Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार (2 मई) को टल गई. अब जुलाई में अगली सुनवाई की उम्मीद है. 9 मई को कोर्ट आगे की सुनवाई पर निर्देश जारी कर सकता है.


मंगलवार की सुनवाई के दौरान रिहा हुए कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि बिना उन्हें नोटिस सर्व किए याचिकाकर्ता बिलकिस की तरफ से कोर्ट को झूठी जानकारी दी गई है कि प्रक्रिया पूरी कर दी गई.


इसके लिए बिलकिस बानो के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. गुजरात सरकार ने रिहाई के मामले में सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा जैसे उन लोगों की याचिका पर सुनवाई का विरोध किया, जिनका इस केस से कोई संबंध नहीं है. गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि बानो की याचिका फर्जी है. उन्होंने अपने हलफनामें में झूठ बोला है.


पिछली सुनवाई में क्या हुआ था? 
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में गुजरात सरकार ने रिहाई से जुड़ी फाइल दिखाने का आदेश का विरोध किया था. जस्टिस केम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती. इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती. जस्टिस केम जोसेफ ने साथ ही कहा था कि अभी बिलकिस बानो है. कल आप और मुझमें से कोई भी हो सकता है. 


मामला क्या है?
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी की घटना के बाद दंगे हो गए थे. इस दौरान 2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया था. उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद से सभी 11 दोषी जेल में बंद थे लेकिन पिछले साल 15 अगस्त को सभी को रिहा कर दिया गया इसी को कोर्ट में चुनौती दी गई है.


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