पटनाः बिहार में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में विपक्ष लगातार सीएम नीतीश को घेरने की कोशिश में लगा है. मौजूदा समय में विपक्ष सीएम नीतीश पर कोरोना काल में जनता के बीच नहीं जाने को लेकर बवाल कर रही है. इसी क्रम में रविवार को प्रशांत किशोर जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कोरोना काल में सीएम नीतीश के एक भी बार बाहर नहीं निकलने को लेकर उनपर सवाल खड़े किए हैं.


प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर सीएम नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश में सबसे कम टेस्टिंग, 7-9% पॉजिटिव केस दर और 6 हजार से ज्यादा केस के बावजूद बिहार में करोना के बजाय चुनावों की चर्चा है. तीन महीनों से कोरोना के डर से अपने आवास से ना निकलने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समझते हैं कि लोगों के घरों से निकलकर चुनाव में भाग लेने में कोई खतरा नहीं है.


इधर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी समेत पूरा लालू परिवार इस मुद्दे को लेकर सीएम नीतीश पर सवाल खफा कर रहे है. शनिवार को भी तेजस्वी ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि अब तो हमे लगता है कि विपक्ष को ही एक अणे मार्ग जाकर सीएम को ढूंढना होगा कि मुख्यमंत्री जी कहां हैं. बिहार में हाहाकार मचा हुआ है, लोग मर रहे हैं और मुख्यमंत्री 90 दिनों से गायब हैं. आखिर कहाँ हैं कौन से बिल में छुपे हुए हैं जरा बताएं. तेजस्वी के अलावा आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यदाव भी लगातार सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सीएम नीतीश को इसी मुद्दे को लेकर घेरने की कोशिश कर कर हैं.


इधर, विपक्ष के हमले का सत्ता पक्ष भी जवाद देने से पीछे नहीं हट रही है. सीएम नीतीश के बाहर नहीं निकालने को लेकर विपक्ष की ओर लगतार उठाये जा रहे सवाल का जवाब देते हुए सूबे के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि वह जमाना गया जब सीएम हाउस में अपराधी छुपते थे. उन्हें वहां शरण दिया जाता था और वहीं रंगारंग कार्यक्रम चला करता था. अब वह दिन लद गए हैं. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सुशासन है, जहां वो न किसी को बचाते हैं न फंसाते हैं.


बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनन्द ने कहा की एक भोंपू है जो "थोथा चना बाजे घना का पर्याय हैं यानि की ज्ञान में कम और नौटंकी खूब ज्यादा." दूसरा भोंपू है जो "बिना पेंदी का लोटा है. इसको जहां मिल जाता है माल, वहीं खोल लेता है दुकान." एक 55 दिन तक कहां रहा किसी को पता नहीं और दूसरा किस दुकान पर दलाली कर रहा है भगवान जाने.


गुड गवर्नेंस का मतलब प्रशासनिक तंत्र और व्यवस्था का सुचारु संचालन है जो नीतीश कुमार बखुबी कर रहे हैं. मिस- गवर्नेंस के पुरोधाओं को गुड गवर्नेंस का मॉडल समझ में नहीं आ सकता है. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पढ़ लो.झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली से बिहार की स्थिति बहुत बेहतर है.