'गुजरात सरकार ने दोषियों के साथ मिलकर काम किया...', बिलकिस बानो केस में SC के फैसले पर बोले ओवैसी
बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने गुजरात में दोषियों की मदद की.

बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी दोषियों की सजा माफी के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने सभी दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा, बिलकिस बानो ने न्याय के लिए अपनी लड़ाई खुद लड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि गुजरात राज्य ने दोषियों के साथ मिलकर काम किया, बीजेपी सरकार में ही गुजरात में बलात्कारियों की मदद की जा रही थी. बीजेपी के दो विधायकों ने इन बलात्कारियों की रिहाई का समर्थन किया था.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में ओवैसी ने कहा, उस वक्त नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम थे, तब माहौल बहुत खराब था. इसलिए इस केस को महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया गया था. बीजेपी के लोगों ने इन दोषियों को छुड़ाया. बीजेपी के लोगों ने उनके गले में फूल की माला डाली. गुजरात में बीजेपी की सरकार रेप करने वालों की मदद कर रही थी. बीजेपी को 2 विधायकों ने कहा कि इन दोषियों को छोड़ दिया जाए.
#WATCH | Hyderabad, Telangana: On Bilkis Bano case, AIMIM president Asaduddin Owaisi says, "Bilkis Bano fought her battle on her own for justice...The Supreme Court today said that the state of Gujarat acted in complicit with the convicts. The BJP government was helping rapists… pic.twitter.com/8SefiD96KN
— ANI (@ANI) January 8, 2024
बिलकिस केस में SC का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने 11 दोषियों को दी गई छूट को इस आधार पर खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास सजा में छूट देने का कोई अधिकार नहीं था. SC ने कहा, जिस कोर्ट में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी. साथ ही जिस राज्य में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर फैसला लेना चाहिए था. दोषियों को महाराष्ट्र में सजा मिली थी. इस आधार पर रिहाई का आदेश निरस्त हो जाता है.
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना. अदालत ने कहा, 13 मई 2022 के जिस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार के लिए कहा था, वह दोषियों ने भौतिक तथ्यों को दबाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर हासिल किया था.
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