मुजफ्फरपुर: बिहार में मुजफ्फरपुर के धर्मपुर गांव में नौ स्कूली बच्चों की कुचलकर मौत के मामले में अब तक आरोपी मनोज बैठा जहां पुलिस की गिरफ्त से दूर है. वहीं इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है. सरकारी लापरवाही और गाड़ी की रफ्तार ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. मारे गए सभी बच्चे अपने गांव के स्कूल से लौट रहे थे तभी हादसे का शिकार हो गए. बच्चों की मौत से न सिर्फ परिवार बल्कि इलाके में मातम है.


11 साल की नुसरत खातून छठी क्लास में पढ़ती थी. नुसरत मां-बाप की इकलौती बेटी थी. बताते हैं कि वो बड़ी मन्नतों के बाद पैदा हुई. मां, खुशबू खातून बेटी-बेटी पुकारकर बेहोश हो जाती है और पिता अनवारुल अंसारी को अफसोस है कि वो आखिरी बार नुसरत को अलविदा भी नहीं कर सके. अनवारुल लुधियाना में सिलाई का काम करते हैं. बेटी नुसरत, नाना के यहां से घूमकर आई थी. दो मार्च को सब वापस लुधियाना जाने वाले थे.


शाहजहां की उम्र 10 साल थी और वो भी इसी स्कूल में पांचवीं में पढ़ती थी. वहीं उसकी बहन साजिया खातून 6 साल की थी और पहली क्लास में हाल ही में उसका एडमिशन हुआ था. इनके पिता का नाम वहीद अंसारी है. इनकी यही दो ही बेटियां थी.


सलामान अंसारी की उम्र 10 साल और बहन हिना खातून के पिता इस्लाम अंसारी और मां रुखसाना खातून हैं. पिता रोज़गार के लिए बिहार से बाहर रहते हैं और बच्चों को तालीम धर्मपुर के स्कूल में दिला रहे थे. जिन बच्चों की मौत हुई है ये सभी एक ही खानदान के बच्चे हैं.


अभी तीन बच्चे और हैं जिनका इलाज़ अस्पताल में चल रहा है और वो ज़िन्दगी-मौत के बीच जूझ रहे है. ऐसे ही चांदनी खातून और अरमान अंसारी के घर में बुरा हाल है. मां चीखती रहती हैं और पिता बिलखते रहे हैं.


धर्मपुर के दलित बस्ती में भी कोहराम मचा है. दादी अपने पोते की तस्वीर देख दहाड़ मार कर गिर जाती है और मां लगातार बिस्तर पर पड़ी है, वहीं बहन मनीषा उस दर्दनाक हादसे को याद कर सहम जा रही. उसकी बहन 13 साल की थी तीसरी में पढ़ती थी. मां गोनूर सहनी स्कूल के टीचर को दोषी ठहरा रही हैं.


वहीं एक और मां बिंदा देवी कुछ बोल नहीं पा रही हैं. बिरजू कुमार 12 साल का था और पांचवीं में पढ़ता था. वो स्कूल नहीं जाना चाहता था पर लेकिन मां उसे भेज देती थी. पिता गगनदेव साहनी मज़दूरी करते हैं और भूमिहीन होने के बाद भी सबसे छोटे बेटे को रोज़ स्कूल भेजते थे.


एक और बच्चे की मां जानकी देवी को अब अफसोस हो रहा. रचना के घर का तो बहुत बुरा हाल है. रचना दूसरी क्लास में पढ़ती थी और दो बेटियों में सबसे बड़ी लड़की थी. एक तरफ बेटी की मौत तो दूसरी तरफ भूख से बिलखती छोटी बेटी ने घर का मंज़र और डरावना बना दिया है. मां आंखों में आंसू लिए बेटी के लिए खाना पकाती रहती है. इससे बुरा मंज़र जीवन में और क्या हो सकता है.


मीता कुमारी की मां उस वक्त को कोस रही होती है जब उन्होंने अपनी बच्ची को ज़बरदस्ती स्कूल भेजा था. मां प्रमिला देवी और बड़ी बहन एक दूसरे से लिपट कर ऐसा रो रहे हैं जिसे देखकर कोई भी कांप जाए. पांच भाई-बहनों में मीता सबसे छोटी थी. इसी परिवार के बेटे चमन कुमार का अस्पताल में इलाज चल है. परिवार वाले घर और अस्पताल के बीच दौड़ लगा रहे हैं. उन्हें ये समझ नहीं आ रहा कि वो खुद को संभाले या परिवार को. दादा का कहना है कि उन्हें कतई पता नहीं था कि बच्चों को स्कूल भेजते पर ऐसा हो जाएगा.


बीजेपी नेता बैठा पर नौ बच्चों को रौंदने का आरोप


बिहार में एक बीजेपी नेता की बुलेरो की चपेट में आने से नौ बच्चों की मौत हो गई थी. इस हादसे में 20 बच्चे घायल हो गए थे. गाड़ी का रजिस्ट्रेशन बीजेपी की प्रदेश महामंत्री मनोज बैठा के नाम पर है. बैठा पर शराब पीकर गाड़ी चलाने के भी आरोप लग रहे हैं.


आपको बता दें कि बिहार में शराब बैन है ऐसे में राज्य की नीतिश कुमार सरकार पर विपक्ष जमकर निशाना साध रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनोज बैठा को बीजेपी ने छह सालों के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया है.