पटना: बिहार में महागठबंधन के ताले की चाभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ है और कांग्रेस का हाथ आरजेडी प्रमुख लालू यादव के साथ है. महागठबंधन की मौजूदा हालत ये है कि बीजेपी से मुकाबले की जगह लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच आपस में ही शह और मात का खेल चल रहा है. ऐसे में सबकी नज़र इस पर टिकी हुई है कि क्या होगी नीतीश कुमार की आगे की रणनीति?


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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रमुख लालू यादव के परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से शुरू से ही किनारा किया हुआ है, लेकिन सीबीआई के छापेमारी और एफआईआर में तेजस्वी यादव का नाम आने के बाद सबकी नज़र इस बात पर टिकी है कि नीतीश कुमार अब क्या रणनीति अपनाते हैं.



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नीतीश कुमार के लोक संवाद कार्यक्रम में आज मीडिया के सामने आने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन नीतीश की खराब सेहत को वजह बताते हुए ये कार्यक्रम टाल दिया गया. इस बीच, आरजेडी ने तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांग रही बीजेपी पर पलटवार किया है.


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आरजेडी नेता रघुनाथ झा ने कहा, ‘’तेजस्वी पर तो सिर्फ एफआईआर हुई है, जबकि बाबरी मस्जिद केस में बीजेपी के कई बड़े नेताओं पर चार्जशीट हो चुकी है. उमा भारती तो चार्जशीट के बावजूद अब तक मोदी मंत्रिमंडल में बनी हुई हैं. मोदी सराकर उन सबको हटाएं.’’


जेडीयू चाहे तो वो भी ऐसी ही दलीलें देते हुए बीजेपी पर पलटवार कर सकती है, लेकिन सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार ऐसा करेंगे ? नीतीश की आगे की रणनीति पर ही लालू यादव के परिवार का भविष्य टिका हुआ है. लालू अब तक यही दावा करते आ रहे हैं कि गठबंधन अटूट है.


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सीबीआई के छापों के बाद लालू यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘’बीजेपी को उखाड़कर फेंक देंगे.  बिहार में हमारा गठबंधन बरकरार है. गठबंधन से इससे क्या लेना-देना है?’’



नीतीश कुमार सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और राष्ट्रपति चुनाव जैसे मुद्दों पर खुलकर मोदी सरकार के साथ खड़े नज़र आए हैं. वहीं, नीतीश आरजेडी से दूरी बनाने का संकेत भी दे चुके हैं. सूत्रों की मानें तो राजनीति के माहिर खिलाड़ी नीतीश कुमार शह और मात का ये खेल यूं ही खेलते रहेंगे, लेकिन फिलहाल महागठबंधन नहीं तोड़ेंगे.