजेपी नेताओं की टोन!
इन सारे अपडेट्स के बीच ऐसे कयास भी लग रहे हैं कि नीतीश कुमार दो दिन में शपथ ले सकते हैं. सीएम और दो-दो डिप्टी सीएम वाले फॉर्मूले की भी चर्चा है. सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी अपनी पसंद का सीएम बनाना चाहती है लेकिन अभी तक कुछ भी कंक्रीट नहीं है. इतना जरूर है कि बीजेपी के जो नेता कल तक नीतीश कुमार की आलोचना कर रहे थे, उनकी टोन अचानक बदल गई है. उनका कहना है कि हम तो कार्यकर्ता हैं, जो हुक्म आएगा, उसे मानेंगे.
क्या लोकसभा चुनाव को देखते हुए हैं सारी कवायद?
माना जा रहा है कि बिहार के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में इस साल होने वाला लोकसभा चुनाव है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और बीजेपी का लक्ष्य इस बार 400 सीटों के पार जाना है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी जानती है कि बिना नीतीश कुमार को साधे यह काम मुमकिन नहीं है, शायद इसीलिए नीतीश के खिलाफ हमले बंद कर दिए गए हैं.
नीतीश कुमार ने भी तैयारी की है. उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले देश का राजनीतिक माहौल भांप लिया है. सीएम नीतीश ने कर्पूरी ठाकर को भारत रत्न देने जैसे फैसले का स्वागत किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
वहीं, जब इंडिया गठबंधन के कई नेता राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी-आरएसएस का इवेंट बता रहे थे तब नीतीश कुमार ने कोई उलट बयान नहीं दिया, बल्कि राम, रोटी, रोजगार का नारा दिया. माना जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया है कि ताकि वोट बैंक को बनाए रखा जाए. हिंदू वोटर्स को नाराज भी नहीं करना है. नीतीश कुमार कब एनडीए में शामिल होंगे, शायद इसी सवाल का जवाब शनिवार को होने वाली बैठकों में ढूंढा जाएगा.
राजनीति में हमेशा दरवाजा बंद नहीं करना है- सुशील मोदी
इस बीच बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई दरवाजा हमेशा के लिए बंद नहीं होता है. शुक्रवार को दिल्ली से पटना जाने के दौरान उन्होंने मीडिया से कहा, ''नीतीश कुमार या जेडीयू का सवाल है तो राजनीति में हमेशा दरवाजा बंद नहीं करना है. जो दरवाजा बंद रहता वो खुल भी सकता है.'' उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है.
...कार्यकर्ता का काम है पार्टी का आदेश मानना- गिरिराज सिंह
नीतीश कुमार की आलोचना करते रहे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बोल भी कुछ नरम पड़े हैं. उन्होंने हाल के अपने एक बयान में कहा कि जो भी निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करेगा, वह राज्य हित में और दल हित में बेहतर निर्णय लेगा, हमें पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा, ''जो भी निर्णय होगा, मैं कार्यकर्ता हूं और कार्यकर्ता का काम है पार्टी का आदेश मानना.''
आरजेडी और जेडीयू पास होकर भी दूर!
आरजेडी और जेडीयू पास होकर भी कितने दूर हो गए, मुख्यमंत्री आवास के कार्यक्रम से पता चलता है. सीएम और डिप्टी सीएम करीब डेढ घंटे तक साथ दिखे लेकिन एक दूसरे से बात नहीं की. हां, जाते-जाते तेजस्वी यादव नीतीश के सामने हाथ जोड़ते दिखे.
शुक्रवार शाम तक एक और तस्वीर ने सत्ता में बदलाव की चर्चा को हवा दे दी. नीतीश कुमार ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित जलपान समारोह में भाग लिया लेकिन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस समारोह में शामिल नहीं हुए. राजभवन में आयोजित समारोह के दौरान मुख्यमंत्री को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा सहित अन्य आगंतुकों के साथ अभिवादन करते देखा गया.
तेजस्वी यादव के नाम वाली कुर्सी खाली रही. नीतीश कुमार के मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी के नाम वाली पर्ची हटाई और खुद उस पर बैठ गए.
समारोह से बाहर निकलते हुए, नीतीश कुमार ने मीडिया से कहा कि यह यादव और विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सहित आरजेडी के अन्य नेताओं का काम है कि वे इस पर टिप्पणी करें कि वे (तेजस्वी यादव और पार्टी के अन्य नेता) समारोह में क्यों नहीं आए.
महागठबंधन एकजुट है- बिहार कांग्रेस अध्यक्ष
इस बीच बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा, ''बिहार में बीजेपी कुछ करने के चक्कर में है. बीजेपी कसरत कर रही है लेकिन सफलता नहीं मिलेगी. महागठबंधन एकजुट है... किसी तरह का दवाब महागठबंधन में नीतीश पर नहीं बनाया जा रहा है... अफवाह फैलाई जा रही है.''
राबड़ी देवी के घर पर आरजेडी नेताओं की हुई मीटिंग
आरजेडी की तैयारी भी सामने आई है. शुक्रवार को लालू प्रसाद यादव ने सीएम नीतीश को फोन किया लेकिन उनका फोन नहीं उठा नहीं. इससे थोडी देर पहले राबड़ी देवी के घर पर आरजेडी नेताओं की मीटिंग हुई थी. हालांकि, इस मुलाकात से ज्यादा चर्चा उस मीटिंग की हुई जो नीतीश के दांव को काउंटर करने के तौर पर देखी जा रही है.
एबीपी न्यूज को पता चला है कि जेडीयू के कुछ विधायक ऐसे हैं जो नीतीश के बीजेपी में जाने से खुश नहीं है. छह-सात विधायकों ने सीक्रेट मीटिंग की और वो लालू यादव की पार्टी के संपर्क में बताए जा रहे हैं.
क्यों लगाई जा रहीं नीतीश कुमार के गठबंधन से अलग होने की अटकलें?
आखिर ऐसी अटकलें क्यों लगाई जा रही है कि नीतीश कुमार ने बिहार के महागठबंधन और इंडिया गठबंधन से अलग होने का फैसला कर लिया है, यह भी समझते हैं. दरअसल, तेजस्वी यादव को अगले सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाने लगा है लेकिन नीतीश अभी सीएम पद से हटना नहीं चाहते थे.
इंडिया गठबंधन में संयोजक का पद न मिलने से नीतीश कुमार नाराज माने जा रहे थे. माना जा रहा कि जेडीयू ने इसे अपमानजनक माना है. वहीं, प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर भी नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन से कोई आश्वासन नहीं मिला. सीट बंटवारे में भी देरी हो रही थी.
सूत्रों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन में आरजेडी खुद को बिग ब्रदर के रोल में देखने लगी और नीतीश कुमार को जितनी सीटें चाहिए थीं उतनी नहीं मिल रहीं. नीतीश को यह लग रहा था कि कहीं न कहीं जेडीयू को तोड़ने का काम आरजेडी कर सकती है, इसीलिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की गई.
सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू के कई नेता आरजेडी के काम करने के तरीके, खासकर लालू यादव के मंत्रियों की छवि से खुश नहीं थे. उन्हें लगा कि जेडीयू के वोट बैंक में यह मैसेज जाने लगा कि बिहार में जंगल राज लौट आया.
सूत्रों के मुताबिक, बिहार सरकार ने जातिगत गणना कराई थी लेकिन क्रेडिट आरजेडी लेने लगी. इस वजह से भी नीतीश कुमार असहज दिखने लगे. यह भी सामने आया कि अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में लालू यादव का दखल बढने लगा, यह बात नीतीश कुमार को परेशान कर रही थी.
जेडीयू विधायक गोपाल मंडल बोले- किसी सूरत में नीतीश बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे
इस बीच जेडीयू विधायक गोपाल मंडल ने कहा, ''नीतीश कुमार मर जाएंगे, मिट जाएंगे लेकिन अब भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ चले गए तो उनका राजनीतिक पतन हो जाएगा.''
मांझी से बात चल रही है- महबूब आलम
सीपीआई (एमएल) नेता महबूब आलम ने कहा, ''आरजेडी की अगुवाई में सरकार बनेगी. मांझी से बात चल रही है. और भी लोग संपर्क में हैं. बहुमत से बहुत नजदीक हैं हम. सीएम इस्तीफा देते हैं तो सरकार पर पहला हक आरजेडी का होगा. नीतीश की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है. अपना स्टैंड क्लियर करें नीतीश कुमार.''
असदुद्दीन ओवैसी क्या बोले?
इस बीच एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का भी बयान आया. उन्होंने कहा, ''नीतीश कुमार जी तुम्हारी ये कैसी सियासत है? कभी मोदी से निकाह कर लेते हो, कभी तेजस्वी से. कभी मोदी से तलाक ले लेते हो तो कभी तेजस्वी से. नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी बड़ी मजबूत आशिकी है, इन दोनों में लैला-मजनू से भी ज्यादा मोहब्बत है. बिहार की जनता से भी कहा था आप गठबंधन के नाम पर जिसे वोट दे रहे हो उस गठबंधन का नीतीश कुमार एक दिन मोदी की गोद में जाकर बैठ जाएगा.''
नीतीश एनडीए में नहीं जाएंगे- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ''कोई सुगबुगाहट नहीं है. हमें विश्वास है कि नीतीश जी एनडीए में नहीं जाएंगे. नीतीश जी इंडिया गठबंधन को मजबूत करेंगे.''
महागठबंधन सरकार एक दो दिन में गिर सकती है- संतोष कुमार सुमन
जीतन राम मांझी के बेटे विधान पार्षद संतोष कुमार सुमन ने दावा किया कि बिहार में महागठबंधन सरकार एक या दो दिन में गिर सकती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को नीतीश कुमार के संबंध में बीजेपी से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है.
चिराग पासवान का भी आया बयान
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा, ''मौजूदा परिस्थिति में भी बिहार में एनडीए इतनी मजबूत है कि वह अकेले 40 की 40 सीट जीत सकती है. ऐसी सरगर्मी हमने पहले भी देखी है. 2-4 दिनों में परिस्थितियां स्पष्ट होंगी.''
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