(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
पटना: सीएम नीतीश कुमार ने निभाई दोस्ती, अरुण जेटली की प्रतिमा का किया अनावरण
नीतीश ने जेटली के निधन के बाद ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि पटना में उनकी प्रतिमा लगाई जाएगी. 24 अगस्त 2019 को लम्बे समय से बीमार रहने के कारण अरुण जेटली का दिल्ली में निधन हुआ था.
पटना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली की आज 67वीं जयंती है. इस मौके पर जेटली की प्रतिमा पटना के कंकड़बाग स्थित पार्क नंबर-31 मे लगाई गई है. अरुण जेटली की पहली प्रतिमा का अनावरण आज मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया. इस मौके पर अरुण जेटली के परिवार के सदस्य, पत्नी, बेटा और बेटी भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, बीजेपी के दीघा विधायक संजीव चौरसिया, मंत्री अशोक चौधरी समेत तमाम बड़े नेता शामिल हुए. इस मौक़े पर अरुण जेटली के परिवार के सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया. सीएम नीतीश कुमार ने अरुण जेटली की पत्नी संगीता जेटली को मोमेंटो देकर सम्मानित किया.
देशभर में लगी जेटली की ये पहली प्रतिमा
अरुण जेटली नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे. नीतीश ने जेटली के निधन के बाद ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि पटना में उनकी प्रतिमा लगाई जाएगी. उनके निधन के 6 महीने के भीतर ही जेटली की प्रतिमा का अनावरण किया गया है. अरुण जेटली और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की दोस्ती की चर्चे सत्ता के गलियारे में सुने जाते रहें हैं. दोनों के बीच रही दोस्ती का परिणाम है कि देशभर में अरुण जेटली की पहली प्रतिमा बिहार की राजधानी पटना में लगी है.
बेटी ने किया सीएम को धन्यवाद किया
दिवंगत नेता अरुण जेटली की मूर्ति अनावरण के मौक़े पर आयीं उनकी बेटी सोनाली जेटली ने सीएम नीतीश कुमार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि सीएम को धन्यवाद देना चाहती हूं कि बिहार सरकार ने और बिहार के सारे लोगों ने हमें इतना सम्मान दिया. उन्होंने आगे कहा कि मेरे पिता का बिहार से शुरू से ही जुड़ाव था. उनके छात्र जीवन से ही बिहार से जुड़ाव रहा और मैं इस सम्मान के लिए सबका धन्यवाद करना चाहती हूं.
नीतीश कुमार ने किया था वादा
बता दे कि इसी साल यानि 24 अगस्त 2019 को लम्बे समय से बीमार रहने के कारण अरुण जेटली का दिल्ली में निधन हुआ था. उनके निधन के कुछ दिनों बाद ही पटना में एनडीए की तरफ़ से शोक सभा रखी गई था. सीएम नीतीश कुमार ने जेटली को याद करते हुए कहा था कि भले ही वो बिहार के रहने वाले नहीं थे लेकिन बिहारियों के प्रति उनका प्रेम और सद्भाव कुछ अधिक था. विरोधियों से भी संवाद करने की कला अरुण जेटली में थी. उसके अलावा खुल कर बातें करना और तबियत ख़राब रहने के बावजूद उनकी याददाश्त पर ना कोई असर दिखा और न वो परेशान दिखे.
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