बिहार में बढ़ रही आबादी के पीछे सीएम नीतीश कुमार महिलाओं को जिम्मेदार मानते हैं. उनका मानना है कि अगर महिलाएं साक्षर होंगी यानी पढ़ी-लिखी होंगी तो आबादी भी घटने लगेगी. सीएम नीतीश कुमार के अनुसार बिहार में जनसंख्या नियंत्रण में नहीं आएगी, क्योंकि पुरुष जिम्मेदारी नहीं लेते हैं जबकि महिलाएं अशिक्षित हैं.


दरअसल, नीतीश कुमार इन दिनों बिहार में 'समाधान' यात्रा कर रहे हैं. वह राज्य के अलग-अलग ज़िलों में जाकर अपनी सरकारी योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं. इस यात्रा के दौरान बीते शनिवार वह वैशाली पहुंचे और उनके जुबान से कुछ ऐसा निकल गया जिसने बिहार की सियासत को एक बार फिर गर्म कर दिया. 


सीएम नीतीश कुमार ने अपने बयान में कहा, 'महिलाएं पढ़ लेंगी तभी प्रजनन दर घटेगी. महिलाएं पढ़ी लिखी रहती है तो उनको सब चीज का ज्ञान हो जाता है कि भाई हमको कैसे बचना है. अगर महिलाएं बेहतर शिक्षित होतीं या जागरूक होती तो उन्हें पता होता कि गर्भवती होने से खुद को कैसे बचाना है. पुरुष विचार करने के लिए तैयार नहीं हैं.' हालांकि नीतीश कुमार ने जिस तरह से और जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है वो आपत्ति का विषय हो सकता है और उनके बयान को उन्हीं की भाषा में नहीं लिखा गया है. 


सीएम के बयान पर विवाद के बीच जानते हैं कि आबादी के लिहाज से तीसरे स्थान वाला राज्य बिहार महिलाओं को शिक्षित करने के मामले में कहां है और हकीकत में आंकड़े क्या कहते हैं?




बिहार में साक्षरता दर 



  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों को देखें तो आबादी के लिहाज से तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार में पुरूष और महिलाओं के साक्षरता दर में 20 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर है. 

  • यहां महिलाओं की साक्षरता दर 55 फीसदी है तो वहीं 76 फीसदी से ज्यादा पुरुष साक्षर हैं. आसान भाषा में समझे तो आंकड़े कहते हैं कि बिहार में हर 100 में से 76 पुरुष को पढ़ना लिखना आता है जबकि 100 में केवल 55 महिलाएं ही पढ़ना-लिखना जानती हैं.


बिहार का प्रजनन दर 


एसआरएस (सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे) रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों के अनुसार बिहार का प्रजनन दर 3.1 रहा, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 यानी हम दो हमारे, हमारे दो से ज्यादा है. हालांकि अच्छी बात ये है कि राज्य के प्रजनन दर में हर साल कमी देखी जा रही है. इससे पहले यानी साल 2021 में प्रजनन दर 3.7 था.




अब समझिए साक्षरता और प्रजनन का कनेक्शन 



  • एसआरएस (सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे) रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पढ़ी लिखी महिलाओं के बच्चों को जन्म देने का दर अशिक्षित महिलाओं के मुकाबले आधा है. इससे पता चलता है कि लड़कियां जितना पढ़ेंगी जनसंख्या नियंत्रण उतना ही कारगर होगा.

  • सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे के एक और आंकड़े पर गौर करें तो पता चलता है कि अशिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर 4.1 है तो वहीं पढ़ी लिखी महिलाओं में यह 2.1 है. आसान भाषा में समझे तो बिना पढ़ी-लिखी महिला जहां 4 बच्चों की मां बन रही है तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षित महिला 2 बच्चों की.


पढ़ाई-लिखाई और बढ़ती आबादी का कनेक्शन...



  • NFHS-5 के एक आंकड़े कहते हैं कि देश में महिलाएं जितनी ज्यादा पढ़ी लिखी होती है तो वहां जनसंख्या नियंत्रण में आसानी होती है. अगर कोई महिला 12वीं या उससे आगे की पढ़ाई करने की हो वह अपनी जिंदगी में औसतन 1.8 बच्चों को जन्म देती हैं, जबकि वह महिलाएं जो कभी स्कूल नहीं गई वह औसतन 2.8 बच्चे पैदा करतीं हैं.

  • रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में एक महिला अपने पहले बच्चे को औसतन 21.2 साल की जन्म दे देती हैं. अगर महिला पढ़ी लिखी नहीं है तो वह उसका पहला बच्चा औसतन 19.9 साल की उम्र में हो जाता है. वहीं अगर वह 12वीं या उससे ज्यादा पढ़ी हैं तो पहला बच्चा औसतन 24.9 साल की उम्र में होता है.


नीतीश कुमार के बयान पर क्या बोले विपक्ष


सीएम के इस बयान को लेकर बीजेपी ने उन पर जमकर निशाना साधा है. एक तरफ जहां बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने इस बयान को 'सेक्सिस्ट' बताया. वहीं दूसरी तरफ पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने इसे 'सड़क छाप' भाषा बताते हुए कहा, 'जब से नीतीश ने आरजेडी से हाथ मिलाया है तब से उन्होंने अपनी शालीनता खो दी है.


बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के नेता सम्राट चौधरी ने ट्वीट किया है, "मुख्यमंत्री श्री कुशासन कुमार जी ने जिन अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया वह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. ऐसे शब्दों का प्रयोग कर वह मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कलंकित कर रहे हैं."






बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट करते हुए कहा, "यह सही है कि पढ़ी लिखी महिलाएं अपने शरीर और परिवार नियोजन पर ज़्यादा अधिकार रखती हैं लेकिन नीतीश कुमार इस बात को बेहतर तरीक़े से कह सकते थे."


बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव ने इसे बिहार की महिला का अपमान करार दिया. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जिस तरह का बयान दिया है, जनसंख्या नियंत्रण पर वह अमर्यादित है. इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है. इस तरह का बयान देकर बिहार सीएम क्या कहना चाहते हैं. नीतीश कुमार इस तरह के बयान से औरतों या मर्दों की प्रतिष्ठा को गिराना चाहते हैं. ये बयान बिल्कुल अशोभनीय है, और उन्हें इसका एहसास करना चाहिए. ये बढ़ती उम्र का असर हो सकता है, जिसके चलते ऐसा बेतुका बयान दे रहे हैं.