आखिर ये कैसी शराबबंदी, पुलिसकर्मी के घर में ही महीनों से बन रही थी जहरीली शराब
वैशाली जिले के बरांटी थाना क्षेत्र के बसौली गांव में कच्ची शराब बनाई और परोसी जा रही थी. एक घर ठीक पीछे केले के पेड़ों के बीच में बकायदा गड्ढा बनाया हुआ था जिसमें शराब छिपाई जाती थी.
नई दिल्ली: बिहार में शराबबंदी के बावजूद धड़ल्ले से कच्ची शराब बनाई और पी जा रही है. इस वजह से आए-दिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों से जहरीली शराब पीने से मौत होने की घटनाएं सामने आ रही हैं. ताजा मामला पटना से सटे वैशाली जिले का है, जहां जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनभर से ज़्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती हैं. वैशाली जिले के इस शराबकांड ने पुलिस और प्रशासन की कलई खोलकर रख दी है क्योंकि शराब बनाने और पीने का ये पूरा खेल पुलिसकर्मी के घर में ही चल रहा था.
वैशाली जिले के बरांटी थाना क्षेत्र के बसौली गांव में कच्ची शराब बनाई और परोसी जा रही थी. एक घर ठीक पीछे केले के पेड़ों के बीच में बकायदा गड्ढा बनाया हुआ था जिसमें शराब छिपाई जाती थी. जानकारी के मुताबिक़ बीते सोमवार को घर में दो दर्जन से ज्यादा लोगों ने कच्ची शराब पी थी जिसके बाद अचानक उनकी तबियत बिगड़ने लगी. देखते ही देखते तीन लोगों की मौत हो गई और अभी भी 10 से ज़्यादा लोग अस्पतालों में ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं.
उषा देवी नाम की महिला के पति देवेंद्र पासवान की मौत ज़हरीली शराब पीने से हो गई. पति की मौत के बाद उषा देवी ठीक से बोल भी नहीं पा रही हैं. इनके बेटे चंदन ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ज़हरीली शराब पीने के बाद पहले तो इनके पिता के आंखों की रौशनी चली गई और उसके बाद उनकी मौत हो गई. चंदन ने आरोप लगाया कि शराबकांड के मुख्य आरोपी अदालत पासवान के भाई कृष्णमोहन पासवान ने उन्हें अपने पिता का पोस्टमार्टम कराने के लिए मना किया ताकि मौत की असली वजह सामने न आ सके. आरोपी अदालत पासवान के भाई कृष्णमोहन पासवान चौकीदार हैं.
इस शराब कांड में अब तक देवेंद्र पासवान के अलावा गांव के ही लालबाबू पासवान और अरुण पटेल की मौत हो चुकी है. मृतक अरुण पटेल के बेटे कृष्ण कुमार ने बताया कि शराब पीने के बाद उनके पिता के आंखों की रौशनी चली गई जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन सही तरीके से इलाज नहीं किया गया.