बिहार के मुजफ्फरपुर में बुधवार को पहली बार 'ब्लैक फंगस' का मामला सामने उजागर हुआ है. कोविड-19 की जटिलता से उबरने के बाद 52 वर्षीय महिला को शुरुआती लक्षण विकसित हुआ. महिला को ब्लैक फंगस के संक्रमण का इलाज के लिए पटना के IGIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया. न्यूज एजेंसी से बात करते हुए अस्पताल के डायरेक्टर ने मामले की पुष्टि की है.
बिहार में 'ब्लैक फंगस' का पहला मामला आया सामने
उन्होंने कहा, "मुजफ्फरपुर की 52 वर्षीय महिला कोविड-19 के बाद ब्लैक फंगस से संक्रमित है. उसका इलाज चल रहा है. फंगस का संक्रमण कमजोर इम्यूनिटी वाले रोगियों के नाक, आंख में विकसित होता है, जिससे सांस लेना दुश्वार हो जाता है. इस बीमारी का दवा या ऑपरेशन से इलाज हो सकता है."
गौरतलब है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच भारत में ब्लैक फंगस नाम से एक नई मुसीबत ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़ीशा, राजस्थान, गुजरात में कोविड-19 से उबर चुके या उबर रहे लोगों में ब्लैक फंगस संक्रमण के मामले पाए गए. संक्रमण को म्यूकरमायकोसिस भी कहा जाता है जो एक बेहद दुर्लभ मगर गंभीर है. ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है और आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. हालांकि, ये फंगस संक्रण बहुत दुर्लभ है और साइनस, दिमाग और लंग्स को प्रभावित करती है.
महामारी की दूसरी लहर में बढ़ रही मरीजों की संख्या
इलाज के लिए देर से आने पर संक्रमण घातक हो चुका होता है और मरीज की आंखों की रोशनी जा चुकी होती है. संक्रमण को दिमाग तक पहुंचने से रोकने के लिए उनकी आंख निकालनी पड़ती है. डायबिटीज के मरीज या बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए फंगल संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है. फंगल संक्रमण का पहला मामला कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान सामने आया था. दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या ने फंगल रोधी दवाओं की कमी पैदा कर दी. बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार निर्माताओं से दवा के उत्पादन बढ़ाने पर बातचीत कर रही है.
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