Agniveer Amritpal Singh Death: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता बिक्रम मजीठिया ने शनिवार (14 अक्टूबर) को अग्निवीर योजना के पहले शहीद अमृतपाल सिंह को सम्मानित नहीं करने के फैसले की निंदा की. अमृतपाल सिंह 19 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए थे.
अकाली दल के नेता ने कहा, "अमृतपाल को कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया. यहां तक कि शहीद के शव को पंजाब में घर वापस लाने के लिए सेना की एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई. पार्टी ने अग्निवीर योजना को खत्म करने और इसके तहत अब तक भर्ती सभी सैनिकों की सेवाओं को नियमित करने की मांग की."
रक्षा मंत्रालय का बयान
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद गोली लगने से मौत हो गई. इस मामले में अधिक जानकारी के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी जारी की गई है.
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया, "मृतक के पार्थिव शरीर को जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंक के लोगों के साथ यूनिट की ओर से किराए पर ली गई एक सिविल एम्बुलेंस में ले जाया गया. अंतिम संस्कार में सेना के जवान भी शामिल हुए. मौत का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है, मौजूदा नीति के अनुसार कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया गया."
मोदी सरकार पर साधा निशाना
इस बीच अकाली दल के नेता मजीठिया ने कहा, "यह देखना सबसे दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार की नई अग्निवीर नीति के कारण शहीद हुए पहले जवान, जो केवल 19 वर्ष के थे, उसके शव को घर तक ले जाने के लिए सेना की एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं हुई. यह देश के सैनिकों के लिए बनाई गई सबसे शर्मनाक और घृणित नीति है, जो अपनी मातृभूमि को दुश्मन से बचाने के लिए हमेशा मोर्चे पर रहते हैं. हमने आजादी के बाद कभी ऐसी योजना नहीं देखी है. हम अग्निवीर योजना को पूरी तरह से खारिज करते हैं."
अग्निवीर नीति का किया विरोध
अकाली नेता ने कहा, "शुक्रवार (13 अक्टूबर) को ही गृह मंत्री अमित शाह ने स्वीकार किया कि सिख समुदाय के शहीद देश को बचाने के लिए सबसे आगे थे, लेकिन केंद्र उनके साथ क्या कर रहा है? यह सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है कि देश के लिए बलिदान देने के बाद अग्निवीरों को पूरी तरह से नजरअंदाज करने की यह नीति थी. मोदी सरकार के असंवेदनशील रवैये को देखते हुए युवा इस योजना के तहत भर्ती होने से परहेज करेंगे" उन्होंने पंजाब सरकार से शहीद के परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता और एक नौकरी देने का आग्रह किया.
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